बुद्धि बल Summary In Hindi

बुद्धि बल Summary In Hindi

“बुद्धि बल” एक महत्वपूर्ण भारतीय मूल्य है जो हमें यह सिखाता है कि शिक्षा और ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका हमारे जीवन में होती है। यह भी दर्शाता है कि शिक्षा हमें समझदार और सोचने की क्षमता प्रदान करती है, जिससे हम समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। “बुद्धि बल” का अर्थ होता है कि हमें ज्ञान की महत्वपूर्णता को समझना और उसे अपने जीवन में लागू करना चाहिए। Read More Class 7 Hindi Summaries.

बुद्धि बल Summary In Hindi

बुद्धि बल पाठ का सार

‘बुद्धि बल’ पाठ में लेखक ने छत्रपति शिवाजी की बुद्धिमत्ता की एक घटना का वर्णन किया है जिस का सन्देश यह है कि बुद्धि के प्रयोग से बड़ी-से-बड़ी मुसीबत से भी बचा जा सकता है। मुग़लों के समय की यह घटना है। एक दिन औरंगज़ेब ने अपने सेनापति दिलेर खाँ को शिवाजी को जीवित पकड़कर दरबार में लाने के लिए कहा तो उसने यह कार्य राजा जयसिंह से करवाने के लिए कहा। उसका मानना था कि हिन्दू होने के कारण शिवाजी जयसिंह की इस बात पर विश्वास कर लेंगे कि एक बार उनके आगरे के दरबार में आने से उन्हें स्वतंत्र राजा मान लिया जाएगा। शाइस्ता खाँ या अफज़ल खाँ का यकीन वे उनके मुसलमान होने के कारण नहीं करेंगे। औरंगज़ेब ने जय सिंह के साथ दिलेर खाँ को भी एक बहुत बड़ी सेना के साथ शिवाजी को लाने के लिए भेज दिया।

छत्रपति शिवाजी अफजल खाँ और शाइस्त खाँ की सेनाओं से पराजित तो नहीं हो सके थे परन्तु जयसिंह की बातों पर विश्वास कर औरंगजेब के दरबार में जब आ गए थे तो औरंगजेब ने उन्हें ‘पहाड़ी चूहा’ कह कर दिलेर खाँ से कह कर बन्दी बनाकर आगरे के किले में कैद करा दिया था। आगरे के किले के चारों ओर पूरी सेना तैनात कर दी गई थी, जिससे कोई बाहर न जा सके।

छत्रपति शिवाजी किले में कैद तो थे परन्तु वहाँ से निकलने के उपाय सोचते रहते थे। औरंगज़ेब ने उन्हें छल से बन्दी बनाया था इसलिए वे भी उसे छल से मात देना चाहते थे। अप्रैल का महीना था। इसी महीने शिवा जी का जन्म हुआ था। उन्होंने अपना जन्म दिन मनाने की घोषणा करते हुए कहा कि उन का जन्म दिन दस अप्रैल को है, जिसके उपलक्ष्य में वे दस दिन तक लोगों को फल-फूल, मिठाई-अन्न का दान करेंगे।

औरंगज़ेब ने इस की आज्ञा दे दी। वे रोज़ दस-बीस बड़े-बड़े टोकरे फूल, फल, अन्न, मिठाई के मंगवाते और माँ भवानी की पूजा कर उन्हें छूकर बाहर बाँटने के लिए भेज देते। पहरेदार और उनके परिवार भी इन वस्तुओं का खूब आनन्द लेते। एक दिन शिवाजी मिठाई के टोकरे में छिप कर किले से बाहर निकल गए, जहाँ थोड़ी दूर पर एक तेज़ घोड़ा पहले से ही तैयार था, जिस पर सवार हो वे अपने किले में पहुँच गए। पहरेदारों ने जब उनकी कोठरी खाली देखी तो उनके होश उड़ गए।

Conclusion:

“बुद्धि बल” का संग्रहण हमें यह सिखाता है कि शिक्षा और ज्ञान का महत्व हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में अत्यधिक है। यह हमारी सोचने और समझने की क्षमता को बढ़ावा देता है और हमें समस्याओं का सही समय पर समाधान निकालने में मदद करता है। “बुद्धि बल” हमारे समृद्धि और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमें इसे अपने जीवन में महत्वपूर्ण तरीके से लागू करना चाहिए।

नमन देश के जवानों को Summary In Hindi

नमन देश के जवानों को Summary In Hindi

“नमन देश के जवानों को” एक कविता है जो भारतीय सैनिकों के शौर्य, समर्पण, और वीरता को महत्वपूर्ण रूप से बयां करती है। इस कविता में हमें सैनिकों के प्रति हमारी कृतज्ञता और आदर का अभिवादन किया जाता है, जो हमारे देश की सुरक्षा के लिए अपने जीवन की कठिन श्रम करते हैं। यह कविता एक सामाजिक संदेश का प्रतीक है और हमें याद दिलाती है कि हमें सैनिकों के साथ होने वाले उनके संघर्ष का समर्थन करना चाहिए। Read More Class 7 Hindi Summaries.

नमन देश के जवानों को Summary In Hindi

नमन देश के जवानों को कविता का सार

‘नमन देश के जवानों को’ कविता में कवि ने देश के रक्षक वीर जवानों को नमन किया है। कवि कहता है कि वह देश के उन वीर सैनिकों को प्रणाम करता है जो देश की रक्षा के लिए देश की सीमा पर डटे रहते हैं और शत्रु-सेना का सामना करते हुए उसे उसके अरमानों को पूरा नहीं करने देते। वे पहाड़, नदी, रेगिस्तान, खाई, समुद्र, जंगल हर स्थान पर चुनौतियों को स्वीकार करते हैं। वे तिरंगे के सम्मान की रक्षा करते हुए उसे सैल्यूट करते हैं जो उनके उत्साह का उदाहरण है। वे भारत के सुनहरे भविष्य के लिए अपना आज मिटा देते हैं और युद्ध क्षेत्र में कभी पीठ नहीं दिखाते। वे शत्रु को पराजित कर उसे छठी का दूध याद दिला देते हैं। अपना बलिदान देकर वे भारत माता की रक्षा करते हैं। वे बहादुरी से अपने कर्तव्य का पालन करते हुए परमवीर, महावीर, वीरचक्र पुरस्कार में प्राप्त करते हैं। ऐसे देश के सपूतों, वीर जवानों को हमारा नमस्कार है।

Conclusion:

“नमन देश के जवानों को” का संग्रहण हमें समर्पण, वीरता, और देश भक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाता है। यह कविता हमारे सैनिकों के प्रति हमारे आदर और गर्व का प्रतीक है, और हमें उनके सेवानिवृत्ति और संघर्ष की महत्वपूर्णता को याद दिलाती है। हमें इसे एक समर्थन और प्रेरणा स्रोत के रूप में देखना चाहिए, और हमें समय-समय पर अपने सैनिकों के साथ होने वाले संघर्ष का समर्थन करना चाहिए।

चन्द्रशेखरआज़ाद Summary In Hindi

चन्द्रशेखरआज़ाद Summary In Hindi

“चन्द्रशेखर आज़ाद” एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय नेता थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के साथ अपने महान योगदान के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की। उनकी निष्ठा, साहस, और स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की कहानी हमें वीरता और राष्ट्र प्रेम के महत्व को याद दिलाती है। “चन्द्रशेखर आज़ाद” भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण योद्धा और राष्ट्रीय आदर्श के प्रतीक के रूप में जीवन में रहे हैं। Read More Class 7 Hindi Summaries.

चन्द्रशेखर आज़ाद Summary In Hindi

चन्द्रशेखर आज़ाद पाठ का सार

‘चन्द्रशेखर आज़ाद’ पाठ में लेखक ने भारत माता के वीर सपूत क्रांतिकारी स्वतन्त्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद के जीवन की कुछ घटनाएँ प्रस्तुत करते हुए, उनके चरित्र से देशभक्ति की प्रेरणा लेने का संदेश दिया है। भारत 15 अगस्त, सन् 1947 ई० को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद हुआ था, जिसे पाने के लिए अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया था। इनमें चन्द्रशेखर आजाद का नाम प्रमुख है। इनका जन्म मध्यप्रदेश के झबुआ जिले के भाँवरा गाँव में हुआ था। इनके पिता पंडित सीता राम तिवारी तथा माता का नाम जगरानी देवी था। इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में प्राप्त की तथा संस्कृत का अध्ययन बनारस में किया। चौदह वर्ष की आयु में ही अंग्रेज़ों के अत्याचारों के समाचार पढ़ कर इनका खून खौल उठता था। वे देश प्रेम की भावना से भरकर देश को आज़ाद कराने के लिए तड़पने लगे।

एक दिन अंग्रेजों के पुलिसकर्मियों द्वारा स्वतंत्रता के लिए आन्दोलन करने वालों को बेरहमी से पीटा और घसीटा देखकर इन्होंने एक पुलिस अधिकारी के माथे पर पत्थर दे मारा। वह लहूलुहान हो गया। ये वहाँ से भाग गए परन्तु एक पुलिस कर्मी ने इनके मस्तक पर चंदन का टीका लगा होने से पहचान कर इनके घर से इन्हें पकड़वा दिया। इन पर मुकद्दमा चला तो इन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्र तथा घर का पता जेलखाना बताया। इस पर क्रोधित होकर मैजिस्ट्रेट ने इन्हें पन्द्रह बेंतें मारने का दंड दिया, जिसे इन्होंने ‘वन्दे मातरम्’ तथा ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए स्वीकार किया।

इन्होंने अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध गुप्त रूप से परचे बांटे। इनका एक क्रांतिकारी दल बन गया था, जिसने 9 अगस्त, सन् 1945 ई० को लखनऊ के नज़दीक काकोरी में ट्रेन रोक कर एक सरकारी खज़ाना लूट लिया था। इन के साथी अशफाकउल्ला, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को इस काम में शामिल होने के कारण फांसी दे दी गई थी। ये झांसी के पास ढिकनपुरा गाँव के जंगलों में ब्रह्मचारी के वेश में हरिशंकर नाम से रहने लगे। देश को स्वतंत्र कराने की चाह लिए वे वीर सावरकर और सरदार भगतसिंह से भी मिले थे। जब साइमन कमीशन के विरोध में लाला लाजपतराय शहीद हुए तो इनका बदला लेने के लिए उन्होंने भगत सिंह, राजगुरु तथा जयगोपाल के साथ पुलिस अधीक्षक स्कॉट को मारने की योजना बनाई परन्तु मारा सहायक पुलिस अधीक्षक सांडर्स गया। इसके पुलिस ने क्रांतिकारों की धरपकड़ शुरू कर दी। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, सन् 1929 ई० को केन्द्रीय विधानसभा में बम फेंका और ‘इन्कलाब जिंदाबाद’ कहते हुए अपनी गिरफ्तारी दी। बाद में भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव पर आरोप लगा पुस्तकीय भाग कर फाँसी दे दी गई तथा बटुकेश्वर दत्त को कालेपानी की सज़ा, चन्द्रशेखर आजाद अभी पकड़े नहीं गए थे।

पुलिस आज़ाद को पकड़ने के लिए उनके एक साथी तिवारी को लालच देकर अपने साथ मिला लेती है और तिवारी आज़ाद के साथ धोखा करते हुए उन्हें इलाहाबाद के अलफ्रेड फार्म ले जाता है, जहां पुलिस 27 जनवरी, सन् 1931 को आज़ाद को पकड़ना चाहती है परन्तु वे तिवारी को वहाँ से भगा कर स्वयं पुलिस का मुकाबला करते हुए शहीद हो जाते हैं। वे अपने इस प्रण को पूरा करते हैं कि उनके जीवित होते हुए उन्हें कोई छू भी नहीं सकता। देश सदा उन को स्मरण करते हुए नमस्कार करता है।

Conclusion:

“चन्द्रशेखर आज़ाद” का संग्रहण हमें एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय नेता के जीवन की महत्वपूर्ण भूमिका को समझने का मौका देता है। आज़ाद की साहसी और संघर्षपूर्ण यात्रा हमें यह सिखाती है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में समर्पण और संघर्ष का महत्व होता है। उनकी प्रेरणास्पद कहानी हमें यह याद दिलाती है कि अपने लक्ष्यों के लिए किसी भी समस्या का सामना करने का साहस और संकल्प होना आवश्यक है।

समाचार : जन से जनहित तक Summary in Hindi

समाचार जन से जनहित तक Summary in Hindi

समाचार : जन से जनहित तक” एक लेख है, जो समाचार की आवश्यकता, महत्ता और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है। यह लेख समाचार के माध्यम से जनहित को कैसे संवर्धित किया जा सकता है, इस पर भी चर्चा करता है।

समाचार : जन से जनहित तक Summary in Hindi

समाचार : जन से जनहित तक पाठ का सारांश :

आज सैटेलाइट के माध्यम से विश्व में घटित घटनाएँ संचार माध्यम की सहायता से हम देख पढ़ या सुन लेते है। तीनों माध्यम मनोरंजन, ज्ञानवर्धन और सूचना प्रसारण करते हैं। इसी सूचना के अंतर्गत समाचार आते हैं।

समाचार पत्र को प्रिंट मिडिया कहा जाता है। इसमें विविध समाचार एजंसियाँ तथा रिपोर्टर समाचार प्राप्त करते हैं। उप संपादक प्राप्त समाचारों का लेखन करता है, मुद्रित सामग्री की त्रुटियाँ मुद्रित शोधक दूर करता है और उसे शुद्ध, समुचित, मानक साहित्यिक भाषाई रूप प्रदान करता है। उसके बाद प्रधान संपादक की ओर से हरी झंडी मिलने पर छपाई शुरू होती है।

समाचार जन से जनहित तक Summary in Hindi 1

दूरदर्शन/टी.वी चैनल्स (विजुअल) दृश्य मीडिया है। इस माध्यम द्वारा समाचार प्रस्तुत करने में प्रोड्युसर इंजीनियर, कैमरामैन, फ्लोर मैनेजर, वीडियो संपादक, ग्राफिक आर्टिस्ट आदि कई लोग शामिल होते हैं। समाचार लेखन, वाचन और प्रसारण का काम पूरी टीम करती है।

समाचार वाचक के लिए टेलीपॉप्टर की सुविधा होती है। समाचार वाचक के लिए प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ-साथ सुयोग्य आवाज, शुद्ध उच्चारण, भाषा का ज्ञान आदि आवश्यक है।

समाचार प्राप्त करने के अनेक साधन हैं समाचार एजेंसियाँ, प्रेस विज्ञप्तियाँ (press release), भेट वार्ताएँ (interview), राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ता, मोबाइल पर रिकॉर्ड की गई कोई जानकारी आदि। समाचार का स्वरूप भी बहुत विस्तृत है। राजनीतिक, खेल, व्यापार, रोजगार, विज्ञान, बजट, चुनाव, कृषि, स्वास्थ्य आदि से संबंधित समाचार प्रसारित होते हैं। समाचार की भाषा सरल और सहज होनी चाहिए।

समाचार में ऐसी बात न हो जिससे किसी धर्म, जाति या वर्ग की भावना को चोट पहुँचे। समाचार प्रस्तुति राष्ट्रहित, एकता और अखंडता को ध्यान में रखकर होनी चाहिए।

आज इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएँ बढ़ गई हैं। यू.पी.एस.सी. की परीक्षाएँ देकर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

Conclusion

समाचार : जन से जनहित तक” एक महत्वपूर्ण लेख है। यह लेख हमें समाचार की आवश्यकता, महत्ता और भविष्य की संभावनाओं के बारे में बताता है। यह लेख हमें समाचार के माध्यम से जनहित को संवर्धित करने के लिए प्रेरित करता है।

मातृ-दिवस Summary In Hindi

मातृ-दिवस Summary In Hindi

“मातृ-दिवस” एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जो मातृत्व, मातृशक्ति, और मातृभूमि की महत्वपूर्ण भूमिका को मनाता है। यह दिन मातृकला की महत्वपूर्णता को समझाने और मातृप्रेम का मान्यता देने के रूप में मनाया जाता है। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान है जो मातृत्व के महत्व को उजागर करता है। Read More Class 7 Hindi Summaries.

मातृ-दिवस Summary In Hindi

मातृ-दिवस पाठ का सार

‘मात-दिवस’ नामक पाठ में लेखक ने माता के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए ‘मातृदिवस’ मनाने की परम्परा का वर्णन किया है। लेखक के अनुसार माता अनेक कष्ट सहकर बच्चे को जन्म देती है और उसका बचपन से बुढ़ापे तक ध्यान रखती है। शिशु की मुस्कान माँ के हृदय-कमल को खिला देती है। इसलिए कहते हैं ‘माँवाँ ठंडियाँ छावाँ’ तथा ‘मातृ देवो भव।’ माँ के इसी महत्त्व को स्वीकार करते हुए ईसाई धर्म में वर्ष का एक दिन ‘मदर्स डे’ या ‘मातृ-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जिसका आरम्भ यूनान में हुआ था। यूनानी और रोमवासी देवताओं की माता ‘रेहया’ की उपासना मार्च में करते थे और उन्हें ‘ग्रेट मदर’ मानते थे। बाद में यह उत्सव गिरिजा घरों में भी मनाया जाने लगा। प्रारंभ में इसे ‘ईस्टर’ से एक-सवा महीने पहले अप्रैल में मनाते थे तथा बच्चे भी अपने विद्यालयों या कार्यस्थलों से लौट आते थे और माता के लिए विशेष भेंट लाते थे।

मातृ-दिवस Summary

‘मदर्स डे’ अमेरिका में सुश्री अन्ना जारबिस के प्रयत्नों से फिलाडेलफिया के गिरिजाघर में 10 मई, सन् 1908 ई० को पहली बार मनाया गया था। यूनान में फूल मार्च में और अमेरिका में मई में खिलते हैं, इसलिए ‘मदर्स डे’ अमेरिका में मई में मनाया गया। अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विलसन ने सन् 1914 ई० में अमेरिकी कांग्रेस में मई महीने के दूसरे रविवार अथवा मई महीने के दूसरे रविवार को ‘मदर्स डे’ मनाने का प्रस्ताव पारित कराया था। अब वहाँ 8 मई को यह दिन सार्वजनिक रूप से मनाया जाता है। बच्चे माँ को सफेद, गुलाबी और लाल रंग के फूल भेंट करते हैं। सफेद फूल माँ के हृदय की पवित्रता, गुलाबी फूल माँ का सब के प्रति सद्व्यवहार तथा लाल फूल माँ के कष्ट सहन करने का प्रतीक माना जाता है।

आजकल मदर्स डे इंग्लैंड, डेनमार्क, स्वीडन, मैक्सिको, चीन और भारत में भी मनाया जाता है। इसे ये देश मई की 8 तारीख, मई के पहले रविवार, मई के दूसरे रविवार अथवा 12 मई को अपनी सुविधानुसार मनाते हैं। अमेरिकी स्कूलों में बच्चे मई के दूसरे शुक्रवार को ‘मात दिवस’ मनाकर शनि, रविवार अपने घर पर मनाते हैं। जिन की माँ नहीं होती वे अपनी दादी, नानी, मौसी, मामी, ताई,चाची, भाभी को पुष्प भेंट कर उन्हें माँ का सम्मान देते हैं। घर न जा सकने पर बधाई पत्रों से माँ को संदेश भेजा जाता है। एक-दूसरे को भी ‘मदर्स डे’ पर बधाई-पत्र भेजे जाते हैं । समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर भी इस दिन को मनाया जाता है।

‘मदर्स डे’ के बधाई पत्रों पर माता मेरी की गोद में बैठे बालक ईसा मसीह का चित्र बना होता है। समाचार पत्र में एक विज्ञापन था- ‘माँ की गोद है बड़ी प्यारी, संसार के सब सुखों से न्यारी’ एक अन्य विज्ञापन था- ‘भाभी जी! आपने हमारे महान् पिता श्री रामलाल ग्रोवर जी को खो देने पर भी अत्यंत साहस दिखाकर हमारा पालन-पोषण किया। हम आपके तथा पूज्य पिता जी के चरण चिह्नों पर चलने के लिए आशीर्वाद माँगते हैं। पवित्र गुरुवाणी भी कहती है

“पूता माता की आशीस
निमख न विसरो तुमको
हर हर, सद भजो जगदीश”

Conclusion:

“मातृ-दिवस” का संग्रहण हमें मातृकला के महत्व को समझने और मातृप्रेम की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह हमारे समाज में मातृत्व की महत्वपूर्णता को उजागर करता है और हमें याद दिलाता है कि मातृशक्ति हमारे समृद्धि और समृद्धि के पीछे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस दिन का मनाना हमारे मातृओं का सम्मान करने का अच्छा मौका होता है और हमें उनके संगठनशील प्रेम का मान्यता देने के रूप में काम करता है।

परोपकार Summary In Hindi

परोपकार Summary In Hindi

“परोपकार” एक महत्वपूर्ण भारतीय धार्मिक और मानवीय मूल्यों का महत्वपूर्ण पहलु है, जिसमें अन्यों के लिए सेवा करने और उनकी मदद करने का संदेश होता है। यह सद्गुण का प्रतीक माना जाता है और समाज में सामाजिक और मानवीय सुधार को प्रोत्साहित करता है। “परोपकार” का अर्थ होता है कि हमें अपने समर्थन, सेवा, और प्रेम के माध्यम से दूसरों की कठिनाइयों में सहायता करना चाहिए। Read More Class 7 Hindi Summaries.

परोपकार Summary In Hindi

परोपकार पाठ का सार

‘परोपकार’ नामक पाठ में लेखक ने परोपकार की महिमा का गुणगान किया है। लेखक अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राह्म लिंकन के जीवन की एक घटना का वर्णन करता है कि एक दिन वे सीनेट जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें एक सुअर कीचड़ में फंसा हुआ दिखाई दिया, जो कोशिश करने पर भी कीचड़ से निकल नहीं पा रहा था। वे पहने हुए कपड़ों समेत कीचड़ में कूद कर सुअर को कीचड़ से बाहर निकाल लाए और कीचड़ से सने हुए सीनेट में जा पहुँचे। वहाँ सभी सदस्य उन्हें इस दशा में देखकर हैरान रह गए परन्तु उनसे सारी घटना सुनकर उनकी दयालुता की प्रशंसा करने लगे।

इस घटना से पता चलता है कि मन परोपकार से कोमल होकर दूसरों की हीन दशा देख कर पिघलता है तथा बिना किसी स्वार्थ के उसकी सहायता करता है। इस प्रकार मन की सरलता, कोमलता, करुणा, सहानुभूति, त्याग और बलिदान की भावना से परोपकार होता है। इसलिए परोपकार सबसे बड़ा धर्म माना जाता है। महर्षि वेदव्यास ने परोपकार को सबसे बड़ा पुण्य और दूसरों को कष्ट पहुँचाने अथवा परपीड़ा को सबसे बड़ा पाप माना प्रकृति भी सदा परोपकार करती है। सूर्य का प्रकाश, वर्षा का जल, शीतल वायु, वृक्ष पथिकों छाया देने के साथ पत्थर मारने वाले को फल देते हैं।

सूर्य, अग्नि, वायु, वरुण आदि इसी परोपकार की भावना के कारण पूज्य माने जाते हैं। धरती माता के समान हमारा पोषण करती है। कवि रहीम ने भी कहा है कि जैसे पेड़ फल नहीं खाते, सरोवर जल नहीं पीते, वैसे ही परोपकार के लिए अच्छे लोग धन जोड़ते हैं। परोपकारी व्यक्ति सदा उदारता पूर्वक सबका भला करता है। महर्षि दधीचि ने देवताओं को असुरों का नाश करने के लिए अपना शरीर दे दिया था और महाराजा शिवि ने कबूतरों की प्राण रक्षा के लिए अपने शरीर का माँस दे दिया था ! कर्ण महादानी थे जिन्होंने अपने कवच-कुण्डल तक दान में दे दिए थे।

परोपकार करने में धन का लालच बाधा डालता है। इसलिए धन का लालच नहीं करना चाहिए तथा दीनों, अनाथों, अपंगों, रोगियों की सदा सहायता करनी चाहिए। परोपकार केवल धन से ही नहीं मन, वाणी और कर्म द्वारा भी किया जा सकता है। दुखी को दिलासा देना, अपंगों को सहारा देना, अनपढ़ों को पढ़ाना आदि भी परोपकार है। इसलिए तुलसीदास जी कहते हैं कि संसार में परोपकार से बढ़ कर कोई धर्म नहीं है और परपीड़ा अथवा दूसरों को कष्ट देने के समान कोई पाप नहीं है।

Conclusion:

“परोपकार” का संग्रहण हमें यह सिखाता है कि सहानुभूति, सेवा, और दया का योगदान हमारे समाज में सद्गुण के रूप में महत्वपूर्ण है। यह हमें यह भी दिखाता है कि सच्चा सुख और संतोष दूसरों की मदद करने में होता है, और यह हमारे अपने जीवन को भी आर्थिक और मानवीय धार्मिकता से संजीवनी बना सकता है। “परोपकार” हमारे समाज के सुधार और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है और हमें इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना चाहिए।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Summary in Hindi

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Summary in Hindi

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ” डॉ. दामोदर खड़से द्वारा लिखा गया एक भाषण है, जो हिंदी भाषा के भविष्य के बारे में बात करता है। यह भाषण हिंदी भाषा के महत्व और इसकी संभावनाओं पर प्रकाश डालता है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Summary in Hindi

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ लेखक परिचय :

डॉ. दामोदर खड़से जी हिंदी जगत् में एक प्रख्यात कवि, कथाकार, उपन्यासकार, अनुवादक आदि अनेक रूपो में माहिर है। आपका जन्म 11 नवंबर 1948 को छत्तीसगढ़ के कोरिया में हुआ। आपने बैंकिग तथा तकनीकी शब्दावली का भी निर्माण किया है।

कंप्यूटर एवं बैंकिग प्रशिक्षण को सुगम बनाने के लिए आपने योगदान दिया है। आप तीस वर्षों तक बैंक में सहायक महाप्रबंधक (general manager) (राजभाषा) के रूप में कार्यरत थे।

एक सशक्त लेखक के साथ-साथ आप एक सफल वक्ता भी हैं। आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा अनेक राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ रचनाएँ :

काला सूरज, भगदड़, बादल राग (उपन्यास) सन्नाटे में रोशनी, नदी कभी नहीं सूखती आदि (कविता संग्रह) भटकते कोलंबस, पार्टनर, गौरेया को तो गुस्सा नहीं आता (कहानी संग्रह), मराठी से हिंदी में अनुवाद – 21 कृतियाँ

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ विधा परिचय :

भाषण एक कला है। अपने विचारों से जनमानस को अवगत करने वाला यह एक सशक्त माध्यम है। भाषण द्वारा श्रोताओं को प्रभावित करना, उन्हें प्रेरित करना आदि उसकी विशेषताएँ हैं। हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ यह पाठ लेखक के एक भाषण का संकलित अंश है।

भारत में स्वामी विवेकानंद, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, सरदार पटेल आदि महापुरुषों के भाषण विश्व में प्रसिद्ध हैं।’

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ विषय प्रवेश :

‘हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ’ यह पाठ लेखक डॉ. दामोदर खड़से जी के भाषण का संकलित अंश है। इस भाषण से हिंदी के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों में विविध प्रकार के रोजगार को प्राप्त करने की संभावनाएं बताई गई हैं। हिंदी भाषा का महत्त्व बढ़ाना यह इस भाषण का हेतु है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ सारांश :

लेखक के मतानुसार हिंदी भाषा के अध्ययन से छात्रों को भविष्य में अनेक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।

केंद्र सरकार कार्यालय : भारत संघ की राजभाषा हिंदी होने के कारण मंत्रालय, संसद तथा सरकारी कार्यालयों में हिंदी पत्राचार का निर्धारित लक्ष्य दिया गया है। केंद्र सरकार के कार्यालयों में अनुवादक, लिपिक, अधिकारी, राजभाषा अधिकारी, निर्देशक (director), उपनिर्देशक इन जैसे विविध प्रकार के रोजगार संभव है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Summary in Hindi 1

विज्ञानपन क्षेत्र : हिंदी की प्रकृति विज्ञापन के लिए बहुत लाभदायी एवं महत्त्वपूर्ण है। विज्ञापन के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक और मुद्रित मिडिया में हिंदी विज्ञापनों की भरमार होती है। इस क्षेत्र में विज्ञापन लेखन, कॉपी रायटर, विज्ञापन का प्रसारण आदि रोजगार के अवसर प्राप्त है।

मनोरंजन : मनोरंजन का क्षेत्र हिंदी के जानकारों के लिए रोजगार का मानो एक महाद्वार है। मनोरंजन के लिए आजकल टी. वी., फिल्म, रेडियो, वेब दुनिया जैसे अनेक क्षेत्र खुले हैं। इन सभी में हिंदी रचनाकार, गीतकार, संगीतकार, गायक, अनुवादक, पटकथा-लेखक, संवाद-लेखक, कलाकार, पार्श्व आवाज (डबिंग), रेडियो जॉकी, रेडियो रूपक, नाटक, भाषण, वाचन तथा प्रकाशन क्षेत्र में मुद्रक, मुद्रित शोधन (proofreading), पत्रकार, अनुवादक इन जैसे विविध प्रकार के रोजगार मौजूद है।

तकनीकी क्षेत्र : आज का युग यंत्रज्ञान का युग है। तकनीकी क्षेत्र में भी आजकल हिंदी ने प्रवेश किया है। अंतरिक्ष (space) विभाग, परमाणु (atom) विभाग, रसायन और उर्वरक (fertilizer) विभाग, जलपोत परिवहन, भारी उद्योग इन सभी क्षेत्रो में हिंदी का प्रयोग हो रहा है।

संगणक के आगमन के साथ प्रयोजनमूलक (purposeful) हिंदी की आवश्यकता बढ़ रही है। इससे आलेखन, टिप्पणी, पत्राचार, अनुवाद, शब्दावली का निर्माण तथा अनुवाद विषयक उपयोगिता बढ़ी है। गूगल में किए गए अनुवाद का उपयोग जनमानस तक पहुँच रहा है।

मोबाइल, टैब, लैपटॉप आदि में हिंदी का प्रयोग, हिंदी माध्यम में तकनीकी विषयों का प्रशिक्षण आज एक बड़ा महत्त्वपूर्ण कार्य बन चुका है।

पारिभाषिक शब्दावली का कार्य, दवाई कंपनियों में दवाई से संबंधित सूचनाओं का हिंदी अनुवाद, रेल, टेलिफोन, बैंक, बीमा, शेयर मार्केट इन सभी के लिए पारिभाषिक शब्दावली, हिंदी अनुवाद का महत्त्व है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार : हिंदी आज दुनिया की एक महत्त्वपूर्ण भाषा बन गई है। आज 127 देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। दुनिया के लगभग सभी देशों में हमारे दूतावास हैं। अन्य देशों के भी दूतावास (embassy) हमारे देश में हैं।

इन में से कई दूतावासों में अब हिंदी विभाग की स्थापना हो चुकी है। इन विभागों में हिंदी अधिकारी, अनुवादक, हिंदी सहायक, पत्राचार, समाचार, रिपोर्टों का लेखन आदि अनेक प्रकार की नौकरियाँ उपलब्ध हैं।

पर्यटन क्षेत्र : पर्यटन क्षेत्र आज एक प्रमुख व्यवसाय बन रहा है। पर्यटन क्षेत्र में बहुभाषी लोगों को ज्यादा मौका है। पर्यटक स्थानीय भाषा नहीं जानते। उनसे संवाद स्थापित करने के लिए, पर्यटकों को मार्गदर्शन या स्थलों की जानकारी देने के लिए हिंदी का उपयोग होता है। ‘टुरिस्ट गाइड’, यह रोजगार यहाँ उपलब्ध है।

अन्य क्षेत्र : फिल्म, टी. वी. में ‘डाक्यूमेंटरी लेखन’ खेल जगत में कमेंटरी करना, खेल की समालोचना करना आदि भी कुछ क्षेत्र हिंदी भाषा प्रभुओं के लिए उपलब्ध है।

Conclusion

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ” एक प्रेरणादायक भाषण है। यह भाषण हमें बताता है कि हिंदी भाषा एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली भाषा है। यह भाषण हमें हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।

पुष्प की अभिलाषा Summary In Hindi

पुष्प की अभिलाषा Summary In Hindi

“पुष्प की अभिलाषा” एक प्रमुख हिंदी कहानी है, जिसमें पुष्प के एक साधू की अत्यधिक अभिलाषा और उसके पास सृजनात्मकता की महत्वपूर्ण सन्देश होता है। इस कहानी में हमें पुष्प की अनोखी और विशेषता को पूरी तरह से समझने का मौका मिलता है, जो उसके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है। Read More Class 7 Hindi Summaries.

पुष्प की अभिलाषा Summary In Hindi

पुष्प की अभिलाषा कविता का सार

‘पुष्प की अभिलाषा’ देश प्रेम की कविता है, जिसमें पुष्प परमात्मा से प्रार्थना करता है कि उसे बलिदानी वीरों के कदमों पर न्योछावर किया जाए। कवि पुष्प की इच्छा बताते हुए लिखता है कि वह यह नहीं चाहता कि उसे देवताओं की कन्याओं के गहनों में पिरोया जाए अथवा प्रेमी की माला में पिरोया जा कर प्रेमिका को मुग्ध करे। वह सम्राटों के शवों पर भी नहीं गिरना चाहता और न ही देवताओं के मस्तक पर बैठकर अहंकारी बनना चाहता है। वह चाहता है कि उसे तोड़ कर उस रास्ते पर फेंक दिया जाए जिस रास्ते से मातृभूमि पर अपना बलिदान देने अनेक वीर जा रहे हों।

Conclusion:

“पुष्प की अभिलाषा” का संग्रहण हमें यह सिखाता है कि अभिलाषाएं हमारे जीवन को मायने देती हैं और हमें उन्हें पूरा करने के लिए समर्पित और प्रतिबद्ध रहना चाहिए। इस कहानी में साधू की अद्वितीय प्रेम की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि सच्चा प्यार और समर्पण ही वास्तविक खुशियों का स्रोत होते हैं, और विश्वास के साथ आपके सपनों को पूरा किया जा सकता है।

Shasthrakriya Summary in Malayalam

Shasthrakriya Summary in Malayalam

Shasthrakriya is a Malayalam novel written by K.R. Meera. It was first published in 2014 and won the Kendra Sahitya Akademi Award for Malayalam in 2015. The Summary is a powerful and moving exploration of the themes of gender inequality, sexual violence, and caste oppression.

Shasthrakriya Summary in Malayalam

ജീവിതരേഖ: 1955 – ൽകൽക്കത്തയിൽ ജനനം. പൊന്നാനി എ. വി. ഹൈസ്കൂൾ, കോഴിക്കോട് മലബാർ ക്രിസ്ത്യൻ കോളേജ്, മൈസൂർ യുനിവേഴ്സിറ്റി എന്നിവിടങ്ങളിലായി പഠനം. 19 –  ാ ം വയസ്സിൽ സ്റ്റേറ്റ് ബാങ്ക് ഓഫ് ഇന്ത്യയിൽ പ്രവേശിച്ചു. ഇംഗ്ലീഷ് സാഹിത്യത്തിൽ ബിരുദം നേടി. ‘വിധാതാവിന്റെ ചിരി ആദ്യ കഥാ സമാഹാരം. സൂഫി പറഞ്ഞ കഥ ആദ്യ നോവലും. ഇത് പ്രിയനന്ദൻ സിനിമയാക്കി. നിരവധി പുരസ്കാരങ്ങൾ നേടിയിട്ടുണ്ട്.

Shasthrakriya Summary in Malayalam 1
കെ.പി. രാമനുണ്ണി
ആസ്വാദനം

പുരുഷ കഥാകൃത്തുക്കൾ പൊതുവെ കടന്നുചെല്ലാൻ മടികാണിക്കുന്ന ഇടത്തിലൂടെയാണ് കെ.പി. രാമനുണ്ണി എന്ന കഥാ കാരൻ ശസ്ത്രക്രിയ എന്ന കഥയിലൂടെ കടന്നുപോകുന്നത്. പ്രായമായവരോട് സമൂഹം കാണിക്കുന്ന അവഗണനയും അസ് ഹിഷ്ണുതയും സ്നേഹമില്ലായ്മയുടെ ഭാഗമാണെന്ന ഓർമ്മപ്പെടുത്തലാണിത്. പുതിയ

കാലഘട്ടത്തിന്റെ കഥാസ്വഭാവം മുഴുവ നായും സ്വീകരിക്കാതെ പഴയതിൽ നിന്ന് നവവൽക്കരിക്കുന്ന എഴുത്തുകാരന്റെ ശൈലി സ്വാഗതാർഹമാണ്. സ്വന്തം അമ്മ യുടെ ഗർഭാശയ ശസ്ത്രക്രിയയോടു കൂടിയാണ് കഥ തുടങ്ങുന്നത്. ആ ശസ്ത്രക്രിയ ഒരമ്മയിൽ ഉണ്ടാക്കുന്ന സ്വഭാവ മാറ്റങ്ങൾ കഥയിലൂടെ മനോഹരമായി അവതരിപ്പിക്കുന്നുണ്ട്.

അമ്മയുടെ താൽപ്പര്യത്തിനായി സത്യം മാറ്റിവെയ്ക്കുന്ന കഥാകാരൻ അഭിന് ന്ദാർഹമായ സ്ഥാനം വായനക്കാരന്റെ മനസ്സിൽ നേടിയെടുക്കു ന്നു. വല്ലപ്പോഴും അവധിക്ക് വരുമ്പോൾ മാതാപിതാക്കളെ സ്നേഹിക്കാൻ വ്യഗ്രതകാട്ടുന്ന മലയാളി സമൂഹത്തിന്റെ നേരെ ഒരു തിരുത്താണ് ശസ്ത്രക്രിയ എന്ന കഥ. അമ്മ എന്ന യാഥാർത്ഥ്യം അനുഭവത്തിന്റെ തീഷ്ണതയാണെന്ന തിരിച്ചറിവ് ചിന്താദീപകമാണ്.

അവിടെ സകല സൗന്ദര്യ ശാസ്ത്രവും പക ച്ചുനിൽക്കയാണ്. അമ്മയുടെ മകനായി സ്വയം മാറ്റത്തിന് വിധേ യനാകുന്ന കഥാകാരൻ വ്യത്യസ്തമായ അനുഭൂതി തലങ്ങൾ അനുഭവിക്കുകയാണ്. അദ്ദേഹം ഇന്ദ്രിയങ്ങൾകൊണ്ട് ജ്ഞാനം കണ്ടെത്തുന്ന ബാല്യകാലത്തേയ്ക്ക് ഊളിയിട്ടു മുന്നേറുന്നു.

പുൽക്കൊടിയിൽ നിന്ന് മുത്തുതുള്ളികൾ ഇറ്റുന്നതുപോലെയാ യിരുന്നു നിമിഷങ്ങൾ നീങ്ങിക്കൊണ്ടിരുന്നത്. സമയത്തിന് ഇങ്ങ നെയും ഇങ്ങനെയും ഒരു താളമുണ്ടോ? അമ്മയുടെ അരികിലേയ്ക്ക് തിരികെയെത്തുന്ന കഥാകാരന്റെ രണ്ടാം ബാല്യമാണ് ഈ അനുഭ വം.

ഈ അനുഭവത്തിൽ ജീവിക്കുന്ന അയാൾ തന്റെ ജോലി പോലും വല്ലാത്തൊരു വച്ചുകെട്ടായി തനിക്ക് തോന്നിയെന്ന് പ്രകടിപ്പിക്കുമ്പോൾ കുഞ്ഞാകാനുള്ള സ്വാതന്ത്ര്യവും ഇഷ്ടവും ഇടവും അമ്മയ്ക്കും മക്കൾക്കും ഇടയിൽ മാത്രമാണെന്ന് തിരിച്ചറിയുകയാണ്. അതിലൂടെ കഥ വായനക്കാരനും അൽപനേരത്തേക്കെങ്കിലും ശസ്ത്രക്രിയ യുടെ കാര്യം വിസ്മരിക്കുന്നു.

പെട്ടെന്ന് മറഞ്ഞുപോയ ഒരു കാര്യം ഓർമ്മപ്പെടുത്തുന്നപോലെയാണ് കഥാകാരൻ ‘വളരെ വേഗത്തിലാണ് ഓപ്പറേഷൻ ദിവസം അടുത്തേക്കണഞ്ഞത് എന്ന വാചകത്തോടെ കഥയിലേയ്ക്ക് വീണ്ടും രംഗപ്രവേശം ചെയ്യുന്നത്. അമ്മയെ ഓപ്പറേഷന് കിടത്തുമ്പോൾ ഉണ്ടാകുന്ന അസ്വസ്ഥത മാറ്റാൻ ഹെപ്പോക്രാറ്റസിന്റെ ഫോട്ടോയിൽ ആലേ ഖനം ചെയ്ത വചനങ്ങൾ മനസ്സിൽ യാന്ത്രികമായി ഉരുവിടു മ്പോൾ

ശസ്ത്രക്രിയയ്ക്ക് മുൻപ് അമ്മയും ഓപ്പറേഷൻ സമ യത്ത് മകനും സ്വന്തം മാനസിക രക്ഷയ്ക്ക് രണ്ടുതരം സങ്കേത ങ്ങളിൽ അഭയം തേടുന്നതായി കാണാം. എന്നാൽ അമ്മയുടെ നിർബന്ധത്തിന് വഴങ്ങി മകൻ അമ്മയെ ശസ്ത്രക്രിയ ചെയ്യു ന്നു.

ഗർഭധാരണ അറ മുറിഞ്ഞുവീണപ്പോൾ താൻ ഒരുകാലത്ത് കിടന്ന് തനിക്ക് സംരക്ഷണം ഒരിടമാണെന്ന ചിന്ത വായ നക്കാർക്ക് അദ്ദേഹം നൽകി. ഓപ്പറേഷനുശേഷം വേദന മുക്ത യായ അമ്മ മകനെ സ്നേഹപൂർവ്വം നോക്കുന്നിടത്ത് കഥ അവ സാനിക്കുന്നു. അനേകം സാധ്യതകൾ – അർത്ഥം വിതറുന്ന കഥയാണിത്.

Conclusion:

Shasthrakriya is a powerful and moving novel that raises important questions about gender inequality, sexual violence, and caste oppression. It is a novel that will stay with you long after you have finished reading it.

नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Summary in Hindi

नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Summary in Hindi

नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Summary in Hindi

(अ) मौसम

“मौसम” अरविंद गौड़ द्वारा लिखा गया एक नक्कड़ नाटक है, जो जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को संबोधित करता है। यह नाटक एक ऐसे गांव की कहानी कहता है जहां लोग जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना कर रहे हैं।

मौसम लेखक परिचय :

लेखक अरविंद गौड़ जी ने ‘नुक्कड़ नाटक’ में अपना एक विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है। आपका जन्म 2 फरवरी 1963 को शाहदरा (दिल्ली) में हुआ। इंजीनियरिंग पढ़ते समय नाटकों के प्रति आपकी रुचि बढ़ गई। आप पत्रकारिता तथा थिएटर से जुड़ गए।

मजदूर हो या किसान इनके विविध आंदोलनों में आपने एक बुनियादी भूमिका निभाई है। आपके ‘नुक्कड़ नाटकों’ का मंचन देश-विदेश में हो चुका है। आपने निर्देशित (directed) किया हुआ ‘कोर्ट मार्शल’ इस नाटक का पूरे भारत में 450 से भी अधिक बार मंचन हुआ है।

मौसम रचनाएँ :

‘नुक्कड़ पर दस्तक’ (नुक्कड़ नाटक संग्रह), अनटाइटल्ड, आई विल नॉट क्राय, अहसास (एकल नाट्य) तथा कुछ पटकथाएँ।

मौसम विधा परिचय :

‘नुक्कड़ नाटक’ आठवें दशक से लोकप्रिय हुआ। नुक्कड़ माने चौक या चौराहा। इस नाटक का प्रस्तुतीकरण (presentation) किसी चौक में, किसी सड़क पर, मैदान, बस्ती या कहीं भी हो सकता है। इन नाटकों का प्रस्तुतीकरण सामाजिक संदेशों के प्रसारण के लिए किया जाता है।

नुक्कड़ नाटक को प्रेक्षक राहों या चौक में खड़े होकर देखते हैं। इन्हें देर तक रोकना संभव नहीं होता इसलिए ये नाटक बेहद सटीक एवं संक्षिप्त होते हैं। जनता से सीधे संवाद करने वाले इस नाटक के लिए वेशभूषा, नेपथ्य, ध्वनि-संयोजन जैसी साज-सज्जा की आवश्यकता नहीं होती।

जन-जन तक समाज हित की बात सहजता से पहुँचाना इसका उद्देश्य है।

मौसम विषय प्रवेश :

अरविंद गौड़ लिखित ‘मौसम’ नामक नुक्कड़ नाटक आधुनिक जीवन की एक प्रखर समस्या को उजागर करता है। पर्यावरण को लेकर एक चेतना निर्माण करने का आपने प्रयास किया है। आज के जमाने में ‘पानी की समस्या’ ने एक विकराल (horrible) रूप धारण किया है।

पानी की कमी, हवा या जमीन का प्रदूषण, लोगों की लापरवाही इन अनेक समस्याओं के प्रति मनुष्य को सचेत बनाने की कोशिश इस नाटक द्वारा हुई है।

मौसम सारांश :

दृश्य – 1 : पानी की कमी : मनुष्य की पानी के प्रति लापरवाही से आज लोगों को पानी की कमी महसूस हो रही है। जो पानी उपलब्ध है उसे भी हमने दूषित किया है। इस कारण आज-कल मनुष्य पीने या नहाने के लिए पानी खरीद रहा है।

दृश्य – 2 : विकास का परिणाम : आज विकास के नाम पर फैक्ट्रियाँ खोली जाती हैं। इसका कूड़ा-कचरा, दूषित पानी नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषित होता है।

दृश्य – 3 : पर्यावरण का असंतुलन : आज ऋतुचक्र में नियमितता नहीं रही क्योंकि हमने ही पर्यावरण को असंतुलित किया है। कहीं बाढ़ आती है, तो कहीं बरसात का इंतजार करना पड़ता है। इस असंतुलन के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है।

दृश्य – 4 : वायु प्रदूषण : आज लोग घर में, दफ्तर में हर जगह ए.सी. लगवाते हैं। इस ए.सी. से निकलने वाली गैस से ओजोन परत में छेद हो जाता है।

दृश्य – 5 : लोगों की लापरवाही : लोग खाना खाकर प्लास्टिक की थालियाँ, पानी पीकर प्लास्टिक की बोतल या गिलास रास्ते पर फेंकते हैं। ऐसा विविध प्रकार का सामान कूड़ा-कचरा बनकर नालों में अटक जाता है। बारिश होने पर नाले से पानी की निकासी न होने से पानी रास्ते पर आता है और थोड़ी-सी भी बारिश होने पर रास्ते स्विमिंग पूल बन जाते हैं।

दृश्य – 6 : मृदा का प्रदूषण : आज-कल लोग खेती करते समय कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। इसके केमिकल से जमीन दूषित हो जाती है। ऐसी खेती से निकली हुई फसल, फल, सब्जियाँ खाकर लोगों को अनेक प्रकार की बीमारीयाँ हो रही हैं।

दृश्य – 7 : जल – प्रदूषण : लोग नदी के किनारों पर नए-नए कारखाने खड़े करते हैं। इनमें से निकलनेवाला गंदा, रसायन युक्त पानी नदियों में छोड़ा जाता है। परिणाम स्वरूप पानी में रहने वाली मछलियाँ तथा अन्य जीव-जंतुओं का विनाश हो रहा है।

दृश्य – 8 : गरीबों पर परिणाम : फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर बीमारियों से ग्रस्त हैं। अनेकों को स्किन कैंसरं हो रहा है। मछुआरे, आदिवासी इन जैसे प्रकृति पर अवलंबित गरीब लोगों का जीना हराम हो गया है।

दृश्य – 9 : मनुष्य का विनाश : भौतिक विकास के नाम पर मनुष्य आस-पास के प्राकृतिक संसाधन नष्ट कर रहा है। जिससे प्राकृतिक संकट मनुष्य का विनाश कर रहे हैं। कभी बाढ़ तो कभी सूखा, कभी तूफान तो कभी भूचाल, ऐसे संकट मनुष्य के स्वार्थी वृत्ति का परिणाम हैं। ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ भी चिंता का विषय है। इनसे मनुष्य सावधान ना हो तो उसका विनाश अटल है।

(आ) अनमोल जिंदगी

“अनमोल जिंदगी” अरविंद गौड़ द्वारा लिखा गया एक नक्कड़ नाटक है, जो रक्तदान के महत्व को संबोधित करता है। यह नाटक एक ऐसे व्यक्ति की कहानी कहता है जो एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो जाता है। वह रक्त की कमी के कारण मरने लगता है, लेकिन एक समय पर उसे रक्त मिल जाता है और उसकी जान बच जाती

अनमोल जिंदगी अरविंद गौड़ विषय प्रवेश :

अरविंद गौड़ जी ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सामयिक समस्याओं को जनता तक पहुँचाने की कोशिश की है। ‘अनमोल जिंदगी’ इस नाटक द्वारा लेखक ‘रक्तदान’ इस विषय पर सामान्य लोगों को जगाने की कोशिश करते हैं। हजारों-लाखों लोगों की मृत्यु सिर्फ समय पर उचित रक्त न मिलने से होती है। रक्तदान के बारे में लोगों में काफी गलतफहमियाँ भी हैं। इन गलतफहमियों को दूर करते हुए लेखक रक्तदान करने की प्रेरणा देते हैं।

अनमोल जिंदगी सारांश:

दृश्य – 1 : एक्सीडेंट : एक दिन रास्ते पर एक चाचाजी का एक्सीडेंट हुआ। उनको बचाने के लिए ‘ओ निगेटिव’ ब्लड की जरूरत हैं परंतु लोगों की मानसिकता न होने से, उनकी रक्तदान के बारे में गलतफहमियाँ होने के कारण वे तरह-तरह का बहाना बनाकर रक्तदान करना टालते हैं।

दृश्य – 2 : हॉस्पिटल : एक सरकारी अस्पताल में गरीब माँ अपने बच्चे का जीवन बचाना चाहती थी। उसकी कम कमाई के कारण वह रक्त खरीद नहीं सकती। उसे आशा थी कि कोई रक्तदाता मिल जाएगा परंतु यह आशा निराशा में बदलती है और एक माँ अपने बेटे को हमेशा के लिए खो देती है।

दृश्य – 3 : ऑटो : एक बेटा अपनी बीमार माँ को बचाना चाहता था। माँ अस्पताल में थी। बेटा उचित रक्त की तलाश में ‘ऑटो’ से इधर-उधर घूम रहा था। उसकी बेचैनी, उसका प्रयास देखकर एक दयालु ऑटो वाला ही रक्तदान करने के लिए तैयार हो जाता है जिससे एक जिंदगी बचती है।

मैट्रो रेल का सुहाना सफ़र Summary In Hindi

मैट्रो रेल का सुहाना सफ़र Summary In Hindi

“मैट्रो रेल का सुहाना सफ़र” एक रोमांटिक कहानी है जो मैट्रो रेल के यात्री और उनके जीवन के संघर्षों को दर्शाती है। इस कहानी में हमें एक मैट्रो रेल की यात्रा के दौरान जुदे दो अजनबी प्रेम के संबंध के रोमांटिक और मनोरंजक पलों का साक्षात्कार होता है। यह कहानी जीवन के छोटे-छोटे खुशियों और संरक्षित लम्हों के महत्व को उजागर करती है। Read More Class 7 Hindi Summaries.

मैट्रो रेल का सुहाना सफ़र Summary In Hindi

मैट्रो रेल का सुहाना सफ़र पाठ का सार

‘मैट्रो रेल का सुहाना सफ़र’ पाठ में लेखक ने दिल्ली में चल रही मैट्रो रेल की सैर कराई है। पंजाब की योग टीम अपने कोच गुरुश्री सुरेन्द्र मोहन के साथ दिल्ली में राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने गई थी। वे अशोक विहार के झलाकारीबाई राजकीय उच्चतर विद्यालय में ठहरे थे। गरु जी ने उन्हें कहा था कि यदि वे राष्ट्रीय खेलों में प्रथम आए तो उन्हें मैट्रोरेल की सैर करवाएँगे। उनकी टीम प्रथम आई थी इसलिए गुरु जी उन्हें मैट्रो रेल से लाल किला दिखाने ले जा रहे थे।

सभी खिलाड़ी पंजाब छपे नीले रंग के ट्रैक सूट पहने मैट्रो रेल के कन्हैया नगर स्टेशन पर पहुँच गए। वहाँ राजीव ने गुरु जी से कहा कि रेलगाड़ी तो ज़मीन पर चलती है, पर यह स्टेशन तो सड़क के ऊपर बने पुल के ऊपर है। तब गुरु जी ने उसे समझाया कि मैट्रो रेल ज़मीन, पुल पर या ज़मीन के नीचे सुरंग में बिछी पटरियों पर चल सकती हैं, जिससे कम समय में अधिक दूरी तय की जा सके। प्रतिभा के यह पूछने पर कि गाड़ी किस रास्ते से जाएगी? गुरु जी ने उत्तर दिया कि गाड़ी की खिड़की के पास बैठकर स्वयं ही देख लेना।

गुरु जी ने सबको सीढ़ियों से ऊपर जाने के लिए कहा तो भास्कर ने लिफ्ट लगे होने की बात कही। गुरु जी ने बताया कि लिफ्ट वृद्धों, बीमारों तथा अपाहिजों के पहिया कुर्सी के साथ लाने ले जाने के लिए है। जैसे ही वे स्टेशन पर पहुँचे तो वहाँ की साफ़-सफाई देखकर हैरान रह गए। वहाँ तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें एक जांच-यंत्र से अन्दर जाने दिया। स्टेशन पर रेस्तरां, कॉफी शॉप, बुक-शॉप, ए०टी०एम० आदि सेवाएँ भी उपलब्ध थीं। उन्हें स्वचालित प्रवेश द्वारा, जो टोकन, स्मार्ट कार्ड तथा पर्यटक कार्ड द्वारा खुलता है, के स्थान पर समूह-पास होने के कारण विशेष प्रवेश-द्वार तथा प्लेटफार्म की ओर प्रवेश कराया गया।

मैट्रो रेल का सुहाना सफ़र Summary

प्लेटफार्म पर भी बहुत साफ-सफाई थी तथा गाड़ी की प्रतीक्षा करते समय किसी को भी प्लेटफार्म पर बनी पीली-पट्टी पार करने की आज्ञा नहीं थी। गाड़ी की प्रतीक्षा करते हुए जिस दिशा में यात्रा करनी हो, उसी दिशा में मुँह करके खड़ा होना चाहिए। सूचना पट्ट पर गाड़ी के आने का समय जान कर गुरु जी ने बच्चों को तैयार रहने के लिए कहा कि तभी घोषणा हुई कि रिठाला से इन्द्रलोक और कश्मीरी गेट होते हुए दिलशाद गार्डन जाने वाली मैट्रो कुछ समय में प्लेटफार्म पर पहँच रही है।

किरन उद्घोषणा में लाल किले का नाम न सुन पाने के कारण गुरुजी से पूछती है, तो वे बताते हैं कि उन्हें कश्मीरी गेट से चाँदनी चौक की मैटो पकडनी होगी तथा वहाँ उतर कर पैदल लाल किले जाना होगा। गाड़ी में सभी बच्चे लम्बी सीटों पर खिड़कियों के पास बैठ गए। स्वचालित द्वार स्वयं बन्द हो गए। राजीव को ऐसा लग रहा था जैसे वे सब किसी विमान पुस्तकीय भाग में उड़ रहे हो। वातानुकूलित होने के कारण खिड़कियाँ स्थाई तौर पर बन्द थीं। बच्चे खिड़कियों से बाहर के दृश्य देख रहे थे। स्टेशन आने से पहले गाड़ी में आने वाले स्टेशन और द्वार किधर खुलेंगे की घोषणा हो रही थी।

कश्मीरी गेट स्टेशन आने की घोषणा होते ही गुरु जी ने बच्चों को उतरने के लिए तैयार हो जाने के लिए कहा। वहाँ जैसे ही गाड़ी रुकी और द्वार खुला मैट्रो का एक कर्मचारी इनकी सहायता के लिए खड़ा था जिसे कन्हैया नगर स्टेशन से अधिकारियों ने सूचना दे दी थी। इन बच्चों के ट्रैक सूट पर पंजाब छपा देख कर उसने इन्हें पहचान लिया था। वह इन्हें स्वचालित सीढ़ियों से भूमिगत प्लेटफार्म पर ले गया, जहाँ से इन्हें चाँदनी चौक की मैट्रो मिलनी थी। सिमरन को वह स्थान सुरंग जैसा लगा। चाँदनी चौक स्टेशन से बाहर भी वे विशेष द्वार से आए तथा लाल किले की तरफ जाते हुए मैट्रो के इसी अजूबे सफर की बातें कर रहे थे।

Conclusion:

“मैट्रो रेल का सुहाना सफ़र” का संग्रहण हमें यह सिखाता है कि जीवन के सफर में हमें कभी-कभी अचानक होने वाले पलों का आनंद उठाना चाहिए, और हमें अपने दिनचर्या की छोटी-छोटी खुशियों को महत्व देना चाहिए। यह कहानी हमें प्यार, संबंधों, और आपसी समझ की महत्वपूर्ण भूमिका को बताती है, और यह दिखाती है कि जीवन के सफर में हर कदम पर कुछ नया और ख़ास हो सकता है।