सहयोग Summary in Hindi

“Sahayog” is a Hindi word that translates to “cooperation” or “collaboration” in English. It embodies the fundamental principle of working together for a common purpose or goal. Cooperation is an essential element in various aspects of life, whether it’s in personal relationships, communities, or global endeavors. Read More Class 8 Hindi Summaries.

सहयोग Summary in Hindi

सहयोग पाठ का सार

इस पाठ में सहयोग के बारे में बताया गया है। इस संसार में कोई भी मनुष्य अपने में पूर्ण नहीं हैं। किसी में बुद्धि की कमी है तो किसी में शारीरिक बल की तथा किसी में अच्छाई की कमी है। मानव के स्वभाव में भी विविधता है। ऐसी स्थिति में आपसी सहयोग के द्वारा ही हम अपनी कमियों को पूरा कर अपना उद्देश्य प्राप्त कर सकते हैं। अन्धे और लंगड़े की प्रसिद्ध कहानी सहयोग का अच्छा उदाहरण है जिसमें एक-दूसरे के सहयोग से बाढ के पानी से बचकर सुरक्षित स्थान पर पहँच गए थे।

सहयोग Summary in Hindi

मुसीबत के समय भी आदमी सहयोग से ही उसका मुकाबला करता है। लोहा भी पारस के स्पर्श से बहुमूल्य सोना बन जाता है। कमजोर तिनके भी आपसी सहयोग से मिलकर रस्सी बन जाते हैं। इसी तरह परस्पर सहयोग से कपोतराज चित्रग्रीव ने अनेक कबूतरों को शिकारी के चंगुल से आजाद करवा दिया था

सहयोग एक प्राकृतिक नियम है। एक मशीन सभी पुों के परस्पर सहयोग से ही चलती है। एक पुर्जा खराब होने पर वह नहीं चल सकती। आदमी का शरीर भी अंगों के सहयोग से ही स्वस्थ रहता है। किसी एक अंग के खराब होने पर शरीर स्वस्थ नहीं रह सकता। समाज को पूर्णता भी व्यक्तियों के सहयोग से मिलती है। वैसे भी मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के सहयोग के बिना वह पशु के समान होता है।

समाज नर नारियों के परस्पर सहयोग से बनता है। उसी सहयोग से मानवता का विकास हुआ। परिवार समाज का एक अंग है जिसमें माता-पिता, भाई-बहन आदि अनेक लोगों का सहयोग होता है। माता घर का कामकाज करती है, बच्चों का पालन-पोषण करती है तो पिता ईमानदारी से रोजी कमाता है। सभी कार्य परिवार के लोगों के सहयोग से ही पूरे होते हैं। पड़ोसी भी समाज का अंग होते हैं। उनसे भी सहयोग की भावना जरूरी होती है।

उनसे भी मेलजोल बढ़ाना चाहिए। उनके साथ पूर्ण सहयोग करना चाहिए। स्कूल एक संस्था होती है, जिसमें अध्यापक, विद्यार्थी, चपरासी सभी का सहयोग होता है। सबके सहयोग से ही वह उन्नति करता है। इसी से साफ़-सफ़ाई अनुशासन बना रहता है। बच्चे भी परस्पर सहपाठी से सहयोग रखते हैं। उनके कार्य भी एक-दूसरे के सहयोग से पूर्ण होते हैं।

खेल के मैदान में भी खिलाड़ियों का एक-दूसरे से सहयोग आवश्यक होता है। उनमें खेल-भावना इसी से आती है। सद्भावना बनी रहती है। प्रेम-प्यार का प्रसार होता है।

बच्चों में सहयोग की भावना का विकास करने के लिए रैडक्रॉस, स्काउट, गर्लगाइड, एन० एस० एस०, एन० सी० सी० आदि संस्थाएं स्थापित की गई हैं। गाँव, कस्बे अथवा नगर में भी सहयोग बहुत आवश्यक होता है। सहयोग से ही मानव अच्छा नागरिक बनता है। वह दूसरों के हित की सोचता है। वह प्राणी मात्र की सेवा एवं हित का ध्यान रखता है। उसमें मानवता का विकास होता है।

माँ कविता Summary in Hindi

माँ कविता Summary in Hindi

“Maa” is a deeply emotional and universal word that translates to “mother” in English. It encompasses a profound sense of love, care, and maternal connection that exists across cultures and languages. The word “Maa” evokes a range of sentiments, from warmth and comfort to a sense of security and unconditional love. Read More Class 8 Hindi Summaries.

माँ कविता Summary in Hindi

माँ कविता का सार:

‘माँ’ नामक कविता डॉ० मीनाक्षी वर्मा द्वारा रचित है। इसमें कवयित्री ने ममतामयी माँ के वात्सल्य और त्याग का वर्णन किया है। माँ ईश्वर का अनूठा वरदान है। वह संसार के सब रिश्तों में महान् है। जीवन की परीक्षा देते हुए माँ किताब बन जाती है। उसकी कथनी में शिष्टाचार और करनी में संस्कार है।

माँ कविता Summary in Hindi

हर क्षण का अहसास कराते हुए माँ समय बन जाती है। उसके जागने से ही सुबह होती है और सोने से रात हो जाती है। माँ जब हर मुसीबत को हरा देती है तब वह हिमालय बन जाती है। साहस उसका हथियार है। उसमें अपार ऊर्जा है। ममता का प्रकाश फैलाते हुए माँ दीये की बत्ती बन जाती है।

वह दुःखों को स्वीकार करती है और सुख देने को सदाचार मानती है। उसके खुशी के आँसुओं से उत्सव बन जाता है। उसकी दुआओं में चमत्कार है। उसके प्रोत्साहन में जय – जयकार है। वह खुद कम खाकर जब अपने बच्चों को खिलाती है तब वह गौरेया बन जाती है।

उसमें वात्सल्य तथा प्रेमभाव समाया है। समर्पण उसका स्वभाव है। वह नदी की तरह आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। मर्यादित रहना उसका व्यवहार है। सहनशीलता अच्छा उपहार है। वह धरती के समान निःस्वार्थ सेवा भाव जगाती है। उसका विस्तार केवल देने में है। उसके चरणों में ये स्वर्ग का द्वार है।

ज्ञान और मनोरंजन का घर : साइंस सिटी Summary in Hindi

ज्ञान और मनोरंजन का घर साइंस सिटी Summary in Hindi

“Science City” is a renowned institution that stands as a testament to human curiosity, innovation, and the pursuit of knowledge. Located in various cities around the world, Science City serves as a beacon of scientific exploration and education. It is a place where visitors of all ages can delve into the realms of physics, chemistry, biology, and technology through engaging exhibits, interactive displays, and hands-on experiments. Read More Class 8 Hindi Summaries.

ज्ञान और मनोरंजन का घर : साइंस सिटी Summary in Hindi

ज्ञान और मनोरंजन का घर : साइंस सिटी पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ लेखक विनोद शर्मा द्वारा रचित है। इसमें लेखक ने साइंस सिटी कपूरथला का चित्रण किया है। कपूरथला साईंस सिटी बहुत बड़ा है। यह जालन्धर कपूरथला सड़क पर स्थित है। यह 72 एकड़ भूमि में फैली है। इस का पूरा नाम पुष्पा गुजराल साइंस सिटी है। यह पूर्व प्रधानमन्त्री श्री इन्द्र कुमार गुजराल की पूज्य माता जी के नाम पर है। इसका शिलान्यास 17 अक्टूबर, सन् 1997 ई० के तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री इन्द्र कुमार गुजराल ने किया था। इसका उद्घाटन माननीय राज्यपाल एस० एस० रोडरिज ने 19 मार्च, सन् 2005 को किया। तब से यह लगातार लोगों को ज्ञान प्रदान कर रहा है।

ज्ञान और मनोरंजन का घर साइंस सिटी Summary in Hindi 1

साइंस सिटी की हैल्थ गैलरी में 12 फुट ऊँचा दिल का मॉडल बना है। वहाँ रक्त संचार प्रणाली दिखाई गई है। फेफड़ों की स्थिति एक मॉडल में दिखाई गई है। वहाँ एक ऑप्रेशन थियेटर भी दिखाया गया है। वहाँ एक डायनासोर पार्क, एक डिफैंस गैलरी और फन साइंस बहुत अनूठे हैं। डायनासोर पार्क में बहुत बड़े-बड़े डायनसोर खड़े हैं। इसमें 26 तरह के अलग-अलग डायनासोरों को 45 अलग-अलग मॉडलों में दिखाया गया है।

पैंतीस फुट ऊँची वोल्केनों आकृति में चार हिलते-जुलते, मुँह फैलाते-आवाजें निकालते डायनसोर दिखाई देते हैं। यह सब साऊंड और इलैक्ट्रॉनिक प्रणाली से है। यहाँ डोम थियेटर, लेजर थियेटर और थ्री० डी थियेटर तथा हवाई जहाजों में उड़ने जैसा कुछ है। ये सब साइंस सिटी के मुख्य आकर्षण हैं। यहाँ डोम थियेटर लेज़र शो, थ्री डी और फ्लाइट सिमुलेटर नामक थियेटर हैं।

इसमें डोम थियेटर आम थियेटर से दस गुणा बड़ा है। इनमें 40-50 मिनट की ज्ञानवर्धक ब्रह्माण्ड, नील नदी का रहस्य जैसी फिल्में दिखाई जाती हैं।

ज्ञान और मनोरंजन का घर साइंस सिटी Summary in Hindi 2

लेज़र शो में लेज़र को मनोरंजन के लिए प्रयोग में लाया जाता है जिसमें म्यूजिक और लेज़र के साथ दशकों का मनोरंजन होता है। यहाँ थ्री डी शो विशेष प्रकार का चश्मा पहनकर देखा जाता है। फ्लाइट सिमुलेटर एक हवाई जहाज़ जैसे आकार का मॉडल है जिसमें दर्शक बैठ कर वीडियो के द्वारा हवाई जहाज़ देखते हैं। डिफैंस गैलरी में हमारे रक्षक एवं दुश्मनों का जबाव देने वाले टैंक हैं।

ईदगाह Summary in Hindi

ईदगाह Summary in Hindi

“Idgah” tells the story of a four-year-old orphan, named Hamid who lives with his grandmother Amina. Hamid, the protagonist of the story, has recently lost his parents; however, his grandmother tells him that his father has left to earn money, and that his mother has gone to Allah to fetch lovely gifts for him. Read More Class 8 Hindi Summaries.

ईदगाह Summary in Hindi

ईदगाह पाठ का सारांश

रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद का दिन आया था। सारे गाँव में हलचल मची हुई थी। सब ईदगाह जाने की तैयारी कर रहे थे। लड़के सबसे ज्यादा खुश थे। वे बार बार अपने पैसे गिन रहे थे। हामिद उन सबसे ज्यादा प्रसन्न था। उसके पास तीन पैसे थे। हामिद की दादी उसे अकेले मेले में भेजना नहीं चाहती थी। हामिद के ज़िद्द करने पर वह मान जाती है। गाँव से मेले के लिए टोली चली तो हामिद भी चल पड़ा। शहर को जाने वाला रास्ता शुरू हो गया था। ईदगाह जाने वालों की टोलियाँ नज़र आने लगी थीं। ग्रामीणों का यह दल अपनी ग़रीबी से बेखबर धीरे-धीरे चल रहा था।

बच्चों को नगर की सभी चीजें बड़ी अनोखी लग रही थीं। इमली के घने वृक्षों की छाया में बनी हुई ईदगाह नज़र आने लगी थी। हज़ारों की संख्या में लोग एक के पीछे एक पंक्ति बना कर खड़े थे। ग्रामीणों का यह दल भी पिछली पंक्ति में जाकर खड़ा हो गया। नमाज़ शुरू हुई। सभी सिर एक साथ सिजदे के लिए झुकते और फिर सबके सब एक साथ खड़े हो जाते। ऐसा कई बार हुआ। नमाज़ खत्म होने पर सभी लोग एक-दूसरे के गले मिले।

फिर सभी मिठाई और खिलौनों की दुकानों पर टूट पड़े। बहुत-से लोग हिंडौला झूल रहे थे। हामिद के साथी महमूद, मोहसिन, नूरे और सम्मी घोड़ों और ऊंटों पर बैठते हैं। हामिद उन्हें दूर खड़ा देखता है। वह अपने तीन पैसे फिजूल में खर्च करना नहीं चाहता।।

फिर महमूद, मोहसिन और नूर अपनी-अपनी पसन्द के खिलौने खरीदते हैं। यह सब दो-दो पैसे के खिलौने थे। हामिद यह नहीं चाहता कि अपने पैसे खिलौने पर खर्च करे। सब अपने-अपने खिलौनों की तारीफ करते हैं। हामिद खिलौनों की निन्दा करते हुए कहता है कि मिट्टी ही के तो हैं, नीचे गिरेंगे तो चकनाचूर हो जाएंगे। खिलौने खरीदने के पश्चात् सब मिठाइयाँ खाते हैं। वे हामिद से भी मिठाई लेने के लिए कहते हैं।

हामिद उन्हें मिठाई की बुराइयाँ बताता है। हामिद को ख्याल आया कि उसकी दादी के पास चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारती है तो हाथ जल जाता है। अगर वह चिमटा खरीद ले तो उसकी उंगलियां कभी न जलेंगी। यह सोचकर हामिद तीन पैसे में चिमटा खरीद लेता है। वह उसे कन्धे पर रखकर अपने साथियों के पास पहुँचता है।

सभी चिमटे को देखकर हँसते हैं। मोहसिन हामिद से कहता है-यह चिमटा क्यों लाया पगले ! इसे क्या करेगा? हामिद अपना चिमटा नीचे गिरा कर कहता है, जरा तू भी अपना भिश्ती (खिलौना) ज़मीन पर गिरा कर देख। अभी चूर-चूर हो जाएगा। महमूद कहता है कि यह चिमटा कोई खिलौना है। हामिद कहता है कि खिलौना क्यों नहीं? अभी कन्धे पर रखा तो बन्दूक हो गया। हाथ में लिया तो फकीर का चिमटा बन गया।

एक चिमटा जमा दूं तो तुम लोगों के सारे खिलौने टूट-फूट जाएंगे। अब चिमटे से सभी मोहित हो जाते हैं। वे अपने-अपने खिलौने हामिद को पेश करके उसे चिमटा दिखाने के लिए कहते हैं। हामिद सबसे बारी-बारी खिलौने लेकर चिमटा देखने के लिए देता है।

थोड़ी ही देर में सभी मेले वाले गाँव पहुँच गए। अमीना ने दौड़कर हामिद को गोद में उठा लिया है। फिर उसके हाथ में चिमटा देखकर छाती पीटने लगी। वह गुस्से से बोली दोपहर से तूने कुछ खाया-पीया नहीं। लाया क्या चिमटा ! सारे मेले में तुझे लोहे का चिमटा ही मिला था। हामिद ने डरते-डरते कहा-तुम्हारी उंगलियाँ तवे से जल जाती हैं, इसलिए मैं इसे ले आया। यह सुनकर बुढ़िया का क्रोध प्यार में बदल गया। उसने उसे छाती से लगा लिया है।

रब्बा मीह दे-पानी दे Summary in Hindi

रब्बा मीह दे-पानी दे Summary in Hindi

“Rabba Meher de – Pani de” is a popular Punjabi phrase that translates to “God, bless with rainwater” in English. This phrase carries profound significance, particularly in the context of agriculture and environmental conservation. It reflects the age-old wisdom of acknowledging a divine force for the gift of rainwater, which is vital for sustaining life on Earth. Read More Class 8 Hindi Summaries.

रब्बा मीह दे-पानी दे Summary in Hindi

रब्बा मीह दे-पानी दे कविता का सार:

‘रब्बा मीह दे-पानी दे’ कविता विनोद शर्मा द्वारा रचित है। इसमें कवि ने ईश्वर से वर्षा करने की प्रार्थना की है। कवि ईश्वर से प्रार्थना कर कह रहा है कि हे प्रभु ! वर्षा करो और गर्मी से झुलसी धरती को ठंडा कर नया जीवन दो। पानी से खेतों में सोना उगता है। पानी से सब दुगुना है बिना पानी के कत्था और चूना भी व्यर्थ है। पानी ही जीवन का आधार है। उसके बिना जीवन खत्म हो जाता है। पानी से खेतों में हरियाली और खुशहाली होती है।

रब्बा मीह दे-पानी दे Summary in Hindi 1

मवेशी, प्राणी और पेड़-पौधे पानी बिना जी नहीं सकते। पानी को नष्ट और प्रदूषित न करने का आह्वान किया है। चाहे पानी का कोई रंग नहीं है। फिर भी यह जिसमें मिल जाता है उसी रंग में खिल जाता है। दु:ख के समय आंखों में आ जाता है और खुशी में रुला देता है।

मन के जीते जीत Summary in Hindi

मन के जीते जीत Summary in Hindi

“Man Ke Jeete Jeet” is a Hindi phrase that translates to “Victory of the Mind” in English. This concept emphasizes the power of one’s mindset and inner strength in overcoming challenges and achieving success. It underscores the idea that a determined and positive mind can conquer any obstacles in life. Read More Class 8 Hindi Summaries.

मन के जीते जीत Summary in Hindi

मन के जीते जीत पाठ का सार

‘मन के जीते जीत’ लेखक डॉ० सुनील बहल द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने मन पर विजय पाने से ही सफलता मिलती है-इसका वर्णन किया है। जीवन में छोटी-बड़ी परेशानियां सबके जीवन में आती हैं। हम उनके आने से निराश हो जाते हैं। सभी के जीवन में मुश्किल घड़ियां आती हैं किन्तु इन पर वही विजय प्राप्त करते हैं जो मुश्किलों के सामने घुटने नहीं टेकते बल्कि उनका साहस के साथ मुकाबला करते हैं।

दुनिया में सामान्य लोगों ने ही नहीं बल्कि विकलांग लोगों ने भी ऐसा साहस दिखाया है, जिसके कारण उनकी विकलांगता उनके सामने झुक गई। त्रेतायुग में अष्टावक्र विकलांग हुए जो आठ जगह से टेढ़े थे। एक बार उन्हें राजा जनक के दरबार में देखकर सब हँसने लगे तो अष्टावक्र ने उन्हें बताया कि गन्ने के टेढ़े-मेढ़े होने से उसकी मिठास कम नहीं होती न फूल की पंखुड़ी टेढ़े होने से उसकी खुशबू खत्म होती है, न नदी की धारा टेढ़ी होने से उसका जल दूषित होता है। यह सुनकर राजा जनक तथा दरबारी बहुत लज्जित हुए और उसकी विदवता के सामने नतमस्तक भी हुए।

हिंदी-साहित्य में भक्तिकाल में सूरदास जो जन्म से ही अन्धे थे। किन्तु उन्होंने श्री कृष्ण की लीलाओं का बहुत ही सजीव वर्णन किया है जो संसार में दुर्लभ है। इसी तरह जायसी भी एक आँख और एक कान से रहित थे। शेरशाह के उपहास उड़ाने पर उन्होंने उनको कहा था कि तुम मुझ पर हँसों अथवा उस ईश्वर पर जिसने मुझे बनाया है। इससे शेरशाह बहुत लज्जित हुए थे। जायसी का महाकाव्य पद्मावत बहुत प्रसिद्ध है। नेत्रहीन एवं गरीब मिल्टन कभी जीवन से निराश नहीं हुए इसीलिए अंग्रेजी साहित्य में उनका अद्वितीय स्थान रहा।

भारतीय सिनेमा में रवीन्द्र जैन की दृढ़ इच्छा शक्ति, एकाग्रता और आत्म विश्वास के आगे अपनी विकलांगता को भी हरा दिया। वे अद्भुत संगीतकार थे। इन्होंने रामानंद सागर द्वारा प्रसारित ‘रामायण’ में भी संगीत दिया। इसके साथ अलिफ लैला, जय हनुमान, श्री कृष्ण आदि महान् धारावाहिकों में सभी कर्णप्रिय संगीत दिया।

विश्व के महान् आविष्कारक थामस अल्वा एडीसन सुनने की श्रवण शक्ति खो चुके थे। किन्तु वे जीवन से निराश नहीं हुए। उन्होंने अपने साहस के बल पर हजारों आविष्कार किए। बिजली के बल्ब का आविष्कार उनकी बड़ी उपलब्धि है। तीन वर्ष की आयु में नेत्रहीन हो जाने वाले लुई ब्रेल भी अपनी इच्छा शक्ति के बल पर नेत्रहीन स्कूल में पढ़े और अध्यापक बने। उन्होंने अपने अनथक प्रयासों से नेत्रहीनों के किए ब्रेल नामक लिपि का आविष्कार किया जो दुनिया में आज भी प्रयुक्त हो रही है।

महान् समाज सेवी बाबा आम्टे को कौन नहीं जानता। वे भयंकर अस्थि विकलांगता से पीड़ित थे किन्तु फिर भी इन्होंने सारी उम्र कुष्ट रोगियों की सेवा की। इनको समाज सेवा के कारण ही भारत सरकार ने सन् 1971 ई० में पदम्श्री तथा सन् 1986 ई० में पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया। भारतीय क्रिकेट में भी विकलांग होने के बावजूद स्पिनर चंद्रशेखर ने क्रिकेट में अपनी जगह बनाई। उनका एक हाथ पोलियोग्रस्त था किन्तु वे उसी हाथ से गेंदबाजी करते थे। उन्होंने भारतीय टीम की ओर से 58 टैस्ट मैच तथा 7199 रन देकर 242 विकट लिए। उन्हें अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया गया।

भारतीय इतिहास में वीर राणा सांगा, जिन्होंने बचपन में अपनी एक आँख खो दी थी, अपने वीरता बल एवं साहस से दुनिया में अपनी ताकत का लोहा मनवाया। युद्ध में एक पैर और हाथ भी खो दिया पर वे इससे बिल्कुल भी घबराये नहीं। इन्होंने इब्राहिम लोदी जैसे अनेक विरोधियों को हराया।

इसी तरह महाराजा रणजीत सिंह की चेचक के कारण एक आँख खराब थी किन्तु फिर भी उन्होंने उन्नीस वर्ष की आयु में लाहौर पर अधिकार कर लिया था और धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर, अमृतसर, मुलतान, पेशावर आदि क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। उन्हें कुशल प्रबन्ध, वीरता, न्यायप्रियता, दयालुता और दानशीलता के कारण जाना जाता है।

इस प्रकार यदि मनुष्य के दिल में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो मुसीबतें हार जाती हैं इसलिए हमें अपने आत्म-विश्वास, दृढ़ निश्चय, चित्र की एकाग्रता और अपनी शक्तियों को केंद्रित करके अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना चाहिए। यह सत्य है कि ईश्वर भी केवल साहसी लोगों की ही सहायता करते हैं।

नवयुवकों के प्रति Summary in Hindi

नवयुवकों के प्रति Summary in Hindi

“Navayuvakon Ke Prati Summary,” The period of youth is the most crucial phase in the lives of young individuals. It is a time of growth and self-development when they take significant steps towards fulfilling their dreams and aspirations. Young people have immense potential and opportunities at their disposal during this phase. However, understanding and harnessing these opportunities correctly is essential for their future success and personal development. Read More Class 8 Hindi Summaries.

नवयुवकों के प्रति Summary in Hindi

नवयुवकों के प्रति कविता का सार

प्रस्तुत कविता ‘मैथिलीशरण गुप्त’ द्वारा रचित है। इसमें कवि ने नवयुवकों को देश के उद्धार में योगदान देने की प्रेरणा दी है। कवि ने नवयुवकों का आह्वान करते हुए कहा है कि हे नवयुवको ! सारे देश की दृष्टि तुम्हारी तरफ लगी हुई है। तुम से ही मानव – जीवन की ज्योति प्रकाशित है। तुम्हारे अतिरिक्त कौन इस देश के उद्धार में योगदान देगा? तुम्ही देश के विकास में अपना योगदान दो।

संसार में जो हो रहा है उसे ध्यानपूर्वक देखो। अपनी पढ़ाई एवं ज्ञान को कार्य में बदलो। तुम भक्त प्रहलाद की इस उक्ति को मन में धारण करो कि संसार में युवावस्था में ही भागवत धर्म का आचरण करना चाहिए। मनुष्य – जीवन बहुत कठिन है। संयम और असंयम दो पथ हैं एक शुभ और दूसरा अशुभ है। किन्तु इस अवस्था में मन सदा अशुभ कर्म की ओर ही झुकता है। इसलिए तुम्हें अभी संभल जाना चाहिए।

नील गगन का नीलू Summary in Hindi

नील गगन का नीलू Summary in Hindi

“Neel Gagan Ka Neelu” is a poetic and evocative phrase that translates to “The Blue Bird of the Blue Sky” in English. This expression conjures imagery of a striking and vibrant bird soaring through the endless expanse of a clear blue sky. In this summary, we delve into the significance of “Neel Gagan Ka Neelu,” which goes beyond its literal meaning to represent freedom, beauty, and the boundless possibilities that life offers. Read More Class 8 Hindi Summaries.

नील गगन का नीलू Summary in Hindi

नील गगन का नीलू पाठ का सार

‘नील गगन का नीलू’ नामक पाठ सुधा जैन ‘सुदीप’ द्वारा रचित है। इसमें लेखिका ने शहीद नीलू के साहस, समर्पण एवं त्याग भावना का वर्णन किया है। नीलू अटूट साहसी, निडर, स्वाभिमानी, सच्चे देशभक्त स्काड्रन लीडर थे। वे बचपन से ही दृढ़ निश्चयी थे। उनकी बाल – हठ के कारण उनके पिता को चार वर्ष की आयु में ही उनका प्रथम कक्षा में दाखिला करवाना पड़ा। उसके खिलौने में केवल वायुयान ही होते थे।

उसके पिता हरी प्रकाश शर्मा वायसेना में सार्जेण्ट थे। इसी से नील की रुचि फ्लाइंग में होना स्वाभाविक था। वह घण्टों तक उड़ते जहाजों को देखता और मन ही मन सोचता रहता था। उसने विशेष अनुमति द्वारा केवल चौदह वर्ष की आयु में ही मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी। बी०एस सी० (नॉन मैडीकल) की परीक्षा में उनके 100 में से 91 अंक आए थे। सन् 1987 ई० में सी०डी०एस० की परीक्षा में चण्डीगढ़ से सफल होने वाले वे अकेले युवक थे। उनकी रेकिंग के हिसाब से उनके सामने जल, थल और वायु सेना में से किसी को भी चुनने का विकल्प था किन्तु इन्होंने अपनी रुचि के अनुसार वायु सेना को ही चुना और बिदर में पायलट प्रशिक्षण लिया।

सन् 1993 में दीपिका शर्मा से इनका विवाह हुआ जिनसे रुशिल और वैभव पुत्री – पुत्र प्राप्त हुए। उनकी असाधारण प्रतिभा एवं समर्पण के कारण उन्हें जल्दी ही वायुयान – चालक परीक्षक नियुक्त कर दिया गया। वे स्वभाव से ही अपना काम जल्दी निपटा लिया करते थे। वे 7 नवम्बर, सन् 1966 ई० को करतारपुर में समय से पूर्व अर्थात् असमय पैदा हुए, असमय बोलने लगे, असमय पढ़ने लगे, असमय नौकरी करने लगे तथा असमय ही मातृ भूमि के लिए न्योछावर हो गए। उन्होंने अल्पकाल में अनेक क्षेत्रों में अपने देश की सेवा की। सन् 1999 में पाकिस्तान ने यू०एम०बी०, बिना चालक चलने वाला विमान एटलान्टिक भारत की तरफ छोड़ा जिसे अनिल ने अपनी टीम के साथ मिलकर शत्रु के नापाक इरादों को असफल कर दिया।

26 जनवरी, सन् 2000 को उन्होंने राजधानी में गणतन्त्र दिवस की परेड में हैलीकाप्टर द्वारा अपने कौतुक का परिचय दिया। उन्होंने सैनिकों से भरी जीप को हैलीकाप्टर द्वारा ऊपर उठाकर सबको चकित कर दिया था। जुलाई 2000 में रामपुर बुशैर (हिमाचल) में बादल फटने से आई भीषण बाढ़ में फंसे लोगों की जान बचाई तथा उनकी सहायता की। नीलू सदा चुनौतीपूर्ण कार्य करने को तैयार रहते थे। वे कभी भी अपने कर्त्तव्य से विमुख नहीं होते थे।

12 नवम्बर, सन् 2000 को भारतीय तट रक्षा हेतु नीलू अपनी टीम के साथ भारतीय सीमा में घुसे पाकिस्तानी सैनिकों को जांचने गए। पाकिस्तानी सैनिकों ने मछुआरों के भेष में हैलीकाप्टर पर मिसाइल फैंकी। नीलू का हैलीकाप्टर कच्छ की दलदल में जा गिरा जिस कारण सात अधिकारी शहीद हो गए थे। नीलू भी इसमें शहीद हो गए थे। उन्होंने भारत की सुरक्षा के लिए स्वयं को कुर्बान कर दिया।

शायद यही जीवन है Summary in Hindi

शायद यही जीवन है Summary in Hindi

“Shayad Yahi Jivan Hai,” which translates to “Perhaps, This is Life” is a thought-provoking and contemplative phrase that encapsulates the essence of the human experience. In this summary, we explore the profound meaning behind this expression, which suggests that life, with all its uncertainties, challenges, and moments of joy, is a complex journey filled with both ups and downs. Read More Class 8 Hindi Summaries.

शायद यही जीवन है Summary in Hindi

शायद यही जीवन है पाठ का सार:

‘शायद यही जीवन है’ नामक पाठ डॉ० मीनाक्षी वर्मा द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने ‘परिवर्तनशीलता में ही जीवन है’ इसका वर्णन किया है। लेखिका घर के बाहर बगीचे में बैंगन के पौधे की शाखा पर बने घोंसले में अंडों को देखकर चकित रह गई। इस घोंसले में लाल रंग के चार अंडे थे। इस अद्भुत दृश्य को देखकर लेखिका को लगा कि उसकी जिन्दगी बदल गई है। वह इस घोंसले के बारे में जानकारी पाने के लिए बहुत उत्सुक थी।

यह घोंसले दर्जिन नामक चिड़िया का था जिसका रंग जैतूनी हरा था और उसकी शिखा सफेद जंग जैसी थी। वह बार – बार घोंसले में आकर बैठती और उड़ जाती थी। इस घोंसले को बचाने के लिए लेखिका ने अपने बच्चों को भी इसके बारे में बताया तथा उन्हें घोंसले को हाथ न लगाने की हिदायत दी। इसके बाद बच्चे और लेखिका अंडों में से बच्चे निकलने की प्रतीक्षा करने लगे। बारहवें दिन घोंसले के अंडों से चार बच्चे निकले जिन्हें लेखिका टकटकी लगाकर तीन – चार दिन तक देखती रही। चिड़िया के छोटे – छोटे बच्चे हर समय अपनी खुली चोंच भोजन के लिए ऊपर ही किए रहते थे।

उनकी चिड़िया माँ बार – बार उड़कर चोंच में छोटे – मोटे कीड़े – मकोड़े लाकर अपने बच्चों के मुँह में डाल देती थी। वह किसी को सामने देखकर सीधे अपने घोंसले पर नहीं बैठती थी। उसके आसपास बैठ जाती थी। लेखिका चिड़िया को बच्चों के साथ घोंसले में सोती देखकर ही निश्चिंत होकर सो पाती थी।

शायद यही जीवन है Summary in Hindi

एक दिन दोपहर के समय घोंसले से दो बच्चों को बाहर लटका तथा दो को अचेत अवस्था में देखकर लेखिका घबरा उठी। उसने इन्हें अपने पति तथा बच्चों की मदद से प्लास्टिक के गोल डिब्बे में रख दिया। इस डिब्बे को उसी पौधे के नीचे रख दिया। चिड़िया के चारों बच्चे इस गतिविधि को देख रहे थे। बहुत देर बाद उनकी माँ चिड़िया बच्चों को डिब्बे में तलाश कर उन्हें भोजन देकर उड़ गई। संध्या होने पर लेखिका ने बच्चों को घोंसले में डालकर पौधे की सबसे नीची डाली पर बाँध दिया। घोंसले के पास में बैठी बिल्ली को देखकर लेखिका घबरा गई थी। उसने उसको तो भगा दिया पर वह खतरा अभी भी बना हुआ था इसलिए घोंसला उसी पौधे की सबसे ऊँची डाली पर बांध दिया। लेखिका का चिड़िया और उसके बच्चों से आत्मीय संबंध बन गया था। अगली संध्या इन बच्चों की मां अपना घोंसला यहाँ-वहाँ ढूंढ़ रही थी। अगली दोपहर चिड़िया के तीन बच्चे घोंसले से उड़ गए। अब घोंसले में केवल एक ही बच्चा रह गया था। रविवार के दिन सभी लोग घर पर थे।

चिड़िया का बच्चा घोंसले से बाहर आकर कभी घोंसले के ऊपर बैठता तो कभी पत्तों पर। शायद वह उड़ने की इच्छा में फुदक रहा था। इसी बीच उसकी माँ उसके पास बैठ गई। दो घण्टे बाद वह बच्चा भी घोंसले से उड़ गया। उस समय लेखिका उदास हो गई और अपनी बेटी की ओर देखते हुए सोचने लगी कि मुक्त जीवन की इच्छा में यह भी चिडिया की तरह उड जाएगी। यही जीवन की परिवर्तनशीलता है। परिवर्तनशीलता में ही जीवन है।

राखी की चुनौती कविता Summary in Hindi

राखी की चुनौती कविता Summary in Hindi

“Rakhi Ki Chunauti,” which can be translated as “The Challenge of Rakhi” in English, is a heartwarming and culturally significant story that revolves around the sacred bond of love and protection between siblings, celebrated during the Indian festival of Raksha Bandhan. Read More Class 8 Hindi Summaries.

राखी की चुनौती कविता Summary in Hindi

राखी की चुनौती कविता का सार:

‘राखी की चुनौती’ सुभद्रा कुमारी चौहान की एक देश – भक्तिपूर्ण रचना है। यह कविता हमारे देश की स्वतन्त्रता से पहले लिखी गई थी। एक बहन का भाई स्वतन्त्रता – आन्दोलन में जेल गया हुआ था। राखी का त्योहार आ गया। प्रायः बहनें इस अवसर पर फूली नहीं समातीं। जिनके भाई हैं, उन्हें बधाई है। सजी हुई राखियाँ तो थीं, परन्तु लेखिका के भाई के जेल में बंद होने के कारण लेखिका के मन में खुशी नहीं थी। उसे दुःख भी नहीं था क्योंकि उसका भाई भारत माता की पुकार पर जेल गया था। वह भारत माँ की छिनी हुई आजादी को लेने गया था। बहन को इस बात का गर्व था। राखी सूनी पड़ी थी। यदि भाई होता तो कितनी खुशी होती।

राखी की चुनौती कविता Summary in Hindi

कवयित्री देश के युवकों को सम्बोधित करते हुए कहती है- हम खुशियाँ मनाएँ और जेल गया हुआ भाई दुःख उठाए – यह सोचकर उसका हृदय दुःखी है। अब राखी बंधवाने के लिए कोई हाथ आगे आए। यह रेशम की डोरी नहीं है। यह तो लोहे की हथकड़ी है। यही प्रण लेकर बहन खड़ी है। बहन पूछती है – क्या तुम आने को तैयार हो? क्या तुम्हें विषमता (असमानता) के बन्धन की लाज है? यदि है तो बन्दी बनो और देखो बन्धन कैसा होता है? यही आज इस राखी की तुम्हें चुनौती है।

मैट्रो रेल का सुहाना सफर Summary in Hindi

मैट्रो रेल का सुहाना सफर Summary in Hindi

“Metro Rail Ka Suhana Safar,” which translates to “A Pleasant Journey on the Metro Rail,” is a charming and insightful narrative that takes readers on a delightful exploration of the modern urban transportation experience. The metro rail system has become a lifeline in many bustling cities, and this summary aims to capture the essence of the comfort, convenience, and efficiency it offers to commuters. Read More Class 8 Hindi Summaries.

मैट्रो रेल का सुहाना सफर Summary in Hindi

मैट्रो रेल का सुहाना सफर पाठ का सार

मैट्रो – रेल का सुहाना सफ़र लेखक महेश कुमार शर्मा द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने मैट्रो रेल की सुहानी यात्रा का वर्णन किया है। राष्ट्रीय खेलों में पंजाब की योग टीम में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आई जहाँ वह झलकरी बाई राजकीय उच्चतर विद्यालय अशोक विहार में ठहरी थी। पूरी टीम बहुत खुश थी क्योंकि उनके गुरु जी ने उनके प्रथम आने पर मैट्रो – रेल के सुहावने सफर का उपहार देने को कहा था। टीम ने पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। अगले दिन बच्चे मैट्रो – रेल से लाल किला देखने गए। वे कन्हैया नगर स्टेशन पर गए।

मैट्रो रेल का सुहाना सफर Summary in Hindi 1

एक बच्चे की बात सुनकर गुरु जी ने बताया कि दिल्ली में मैट्रो-रेल परिस्थिति और सुविधानुसार चलाई जाती है। उसकी पटरी ज़मीन या सड़क पर पुल बनाकर या सुरंग खोदकर बिछाई गई है। यह सुनकर प्रतिभा ने गुरु जी से अपनी गाड़ी का रास्ता पूछा। गुरु जी ने गाड़ी में बैठकर स्वयं रास्ता देखने को कहा। भास्कर ने गुरु जी से पूछा कि हम सीढ़ियों की अपेक्षा लिफ्ट से क्यों नहीं जा रहे। गुरु जी ने सभी को समझाते हुए बताया कि लिफ्ट का प्रबन्ध बूढ़ों, बीमारों और अपाहिजों के लिए किया जाता है। स्टेशन पहुँचकर बच्चे वहाँ पर साफ़-सफ़ाई और सजावट देखकर चकित हो गए।

गुरु जी ने सभी बच्चों के समूह पास बनवाकर सुरक्षा जांच यन्त्र में से निकालने को कहा। ज्ञानीजन के पूछने पर गुरु जी ने बताया कि वे जालन्धर रेलवे स्टेशन पर भी ऐसे ही यन्त्र से निकलकर आए थे। यह यन्त्र सुरक्षा की दृष्टि से किसी भी विस्फोटक सामग्री के पास आते ही अपने आप ही एक विशेष ध्वनि निकालने लगता है। बच्चों के पूछने पर एक रेलवे कर्मचारी ने बताया कि यात्रा के लिए एक टोकन प्रति यात्री दिया जाता है जिसे इस मशीन के निकट लाने से प्रवेश द्वार खुल जाता है और यात्री इसमें से निकल जाता है। प्रतिदिन यात्रा करने वालों के लिए स्मार्ट कार्ड की सुविधा उपलब्ध है।

गुरु जी ने बच्चों को बताया कि प्लेटफार्म पर गाड़ी की प्रतीक्षा करते समय कभी भी पीली पट्टी पार नहीं करनी चाहिए। कुछ देर बाद गाड़ी आने की उद्घोषणा हुई। गुरु जी ने किरण को बताया कि वे कश्मीरी गेट पहुँचकर वहाँ से चाँदनी चौंक जाने वाली मैट्रो में बैठेंगे और वहाँ से लालकिला के लिए पैदल जा सकते हैं। थोड़ी देर बाद बच्चे गाड़ी में बैठकर खुशी से वहाँ से रवाना हुए। सभी बच्चे खुशी से झूमते हुए मैट्रो के सफर का आनंद ले रहे थे।

इसमें आगे आने वाले स्टेशन की भी स्पीकरों के द्वारा उदघोषणा हो रही थी। स्टेशन आने पर गाड़ी के रुकते ही स्वचालित द्वार अपने आप खुल जाते और यात्रियों के चढ़ने पर स्वत: बंद हो जाते। गाड़ी में स्थान-स्थान पर इलैक्ट्रानिक सूचना पट्ट लगे हुए थे। गाड़ी कन्हैया नगर स्टेशन से चलकर इन्द्रलोक स्टेशन, शास्त्री नगर, प्रताप नगर, तथा तीस हज़ारी स्टेशनों पर रुकती हुई कश्मीरी गेट पहुंची जहां सभी बच्चे उतर गए। वहाँ से वे चाँदनी चौक मैट्रों के मिलन के स्थान पर पहुँच गए। बच्चे वहाँ से मैट्रो में सफ़र कर चांदनी चौक पहुँच गए। चाँदनी चौक से वे लाल किले की तरफ बढ़ते हुए मैट्रो रेल की ही बातें कर रहे थे।