बाल लीला Summary in Hindi

बाल लीला Summary in Hindi

“बाल लीला” एक प्रमुख हिंदू धार्मिक कथा है, जिसमें भगवान कृष्ण के बचपन की खिलखिलाहट और लीलाएँ प्रस्तुत की जाती हैं। यह कथा भगवान कृष्ण के अद्वितीय चरित्र और उनके भक्तों के साथ की आवाज के रूप में मानी जाती है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

बाल लीला Summary in Hindi

बाल लीला पदों का सार

पहले पद में श्रीकृष्ण खेल में श्रीदामा से हार जाते हैं पर श्री कृष्ण अपनी हार नहीं मानते। श्रीदामा ने उनसे कहा कि वे जात-पात में उनसे बड़े नहीं और नहीं वे उनके घर से मांग कर खाते हैं। उनके पिता के पास कुछ गउएं अवश्य अधिक हैं। जो खेल में झगड़ा करता है उसके साथ कौन खेलना पसंद करेगा। श्रीकृष्ण अभी खेलना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपनी हार मान कर बारी दे दी। दूसरे पद में श्रीकृष्ण अपनी माँ से शिकायत करते हैं कि उन्होंने माखन की चोरी नहीं की। वे तो सवेरे-सवेरे गाय ले कर चराने के लिए चले गए थे। वे तो छोटे-से बालक थे और किसी भी प्रकार छींके तक नहीं पहुंच सकते थे। ग्वालों के कुछ बालक उनसे दुश्मनी करते हैं। उन्होंने उनके मुंह पर मक्खन लगा दिया था। माँ पर दोष लगाते हुए कहते हैं कि वह भी पराया समझ कर उन पर आरोप लगाती है। यशोदा माता ने श्रीकृष्ण की बातें सुनकर उन्हें अपने गले से लगा लिया।

Conclusion:

“बाल लीला” एक महत्वपूर्ण हिंदू कथा है जो भगवान कृष्ण के जीवन की अनमोल छवि को प्रस्तुत करती है। इस कथा के माध्यम से हमें दिव्य भक्ति, नीति, और धार्मिक शिक्षा के महत्व का अद्वितीय संदेश मिलता है।

ईमानदार बालक Summary In Hindi

ईमानदार बालक Summary In Hindi

“ईमानदार बालक” एक उपन्यास है जो मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया था। यह कहानी एक आदर्श और समाजिक संदेश के साथ एक छोटे से गांव के एक ईमानदार बच्चे के जीवन को प्रस्तुत करती है, जो भ्रष्टाचार और निर्वाचनों के माध्यम से सच्चाई को बचाने के लिए संघर्ष करता है। इस उपन्यास से हमें ईमानदारी, साहस, और समाजसेवा की महत्वपूर्ण भूमिका का अद्वितीय दर्शन मिलता है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

ईमानदार बालक Summary In Hindi

ईमानदार बालक पाठ का सार

बसंत नाम का एक गरीब लड़का थैले में रख कर सामान बेच रहा था। थैले में बटन, छन्नी, दियासलाई जैसे छोटे-छोटे सामान थे। उसने मज़दूर नेता राज किशोर से कुछ सामान खरीदने का आग्रह किया। वे उससे एक छन्नी लेकर नोट देते हैं। छुट्टे पैसे लेने के लिए वह गया पर काफ़ी समय तक लौट कर नहीं आया। अपने परिचित कृष्ण कुमार के कहने पर वे घर वापस चले गए कि कोई उन्हें ठग कर ले गया। काफ़ी देर बाद प्रताप नाम का एक युवक उनके घर आया। उसने उनके बचे हुए पैसे उन्हें लौटाए और बताया कि बसंत उसका भाई था जो पैसे भुना कर लाते समय एक बस के नीचे आ गया था। उसके दोनों पाँव कुचले गए। उसके माता-पिता पहले ही दंगों में मारे जा चुके थे। राजकिशोर एक डॉक्टर को ले कर उस के घर गए और उसकी ईमानदारी के विषय में डॉक्टर को बताया।

Conclusion:

“ईमानदार बालक” एक उपन्यास है जो हमें ईमानदारी की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाता है। इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि ईमानदार और सत्य के प्रति स्थिर रहना हमारे आचारगत और समाजिक जीवन में महत्वपूर्ण है। इससे हमें समाज में सुधार और न्याय की ओर बढ़ने का संदेश मिलता है कि हमें अपने मूल्यों और ईमानदारी पर पकड़ मजबूत रखना चाहिए।

बाबूजी बारात में Summary in Hindi

बाबूजी बारात में Summary in Hindi

“बाबूजी बारात में” एक हास्य फिल्म है जो एक परिवार की बेटी की शादी के मौके पर घटित होने वाली घटनाओं को दिखाती है। इस फिल्म में मुख्य पात्री बाबूजी और उनके परिवार के सदस्यों के बीच हँसी और गम के पल प्रस्तुत किए जाते हैं। यह एक मनोरंजनीय फिल्म है जिसमें परिवार के महत्व को बड़े रूप में प्रमोट किया गया है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

बाबूजी बारात में Summary in Hindi

बाबू जी बारात में पाठ का सार

बाबू गजनन्दन लाल पुरानी दिल्ली में रहते थे। उनका वज़न दो मन बीस सेर था। एक बार बस के दरवाज़े में फंस गए। खूब हंसाई हुई। एक बार इन्हें अपने मित्र के लड़के की बारात में जाना पड़ा। बड़े दरवाज़े वाली बस थी। गजनन्दन लाल उस में सवार हुए तो खूब . ठहाके लगे। एक मित्र ने पूछा-बाबू जी आप उदास क्यों हैं ? गजनन्दन लाल बोले-मेरी मां का कहना है कि तू दिन पर दिन सूखता जा रहा है। खुराक घट रही है।

बारात में संकोच मत करना। खूब खाना-पीना। उन्होंने आगे कहा कि बारात में जाने के लिए एक सप्ताह में आधे दिन का उपवास कर रहा हूं। बाराती यह सुनकर खूब हंसे।। अचानक झटके के साथ बस रुकी। ड्राइवर ने आकर कहा-आप सब लोग नीचे उतर जाएं। पहिए में पंक्चर हो गया है। जब बाबू गजनन्दन लाल को धमक चाल से नीचे उतरते देखा तो वहां इकट्ठे हुए देहाती हंसते हुए कहने लगे-“हम भी कहें कि नई बस क्यों बिगड़ी। यह हाथी का बच्चा इस में सवार जो था।” एक ने बाबूजी से उनका वज़न पूछ लिया तो कहने लगे-बहुत कमजोर हो गया हूं। स्टेशन पर तोला गया तो दो मन पांच सेर निकला। बाबू जी ने कहा-तुम लोग खेत में अनाज उगाते नहीं तो खाऊंगा क्या ? इससे सभी हंस पड़े।

बारात अपने निश्चित स्थान पर पहुंच गई। सभी की निगाहें वर की बजाय बाबू गजनन्दन लाल पर लगी थीं। जब नाश्ते का बुलावा आया तो बाराती परोसने को न-न कर रहे थे, परन्तु बाबू जी खूब लूंस-ठूस कर पेट भर रहे थे। कह रहे थे-सब मेरी तरफ आने दो।

बारात धूम-धाम से चढ़ी। सभी बाबू जी को देखकर लोट-पोट हो रहे थे। सभी बहू को मुस्कराने के लिए कह रहे थे, ताकि फ़ोटो खींची जा सके। उसके चेहरे पर मुस्कराहट नहीं आ रही थी। जब गजनन्दन लाल ने कहा-बेटी जरा मेरी ओर देखो। बहू ने जब बाबू जी को देखा तो वह खिलखिला उठी। फिर फ़ोटोग्राफर से कहकर उन्होंने अपनी भी एक फ़ोटो उतरवाई, जिस पर लिखा हुआ है-बाबू गजननन्दन लाल बारात में।

Conclusion:

“बाबूजी बारात में” एक मनोरंजनीय फिल्म है जो परिवार के महत्व को सुंदरता और हास्य के साथ प्रस्तुत करती है। इस फिल्म के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन के महत्वपूर्ण मोमेंट्स पर परिवार का साथ और समर्पण हमारे जीवन को खुशियों से भर देता है। इसका संदेश है कि बिना किसी शानदार बारात के भी, परिवार ही असली ख़ुशियों का स्रोत होता है।

आत्म बलिदान Summary In Hindi

आत्म बलिदान Summary In Hindi

“आत्म बलिदान” एक महान आदर्श है जो व्यक्ति या समुदाय के लिए अपनी जीवन की बलिदान करने का प्रतीक है, जिससे समाज में सेवा और परोपकार की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

आत्म बलिदान Summary In Hindi

आत्म बलिदान लघु नाटिका का सार

आकाश में घने काले बदल छाए हुए थे। कुछ समय बाद तेज वर्षा होने लगी धौम्य ऋषि ने अपने शिष्य आरुणी को अपनी चिंता से परिचित कराया कि ऐसे ही मूसलाधार वर्षा होती रही तो खेत की मेंड़ टूट जाएगी। आरुणी मेंड़ को टूटने से बचाने के लिए चला गया पर वह संध्या होने तक वापस नहीं लौटा। ऋषि का दूसरा शिष्य उपमन्यु वर्षा रुकने के बाद कुटिया में वापिस आया। उसने फूल लाने के लिए बाहर जाना चाहा तो ऋषि ने बताया कि आरुणी वहीं था और फूल अवश्य ले आया होगा। बाद में ऋषि को याद आया कि उन्होंने उसे मेंड़ देखने के लिए भेजा था। धौम्य ऋषि और उपमन्यु दोनों तेजी से खेत की ओर गए।

आवाज़ देने पर पीछे वाले खेत से आरुणी की आवाज़ आई। वहां मेंड की जगह आरुणी ठंड से कांपता हुआ लेटा था। उसने बताया कि पानी के तेज बहाव के कारण मेंड़ बह गई थी और मिट्टी से उसे रोकना कठिन था। खेत का मिट्टी की रक्षा के लिए वह उसे स्वंय लेट गया था। ऋषि धौम्य उसकी कर्तव्यनिष्ठा और गुरु भक्ति से अपार प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया।

Conclusion:

इस आत्म बलिदान के आदर्श से हमें यह सिखने को मिलता है कि सेवा और समर्पण समाज के सुधारने में महत्वपूर्ण हैं और हमें अपने जीवन को दूसरों की सहायता में उपयोगी बनाना चाहिए। इसके माध्यम से हम सभी एक उत्कृष्ट और सामाजिक सदस्य बन सकते हैं जो समृद्धि और संवाद को बढ़ावा देते हैं।

साथी हाथ बढ़ाना Summary In Hindi

साथी हाथ बढ़ाना Summary In Hindi

“साथी हाथ बढ़ाना” एक प्रसिद्ध हिंदी कविता है, जो आदित्य चौधरी द्वारा रची गई है। इस कविता में साथी और आपसी सहायता के महत्व को उजागर किया गया है, और यह समझाने का प्रयास किया गया है कि समर्थन और एकजुटता समस्याओं को पार करने में कितना महत्वपूर्ण होता है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

साथी हाथ बढ़ाना Summary In Hindi

साथी हाथ बढ़ाना कविता का सार

कवि कहता है कि साथियो, सहायता के लिए अपने हाथ बढ़ाओ। अकेला व्यक्ति काम करते-करते थक जाता है पर मिल कर करने से काम जल्दी हो जाता है। जब भी परिश्रम करने वालों ने मिल कर काम किया तब ही असंभव काम भी संभव हो गए। परिश्रम ही हमारे भाग्य की रेखा है इसलिए उससे कभी नहीं डरना चाहिए। जीवन की राह में परिश्रम करते हुए सुख-दुख दोनों मिलते हैं इसलिए दुःखों से कभी नहीं डरना चाहिए। परिश्रम का रास्ता ही सबसे अच्छा रास्ता है। एक-एक बूंद मिलने से नदियाँ बनती हैं और रेत के कणकण से रेगिस्तान बन जाता है। राई जैसे छोटे-छोटे कण पर्वत का निर्माण कर सकते हैं। हम इन्सान मिलकर काम करें तो हम भाग्य को भी अपने वश में कर सकते हैं।

Conclusion:

“साथी हाथ बढ़ाना” कविता का संक्षेपन करते समय, हम यह समझते हैं कि साथ मिलकर किसी भी मुश्किल को पार करने में हमें सफलता मिलती है। इस कविता ने हमें यह सिखाया है कि सहयोग और साथीता किसी भी कठिनाइयों को आसानी से अवाब देने में मदद कर सकते हैं।

मैराथन की दौड़ Summary In Hindi

मैराथन की दौड़ Summary In Hindi

“मैराथन की दौड़” एक हिंदी कहानी है जो एक लड़के की मेहनत, संघर्ष, और समर्पण को दर्शाती है, जब वह मैराथन दौड़ में भाग लेने का सपना देखता है। कहानी में उसके संघर्षों और सफलता के पीछे की कहानी होती है, जो एक प्रेरणास्पद संदेश के साथ आती है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

मैराथन की दौड़ Summary In Hindi

मैराथन की दौड़ पाठ का सार

ईरान का राजा दारा यूनानियों से नाराज़ हो गया। वह सेना लेकर एथेंस पहुँच गया। यूनानियों ने स्पार्टा से सहायता लेने का विचार किया। इतनी दूर संदेश ले जाने के लिए फिडीपिडीज नामक एक युवक को यह काम सौंपा गया। वह दौड़ता हुआ 48 घण्टों में स्पार्टा पहुँच गया। फिडीपिडीज ने हांफते हुए कहा, “ईरान ने यूनान पर आक्रमण कर दिया है। उनकी सेना समुद्र के किनारे मैराथन के पास उतर रही है। एथेंस वालों ने सहायता मांगी है। यदि सहायता न मिली तो सारा यूनान दास बन जाएगा। शीघ्रता करो ।”

मैराथन की दौड़ Summary Images

स्पार्टा वालों ने बहुत शीघ्र पहुँचने का आश्वासन दिया। थोड़ा-सा विश्राम करके वह वीर साहसी इस सन्देश को लेकर लौट पड़ा। एथेंस निवासी इस सन्देश को सुनकर बहुत उत्साहित हो गए। एथेंस की सेना दारा को रोकने के लिए मैराथन की ओर चल पड़ी। थका-मारा फिडीपिडीज भी अपना भाला और भारी ढाल लेकर युद्ध में शामिल हुआ। घमासान युद्ध के बाद, स्पार्टा की सेना के आने से पूर्व ही, एथेंस की सेना ने दारा को पराजित कर दिया।

फिडीपिडीज को फिर एक महान् दायित्व सौंपा गया कि वह शीघ्रता से जाकर यह खुशी का समाचार एथेंस निवासियों को पहुँचा दे। मैराथन और एथेंस नगर के बीच पैंतीस किलोमीटर की दूरी थी। थका होने पर भी वह दौड़ा। एथेंस तक पहुँचते-पहुँचते उसके पाँव लड़खड़ा गए। नगर के फाटक बंद थे। उसने ऊँची आवाज़ में कहा, “एथेंस की विजय हुई है। फाटक खोलो। खुशियाँ मनाओ।” उसकी आवाज़ पहचानकर नगरनिवासियों ने फाटक खोल दिया। फिडीपिडीज के पाँव कांप रहे थे। उसका मुँह सूख गया था। बहुत धीमी आवाज़ में उसने कहा, “हम जीत गए हैं। ईरानी हार गए हैं।

यूनानी स्वतन्त्र रहेंगे।” इतना कहने पर वह वीर गिरा और फिर कभी न उठा। इस महान् बलिदान के कारण फिडीपिडीज का नाम अमर है। आज भी ओलम्पिक की सबसे लम्बी दौड़ को मैराथन की दौड़ कहते हैं।

Conclusion:

“मैराथन की दौड़” कहानी का संक्षेपन करते समय, हम देखते हैं कि मेहनत, संघर्ष, और समर्पण से सपने हकीकत में बदल सकते हैं। इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि आत्मविश्वास और प्रतिबद्धता से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट Summary In Hindi

वायुयान के जन्मदाता बिल्बर राइट और ओरविल राइट Summary In Hindi

“वायुयान के जन्मदाता: बिल्बर राइट और ओरविल राइट” एक उल्लेखनीय कहानी है जो हवाई यातायात के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं को समर्पित है। इन दो भाईयों का साझा प्रयास हवाई यातायात के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्होंने विमानों के सफल प्रयोग के साथ ही वायुयान के जन्म का मार्ग प्रशस्त किया। Read More Class 6 Hindi Summaries.

वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट Summary In Hindi

वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट पाठ का सार

वायुयान के जन्मदाता बिल्बर राइट और ओरविल राइट Summary Images

आज हवाई जहाज़ के द्वारा देश-विदेश की यात्रा करना बहुत ही आसान हो गया है। परन्तु जब हवाई जहाज़ का आविष्कार नहीं हुआ था तब लोग पक्षियों की तरह आकाश में उड़ने की कल्पना करते थे। अपनी इस कल्पना को साकार करने की दिशा में मनुष्य ने गुब्बारों से उड़ने की कोशिश की। इसके बाद ग्लाइडर के द्वारा उड़ने का प्रयास किया गया। उड़ने के इन प्रयोगों में कई आविष्कारकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मनुष्य का आकाश में उड़ने का सपना साकार हो सका अमेरिका के दो भाइयों, विल्बर राइट और ओरविल राइट की लगन और अथक प्रयासों के कारण। इनके पिता का नाम मिल्टन था जो एक पादरी थे।

दोनों ही भाई प्रखर बुद्धि के थे उन्हें तरह-तरह की मशीनों से जूझने का शौक था। एक दिन इनके पिता दोनों के लिए एक उड़ने वाला खिलौना लाए जो छत की ऊंचाई तक उड़ सकता था। इस खिलौने को देखकर इनके मन में विचार आया कि यदि यह छोटा-सा खिलौना छत तक उड़ सकता है तो कोई बड़ी चीज़ आकाश में ज़रूर उड़ सकती है। इसी से प्रेरणा लेकर दोनों भाइयों ने एक बड़ा खिलौना बनाया परन्तु बड़ा होने के कारण वह बहुत कम उंचाई तक उड़ पाता था। इसके बाद इन्होंने पतंगें बनानी शुरू की। थोड़ा और बड़ा होने पर दोनों भाइयों ने एक प्रैस खोली और अखबार छापने का काम शुरू किया। कुछ समय बाद प्रेस का काम छोड़कर साइकिल बनाने और बेचने का काम शुरू किया। इन्हीं दिनों जर्मनी के एक आविष्कारक की ग्लाइडर उड़ाते हुए मृत्यु हो गई।

राइट ब्रदर्स के मन में अभी भी आकाश में उड़ने की इच्छा थी इसलिए उन्होंने अपने सपने को साकार करने की ठान ली और जहाज़ बनाने के फिर से काम करना शुरू कर दिया। उन्हें कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा परन्तु फिर भी उन्होंने हिम्मत न हारी। उन्होंने एक इंजन वाला यान तैयार किया और 17 दिसम्बर, सन् 1903 को पहली उड़ान भरी। दोनों भाइयों ने इस दिशा में सफल परीक्षण किए। सन् 1912 में टाइफाइड के कारण विल्बर की मृत्यु हो गई। इससे इनके भाई ओरविल को बहुत धक्का लगा लेकिन इन्होंने अपने भाई द्वारा किए गए परीक्षणों को जारी रखा। इन्होंने सन् 1916 में राइट एरोनोटिकल लेबोरेटरी खोली जिसमें उसके द्वारा हवाई जहाज़ों से सम्बन्धित अनेक तकनीकी विकास किए गए। इस तरह अनेक प्रयोग करते हुए 30 जनवरी, सन् 1948 को ओरविल की भी मृत्यु हो गई। वायुयान के विकास में इन दोनों भाइयों की अनुपम देन को भुला कौन सकता है। उनके द्वारा पहली उड़ान के समय में प्रयोग में लाया गया यान आज भी वाशिंगटन में नेशनल एयर एण्ड स्पेस म्यूज़ियम में रखा हुआ है।

Conclusion:

“वायुयान के जन्मदाता: बिल्बर राइट और ओरविल राइट” कहानी का संक्षेपन करते समय, हम देखते हैं कि इन दो भाईयों ने वायुयान के विकास में अपने संघर्षों और संघर्षों के बावजूद एक महत्वपूर्ण योगदान किया। उनकी प्रेरणास्पद कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष और संघर्षों के बावजूद, संकल्प से किये गए प्रयास हमें महत्वपूर्ण मील के संकेत देते हैं और अविश्वास को सफलता में परिवर्तित कर सकते हैं।

तीन प्रश्न Summary In Hindi

तीन प्रश्न Summary In Hindi

“तीन प्रश्न” एक प्रमुख बांग्ला कविता है, जिसे रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। इस कविता में कवि एक पेड़ से तीन प्रश्न पूछते हैं जो जीवन और मानवता के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गौर करते हैं। कविता द्वारा व्यक्त किए गए प्रश्न आदर्श और जीवन की गहरी विचारधारा को प्रकट करते हैं। Read More Class 6 Hindi Summaries.

तीन प्रश्न Summary In Hindi

तीन प्रश्न पाठ का सार

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‘तीन प्रश्न’ पाठ में एक राजा के मन में आये तीन प्रश्नों के बारे में कहा गया है। उसके तीन प्रश्न थे

(1) किसी कार्य को आरम्भ करने का सबसे ठीक समय कौन-सा है ?
(2) सबसे महत्त्वपूर्ण लोग कौन हैं ?
(3) सबसे ज़रूरी काम कौन-सा है ?

राजा ने घोषणा करवाई कि जो व्यक्ति इन प्रश्नों का उत्तर देगा उसे बहुत बड़ा पुरस्कार दिया जाएगा। बड़े-बड़े विद्वान् दूर-दूर से राजा के पास आए। सब ने अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार उत्तर दिए। पहले प्रश्न के उत्तर में बहुत-से लोगों का उत्तर अलग-अलग रहा। ऐसे ही दूसरे प्रश्न के उत्तर भी अलग-अलग थे। तीसरे प्रश्न के भी जितने विद्वानों ने उत्तर दिए उन सब के अपने-अपने विचार थे। राजा को किसी भी उत्तर पर सन्तुष्टि नहीं हुई। अतः वह किसी भी विद्वान् को इनाम देने के पक्ष में नहीं था। राजा उदास रहने लगा। एक दिन राजा को पता चला कि समीप के जंगल में एक महात्मा रहते हैं, जो उच्चकोटि के ज्ञानी हैं। परन्तु वह महात्मा सीधे-सादे लोगों से ही मिलते हैं। अगली सुबह राजा सादी वेश-भूषा में महात्मा से मिलने निकल पड़ा। वहाँ पहुँच कर राजा ने महात्मा को कुटिया के बाहर क्यारियों की खुदाई फावड़े से करते देखा। राजा ने उन्हें नमस्कार किया। महात्मा का शरीर दुर्बल था। धरती में फावड़ा मारते ही उनकी साँस ज़ोर-ज़ोर से चलने लगती थी। राजा ने महात्मा से अपने तीन प्रश्नों के उत्तर देने का विनम्र निवेदन किया। महात्मा चुप रहे और फावड़ा मारते रहे। राजा ने तीनों प्रश्न कह दिए।

महात्मा ने राजा के प्रश्न सुने किन्तु उनका उत्तर नहीं दिया और स्वयं पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगे। राजा ने फावड़ा महात्मा से पकड़ कर क्यारियाँ खोदनी शुरू कर दी। दो क्यारियाँ खोदने के बाद राजा महात्मा के पास आया और उनसे प्रश्न पूछे। महात्मा ने उत्तर न देते हुए राजा से फावड़ा पकड़ाने और राजा को आराम करने को कहा। राजा ने फावड़ा नहीं दिया और फिर खोदने लगा। एक घण्टा बीता फिर दूसरा बीता और सूर्य पेड़ों के नीचे छिपने लगा। राजा को घर लौटने की चिन्ता हुई। उसने फिर महात्मा से प्रश्नों के उत्तर देने को कहा और घर जाने की आज्ञा मांगी। तभी सामने की ओर से एक आदमी भागते हुए आया। राजा ने मुड़ कर देखा तो एक दाढ़ी वाला आदमी था। राजा के समीप पहुँचते ही वह चीख कर गिर पड़ा। गिरते ही वह बेहोश हो गया। राजा और महात्मा ने उनका पेट खोल कर घाव भर दिया और उसे कुटिया के अन्दर चारपाई पर डाल दिया।

रात बहुत हो चुकी थी। राजा भी थक कर चूर-चूर हो गया था। वह चौखट का सहारा लेकर लेट गया और देखते-ही-देखते उसे गहरी नींद आ गई। अगले दिन जब राजा की आँखें खुली तो राजा ने उस व्यक्ति की ओर टकटकी लगा कर देखा तभी वह व्यक्ति धीरे से बोला मुझे क्षमा कर दो। राजा ने कहा मैं तो तुम्हें जानता भी नहीं तो माफ़ी किस बात की दूँ। घायल व्यक्ति ने कहा कि मैं आपको जानता हूँ पर आप मुझे नहीं जानते। मैं आपका वही पुराना शत्रु हूँ जिसके भाई को आपने फाँसी दे दी थी। मैं आपकी हत्या करने आया था। मुझे मालूम था कि आप महात्मा से मिलने आ रहे हैं। मैंने लौटते समय आपकी हत्या की योजना बनाई थी, परन्तु दिन पूरा हो गया तो आप नहीं लौटे। मैं अपने छिपने के स्थान से बाहर निकला तो आपके सैनिकों ने मुझे पहचान लिया और मुझे घायल कर दिया। मैं अवश्य मर जाता अगर आप मेरी देखभाल न करते। मैं आपका जीवन-भर दास बना रहूँगा। मेरे बच्चे भी आपके दास होंगे। मुझे क्षमा कर दें।

घायल व्यक्ति से विदा लेकर राजा घर जाने से पूर्व महात्मा से अन्तिम बार विदा लेने लगा। उसने तीनों प्रश्नों के उत्तर पूछे तब महात्मा ने कहा तुम्हें उत्तर तो मिल गए हैं। राजा ने कहा मैं समझा नहीं। महात्मा बोले कल जब तुम मेरी दुर्बलता पर दया करके मेरी मदद न करते तो तुम मारे जाते। तुमने मेरी मदद करने के लिए क्यारियाँ खोदी वही तुम्हारा सब से ठीक समय था। उसके बाद वह आदमी भागा-भागा तुम्हारे पास आ कर गिर पड़ा। तुमने उसका इलाज किया। वही आदमी सबसे महत्त्वपूर्ण था जिसकी तुमने जान बचाई। उसकी जान बचाना सबसे आवश्यक कार्य था। अतः तुम्हें अपने तीनों प्रश्नों के उत्तर मिल गए।

Conclusion:

“तीन प्रश्न” कविता का संक्षेपन करते समय, हम देखते हैं कि कवि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा पूछे गए प्रश्न जीवन के अद्वितीयता, सहानुभूति, और सामाजिक जिम्मेदारियों को प्रकट करते हैं। यह कविता हमें मानव जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को सोचने और समझने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसके माध्यम से कवि हमें जीवन के गहरे विचारों पर विचार करने की प्रोत्साहना देते हैं और सच्चे आदर्शों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाते हैं।

एक बूंद Summary In Hindi

एक बूंद Summary In Hindi

“एक बूंद” एक हिंदी कहानी है जो जीवन की मूल उपादान और महत्व को दर्शाती है। कहानी में एक छोटी सी बूंद की कहानी है जो अपने महत्वपूर्ण योगदान के माध्यम से विश्व को अपने छोटे से आकार में बदल सकती है। इसके माध्यम से कवि हमें समय के महत्व को समझाते हैं और यह दिखाते हैं कि छोटी सी क्रिया भी बड़े परिणाम ला सकती है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

एक बूंद Summary In Hindi

एक बूँद कविता का सार

एक बूंद Summary Images

बादलों की गोद से निकलकर एक बूंद धरती की ओर चली तो वह मन ही मन घबरा रही थी कि पता नहीं उसके साथ अब अच्छा होगा या बुरा। वह धूल में गिर कर नष्ट हो जाएगी या किसी दहकते अंगारे पर गिर कर समाप्त हो जाएगी। क्या पता कि वह किसी कमल के फूल पर ही गिर पड़े। उसी समय हवा का एक झोंका आया और उसे समुद्र की ओर से ले उड़ा। समुद्र में एक सीपी का मुंह खुला था। बूंद उसमें गिरी और मोती बन गई। लोग घर से निकलते हुए भयभीत होते हैं पर घर छोड़ना उनके लिए प्राय: लाभकारी सिद्ध होता है।

Conclusion:

“एक बूंद” कहानी के संक्षेपन में, हम यह देखते हैं कि छोटी सी बूंद भी अपने योगदान से बड़े परिणाम पैदा कर सकती है। कवि द्वारा इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि हर क्रिया, छोटी या बड़ी, महत्वपूर्ण होती है और हमारे योगदान का महत्व समझाता है। इसके माध्यम से हमें यह समझ मिलता है कि हमारी छोटी सी प्रयासों से भी हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

Kayyoppillatha SandesamSummary in Malayalam

Kayyoppillatha Sandesam Summary in Malayalam

“Kayyoppillatha Sandesam” (The Message Without a Signature) is a short story by M. Mukundan, published in 1979. The Summary is set in a small village in Kerala, India. The protagonist is a young man named Unnikrishnan, who is a teacher at the local school.

Unnikrishnan is a kind and compassionate man, but he is also lonely and isolated. He feels like he does not belong in the village, and he is often misunderstood by the other villagers.

Kayyoppillatha Sandesam Summary in Malayalam

കൈയ്യൊപ്പില്ലാത്ത സന്ദേശം എന്ന പാഠഭാഗം എടുത്തു ചേർത്തി രിക്കുന്നത് എം. മുകുന്ദന്റെ നൃത്തം എന്ന നോവലിൽ നിന്നാണ്. നമ്മുടെ നാലാം യൂണിറ്റ് മാധ്യമത്തെ കുറിച്ചാണ്. മലയാള നോവ ലിൽ നവമാധ്യമങ്ങളെ എങ്ങനെ സന്നിവേശിപ്പിച്ചിരിക്കുന്നു എന്ന തിന്റെ ഉത്തമ ഉദാഹരണമാണീ നോവൽ സന്ദേശം.

Kayyoppillatha SandesamSummary in Malayalam 1

സാമൂഹിക നവമാധ്യമങ്ങൾ പലപ്പോഴും തട്ടിപ്പിന്റേയും, ചൂഷണത്തിന്റേയും ഒരു അധോലോകമായി തരംതാഴാറുണ്ട്. കള്ളനാണയങ്ങൾ എവിടെയും കാണാം. സ്വാഭാവികമായും, പേരില്ലാതെ, മുഖമില്ലാതെ പരിചയങ്ങൾ സ്ഥാപിക്കുകയും അതുവഴി തട്ടിപ്പിന്റേയും, ചൂഷണത്തിന്റേയും പുതിയ ഇരകളെ സൃഷ്ടിക്കുകയും ചെയ്യുന്നു.. ഇവിടെ നാം ശ്രദ്ധിക്കേണ്ട ഒരു കാര്യമുണ്ട്. അത് ഈ നവമാധ്യമ ങ്ങളുടെ വലിയൊരു പോരായ്മ തന്നെയാണ്. പേരുകളില്ലാതെ;

മേൽവിലാസമില്ലാതെ, മറവിൽ നിന്ന് ഇരുളിൽ നിന്നുള്ള സന്ദേശ ങ്ങൾ മാത്രം. ആ സന്ദേശങ്ങൾക്ക് അർത്ഥമില്ല; മുഖമില്ല. പല പ്പോഴും രൂപങ്ങളില്ലാത്ത നിഴലുകളെപ്പോലെ, യാഥാർത്ഥ്യത്തിന്റെ മറ്റൊരു പതിപ്പ്. സത്യത്തിന്റെ മങ്ങിയ ഒരു കാഴ്ച.

അന്വേഷണ ങ്ങൾക്ക് അപ്പുറം ഒന്നുമില്ലായ്മയിൽ വിലയം പ്രാപിക്കുന്ന സത്യത്തിന്റെ വായനക്കാരിലും, പ്രേക്ഷകനിലും, നവമാധ്യമങ്ങളെ പിന്തുടരുന്നവരിലും ഒന്നും കണ്ടെത്താൻ കഴിയാതെ, അവ്യക്തത മാത്രമായി അവശേഷിക്കുന്ന അവസ്ഥ സംജാതമാകുന്നു. ടി.പി. ശ്രീധരൻ മധ്യവയസ്സു പിന്നിട്ടപ്പോഴാണ് നവമാധ്യമങ്ങളുടെ ഉറ്റ തോഴനായി മാറുന്നത്. ആരുടേയും കുറ്റം കൊണ്ടല്ല. അപ്പോൾ മാത്രമാണ് അവ പ്രചാരത്തിലായത്.

അന്നു മുതൽ അയാളുടെ ജീവിതം മാറുന്നതു നാം കണ്ടു. ജീവിതത്തിന്റെ മൊത്തത്തിലുള്ള അവസ്ഥതന്നെ മാറിപ്പോയി, ജീവിതത്തിന്റെ വേഗത വർദ്ധിച്ചു. എങ്കിലും പുതിയ ലോകത്തിന്റെ പാച്ചിലിനൊപ്പമെത്താൻ അയാൾക്കു കഴിയുന്നില്ല. ജീവിതത്തിന്റെ ഏകാന്ത നിമിഷങ്ങളിൽ തനിക്കു കൂട്ടുവന്ന

കമ്പ്യൂട്ടറിനുപോലും ശ്രീധ രനെ കൂടെ കൂട്ടാൻ പറ്റുന്നില്ല. വേഗതയുടെ ആ യന്ത്രത്തിൽ പലപ്പോഴും കാലിടറി പോകുന്ന കഥാപാത്രം. അഗ്നി മെയിൽ വിലാസത്തിൽ നിന്ന് ശ്രീധരനു വരുന്ന ഒരു അപ്രധാനമായൊരു മെയിലിൽ നിന്നാണ് നോവൽ ഭാഗം തുടരുന്നത്.

ആരാണ് അഗ്നി എന്ന് എത്ര ആലോചിച്ചിട്ടും ശ്രീധരന് ഓർമ്മ കിട്ടുന്നില, തന്റെ ഒപ്പം സ്കൂളിലോ, കോളേജിലോ പഠിച്ച ആരെ ങ്കിലും ആണോ എന്ന് സംശയിക്കുകയാണ് അയാൾ. പക്ഷേ ചിര പരിചിതനെപ്പോലെ തന്നോട് സ്നേഹം കാണിക്കുന്ന, പ്രധ യുടെ മെസേജിനോട് ഒരു പ്രതിപത്തി ശ്രീധരനുണ്ടായി. പല പ്പോഴും ഇങ്ങനെയുള്ള അറിയാത്ത മെസേജുകൾ അയാൾ തുറ ന്നുപോലും നോക്കാറില്ല.

പക്ഷേ പിന്നീടുള്ള ദിവസങ്ങൾ ഈ അഗ്നിയിൽ നിന്നുള്ള സന്ദേശത്തിനായി കാത്തിരുന്നു ശ്രീധരൻ. പക്ഷേ ഒരു പ്രതികരണം പോലും ഉണ്ടായില്ല. തന്റെ മറുപടിയ്ക്കടിയിൽ തന്റെ പേര് കൃത്യമായി ചേർക്കുന്ന ശ്രീധരൻ, മറ്റുള്ളവർ എന്തുകൊണ്ടാണ് തങ്ങളുടെ ഐഡന്റിറ്റി വെളിപ്പെടുത്താത്ത തെന്ന് നിഷ്കളങ്കമായി

ചിന്തിക്കുന്നു. താൻ കാത്തിരുന്ന മെസേജ് മാത്രം അയാൾക്കു കിട്ടുന്നില്ല. കമ്പ്യൂട്ടർ വന്നതോടുകൂടി ശ്രീധരന്റെ സ്വഭാവങ്ങളിലും വ്യത്യാസം വന്നു. ദിനചര്യകൾ മാറി, ചെറുപ്പം മുതലുള്ള ശീലങ്ങൾ മാറി. കമ്പ്യൂട്ടർ ഈ മധ്യവയസ്സു പിന്നിട്ട് ശ്രീധരനെ മറ്റൊരു മനുഷ്യ നാക്കി മാറി. ഇന്റർനെറ്റ് കണക്ഷൻ അയാൾക്ക് ശരിക്കുമൊരു വലയായി തീരുകയായിരുന്നു. ഒരുപാട് ഗുളികകൾ കഴിക്കുന്ന ശ്രീധരന് കമ്പ്യൂട്ടർ ശരിക്കുമൊരു മരുന്നായി. മറ്റൊരു ഗുളിക.

പക്ഷേ എന്നിട്ടും മറകൾക്കുള്ളിൽ നിന്നുകൊണ്ട് ആളുകൾ നിഴൽനാടകം കളിക്കുന്നതു മാത്രം ശ്രീധരന് മനസ്സിലായില്ല. കാത്തു കാത്തിരുന്ന് പ്രയോജനമില്ലാത്ത, ഇന്റർനെറ്റ് അന്വേഷ ണങ്ങൾക്കുശേഷം വീണ്ടും അഗ്നിയുടെ മെസേജ് വരുന്നിടത്ത് പാഠഭാഗം അവസാനിക്കുകയാണ്. ചിലപ്പോൾ ഒരു കളിപ്പിക്കൽ, അല്ലെങ്കിൽ ഒരു വലക്കുരുക്ക്. എന്തായാലും മേൽവിലാസമി ല്ലാത്ത കൈയ്യൊപ്പില്ലാത്ത സന്ദേശങ്ങളുടെ കൂമ്പാരത്തിനിടയിൽ ശ്രീധരന്മാർ വലയുകതന്നെയാണ്.

Conclusion:

“Kayyoppillatha Sandesam” is a powerful and moving story. It is a story that will stay with you long after you have finished reading it.

The story is significant for several reasons. First, it is a well-written and well-crafted story. Mukundan’s prose is simple and direct, but it is also full of emotion. Second, the story explores important themes that are relevant to everyone. Third, the story is a reminder that we are all connected, even when we feel alone.

पाँच प्यारे Summary In Hindi

पाँच प्यारे Summary In Hindi

“पाँच प्यारे” एक प्रसिद्ध हिंदी कहानी है, जो बच्चों को मोहक और शिक्षाप्रद संदेश देती है। इस कहानी में पंच प्यारे की एक अद्वितीय दोस्ती का वर्णन होता है, जो मिलकर मुश्किलों को पार करते हैं। Read More Class 6 Hindi Summaries.

पाँच प्यारे Summary In Hindi

पाँच प्यारे पाठ का सार

पाँच प्यारे Summary Images

सन् 1699 का वर्ष, बैसाखी का दिन था। भारी संख्या में बच्चे, बूढ़े तथा जवान आनन्दपुर साहब में इकट्ठे हुए। पंडाल में हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे। भगवान् का कीर्तन हो रहा था। गुरु गोबिन्द सिंह जी भी उस पंडाल में सुशोभित थे। कुछ समय के बाद गुरु जी खड़े हो गए। उनका चेहरा तमतमा रहा था। उन्होंने अपनी म्यान से तलवार निकाली और शेर की तरह गर्जना करते हुए बोले, “आज शक्ति-देवी एक बहादुर के शीश की मांग कर रही है। क्या यहाँ कोई ऐसा वीर है जो अपने जीवन का बलिदान कर सकता है ?” इन शब्दों को सुनते ही सभा में सन्नाटा छा गया। लोगों के हृदय कांपने लगे। कोई भी व्यक्ति बलिदान के लिए तैयार न था। गुरु जी ने अन्त में फिर कहा कि हज़ारों की इस गणना में क्या कोई भी ऐसा वीर नहीं जिसे मुझ पर विश्वास हो। इस पर पाँच वीर सामने आए। गुरु जी ने उन्हें खालसा सजाया। गुरु जी ने उन्हें पाँच प्यारों की संज्ञा दी और घोषणा की कि ये पाँच प्यारे अपने प्राणों का बलिदान देकर अपने धर्म की रक्षा करेंगे। यह सुनकर सबने सत्-श्री अकाल का जय-घोष किया।

Conclusion:

“पाँच प्यारे” कहानी का संक्षेपन करते समय, हम देखते हैं कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि सच्ची दोस्ती और साथीता किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। कहानी में पंच प्यारे की उम्र बढ़ती है, लेकिन उनकी दोस्ती और आपसी साथीता में कोई कमी नहीं आती, जो हमें यह सिखाता है कि अच्छे दोस्त हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से रहते हैं और वे हमारे साथ हर समय होते हैं।