साइंस सिटी Summary In Hindi

साइंस सिटी Summary In Hindi

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साइंस सिटी Summary In Hindi

साइंस सिटी पाठ का सार

हमारे देश की स्वतन्त्रता के बाद देशवासियों को वैज्ञानिक सोच प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की अनेक प्रयोगशालाएं विभिन्न नगरों में स्थापित की गई थीं। पंजाब सरकार ने जालन्धर-कपूरथला सड़क पर पंजाब और केन्द्र सरकार ने संयुक्त रूप से 72 एकड़ भूमि पर एक सौ करोड़ रुपए की लागत से साइंस सिटी का निर्माण किया था।

‘पुष्पा गुजराल साइंस सिटी’ नामक इस प्रयोगशाला का शिलान्यास 17 अक्तूबर, सन् 1997 में किया गया था और इसे साधारण जनता के लिए 19 मार्च, सन् 2005 को खोल दिया गया था। इसमें स्पेस थियेटर विशेष महत्त्व का है। यह गोल आकार का है जिसके बाहर 25 लाख विभिन्न रंगों की टाइलों से ग्लोब बनाया गया है। इसमें सामान्य से 10 गुणा बड़ी स्क्रीन और अति उच्च क्षमता के ध्वनि यंत्र लगाए गए हैं। इसी में ग्रहों, तारा मंडल और मंदाकनियों की जानकारी दी जाती है।

फ्लाइट सिम्यूलेटर नामक मशीन से आकाश में उड़ने का अनुभव प्राप्त किया जा सकता है। इसमें अर्थक्यूक सिम्यूलेटर मशीन की सहायता से भूकम्प के असली झटकों का अहसास किया जा सकता है। भूकम्प आते ही किन सावधानियों का प्रयोग किया जाना चाहिए, उसे यहाँ अच्छे ढंग से सिखाया जाता है। विशेष किस्म की ऐनकों से थ्री डी फिल्म देखने का अनूठा अनुभव भी यहाँ किया जा सकता है। लेज़र किरणों से विशेष प्रकार का शो किया जाता है। सन् 1960 में थोडर मेमाईन के द्वारा खोजी गई लेज़र किरणों से आँख के उखड़े हुए रैटीना को भी वापस अपने स्थान पर जोड़ा जा सकता है। यहाँ बनाए गए ‘अमेजिंग लिविंग मशीन’ नामक गैलरी में प्रवेश करते ही 12 फुट ऊँचे दिल का मॉडल दिखाई देता है और हृदय की धड़कन सुनाई देती है।

पारदर्शी मनुष्य के थियेटर में मानव शरीर के सभी अंमों की प्रक्रिया देखी और समझी जा सकती है। यहाँ सी०टी० स्कैन और ऑपरेशन भी मॉडलों की सहायता से किए जा सकते हैं। एच०आई०वी० एड्स से संबंधित एक अलग गैलरी बनाई गई है। ‘फन साइंस नाम’ की गैलरी में मूल वैज्ञानिक सिद्धान्तों को मनोरंजक ढंग से समझाया जाता है। वोर टैक्स की घूमन-धेरी से एक जगह खड़े रह कर भी घूमने का अनुभव किया जा सकता है। वरचुअल रिएलटी गैलरी और मेकअप के द्वारा अद्भुत अनुभव प्राप्त किए जा सकते हैं। यहाँ एक झील के बीचों-बीच टापू पर डायनासोर के 45 मॉडल भी हैं जो अपनी ओर खेलने के लिए बुलाते-से प्रतीत होते हैं। ज्वालामुखी का बहुत बड़ा मॉडल विशेष रूप से आकर्षक है।

‘साइंस सिटी’ के एक भाग में सौर ऊर्जा का ही प्रयोग किया जाता है। पनशक्ति केन्द्र में रणजीत सागर डैम से विद्युत् उत्पत्ति का तरीका दिखाने के साथ-साथ परमाणु शक्ति के उपयोगों को भी समझाया गया है। डिफैंस गैलरी में मिगन्टड, विजैन्ता टैंक, एल-टी स्वाति हवाई जहाज़ आदि रखे गए हैं। रात के समय आकाशीय पिंडों को टेलीस्कोप से दिखाने का प्रबन्ध किया गया है। पोलर सैटेलाइट लाँचिंग विहेकल का मॉडल उड़ान भरता हुआ दिखाई देता है।

साइंस ऑफ़ स्पोर्ट्स विभिन्न खेलों के वैज्ञानिक सिद्धान्तों को प्रकट करता है। जापान की बुलेट ट्रेन, कालका-शिमला रेल, दिल्ली की मैट्रो आदि के मॉडल रेलवे गैलरी में प्रदर्शित किए गए हैं। लाइफ श्रू दी एजिज़ से मनुष्य की विकास यात्रा को दर्शाया जाता है। जलवायु परिवर्तन से संबंधित शो भी इसमें दिखाए जाते हैं। वास्तव में ही यह साइंस सिटी सभी के आकर्षण का केन्द्र बनता जा रहा है।

यूटा सागा Summary In Hindi

यूटा सागा Summary In Hindi

“यूटा सागा” in English can be translated as “Utah Saga.” However, without more context, it’s challenging to provide a precise explanation or summary of what “Utah Saga” refers to. Read More Class 8 Hindi Summaries.

यूटा सागा Summary In Hindi

यूटा सागा पाठ का सार:

‘यूटा सागा’ प्राकृतिक आपदा से जुड़ी हुई एक कहानी है। जापान में भूकम्प अधिक मात्रा में आते हैं और समुद्र तल में तीव्र भूकम्प आने से सुनामी उठती है। सुनामी के कारण समुद्री जल स्थल पर तबाही लेकर आता है।

जापान के मियागी प्रान्त के तटवर्ती क्षेत्र के संदुई शहर में चौदह वर्ष का एक लड़का यूटा सागा रहता है। उसकी माँ अयूमी आँसूगा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है और पिता ओसामु दाज़ाई फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट में काम करते हैं। उनके घर में सम्पन्नता है। एक दिन अचानक भूकम्प आया। भूकम्प जोर से आया था। आसपास का सब कुछ हिलने लगा था। टेलीविज़न पर ‘सुनामी वार्निंग सेंटर’ से सुनामी से सम्बन्धित चेतावनी जारी करने की सूचना आ रही थी कि बिजली चली गई। यूटा ने रेडियो पर सुना। भूकम्प की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.9 थी जिसके कारण जान लेवा समुद्री लहरें तटीय क्षेत्रों की ओर तेजी से बढ़ रही थीं।

तरंगों को तट तक पहुँचने में केवल बारह मिनट बचे थे। यूटा ने अपनी मां का हाथ पकड़ा। वह बोला कि उनका घर सुनामी से बचने के लिए सुरक्षित नहीं था। वे दोनों तेज़ी से सड़क पर जूनियर हाई स्कूल की इमारत की ओर भागने लगे। वह इमारत आसपास की इमारतों में सबसे ऊँची थी। स्कूल की सीढ़ियाँ उन वृद्ध लोगों से अटी पड़ी थीं जो ऊपर चढ़ नहीं पा रहे थे। सीढ़ियों पर गिरी एक औरत ने यूटा का हाथ थाम कर कहा कि वह कम-से-कम उसके छोटे बच्चे को तो ऊपर ले जाए। यूटा ने बच्चे को गोद में लिया और अपनी माँ के साथ तीसरी मंजिल पर सुरक्षित जा पहुँचा। फिर वह भाग कर नीचे गया और बच्चे की माँ को भी खींचता हुआ ऊपर की ओर लपका। उसी समय सुनामी की भयंकर लहरें वहां पहुंच गईं पर यूटा उस औरत को ऊपर ले आया था। बच्चा अब अपनी माँ की गोद में था। सुनामी की तीस फुट ऊँची लहरें सब कुछ लील गई थीं।

एयरपोर्ट पर खड़े हवाई जहाज, लोगों से भरी रेलगाड़ी, कारें और लोग सब एक साथ बहे जा रहे थे। सारा शहर डूबता-सा दिखाई दे रहा था। अगले दिन बचाव कर्मियों ने स्कूल की इमारत में सुरक्षित लोगों को अस्थाई शरण-स्थल में पहुँचा दिया था। लाखों लोग बेघर हो गए थे। वे रोटी-पानी के लिए परेशान थे। यूटा के पिता उन्हें ढूंढ़ते हुए उन तक पहुँच गए थे। यह उनके धैर्य और संकल्प की घड़ी थी। पिता को कुछ ही देर बाद वापस न्यूक्लियर पावर प्लांट में वापस जाना था। सुनामी के कारण प्लांट के रिएक्टरों के कूलिंग सिस्टम की बिजली आपूर्ति रुक गई थी जिससे परमाणु ईंधन ठंडा नहीं रह पाया।

रिएक्टरों का तापमान तेजी से बढ़ने के कारण उनमें विस्फोट हो गया जिससे रेडिएशन सामान्य से कई गुणा निकलने लगा था। इससे जापान को ही नहीं बल्कि अन्य देशों को भी खतरा था। फुकुशिमा के पाँच लाख लोग शहर छोड़ चुके थे। एक लाख अस्सी हज़ार लोगों को शहर से दूर राहत शिविर में पहुँचाया गया था। परमाणु विकिरण से त्वचा पर जलन, ठंड लगना, आँखों में जलन, बुखार, अस्थमा, खाँसी, बोन तथा फेफड़ों के कैंसर का भय था। प्लांट में दो सौ कर्मचारी अपनी जान खतरे में डाल कर चार शिफ्ट में काम कर रहे थे। पिता ने यह भी कहा कि उन्हें पता नहीं था कि वे प्लांट से जीवित वापस आएंगे या नहीं।

अयूमी ने अपने पति का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि उन्हें पता ही था कि जापानी भाषा ‘फु कुशिमा’ का शाब्दिक अर्थ है ‘भाग्यशाली द्वीप’। इसलिए वहाँ आई मुसीबत से रक्षा करने वाले भाग्यशाली ही हुए। ऐसी आपदाएँ उनके राष्ट्रीय चरित्र को नहीं तोड़ सकती थीं। देश प्रेम ही उनकी सबसे बड़ी सम्पत्ति थी। यूटा ने भी अपने पिता को परमाणु योद्धा (न्यूक्लियर निंजा) कहते हुए उन्हें विदा किया।

नवयुवकों के प्रति Summary In Hindi

नवयुवकों के प्रति Summary In Hindi

The phrase “Navyuvako ke prati” can be translated to “Towards the Youth” in English. An introduction paragraph for a topic related to “Navyuvako ke prati” would typically encompass the idea of addressing or focusing on the youth, their needs, aspirations, challenges, or any initiatives, programs, or concerns directed towards them. Read More Class 8 Hindi Summaries.

नवयुवकों के प्रति Summary In Hindi

नवयुवकों के प्रति  का सार:

कवि देश के युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे युवाओ! सारे देश की दृष्टि उन पर ही लगी हुई है। सारी मानव जाति के गुणों की चमक तुम्हीं में जगमगा रही है। तुम्हारे बिना देश के उद्धार में योगदान और कौन दे सकता है ? तुम जरा देखो तो सही कि इस संसार में आजकल क्या हो रहा है। तुम जो कुछ भी शिक्षा प्राप्त करो उसे कार्य के रूप में बदल दो। तुम सब भक्त प्रह्लाद की इस बात को मन में धारण कर लो कि युवावस्था में ही ईश्वर के प्रति अपने भक्ति भावों को मन में रखना है।

प्राणियों का इन्सान का जन्म बहुत कठिनाई से प्राप्त होता है और जिनको प्राप्त होता भी है तो वह बहुत देर तक नहीं रहता। जीवन जीते हुए दो ही रास्ते मिलते हैं-असंयम और संयम। असंयम का रास्ता बुरा होता है और संयम का अच्छा। लेकिन मन प्रायः असंयम के रास्ते पर पहले चलने लगता है, इसका झुकाव उधर ही होता है। यदि इस रास्ते पर एक बार चलना शुरू कर दिया और तुम नहीं सम्भले तो फिर कभी भी नहीं सम्भल पाओगे। सदा सोच-विचार कर अच्छे और सही मार्ग पर ही चलना सीखो।

माँ का प्यार कविता Summary In Hindi

माँ का प्यार कविता Summary In Hindi

The poem “Ma Ka Pyar” is a touching expression of the profound love and affection a child has for their mother. It beautifully encapsulates the unconditional love, care, and sacrifices that a mother makes for her child. Read More Class 8 Hindi Summaries.

माँ का प्यार कविता Summary In Hindi

माँ का प्यार कविता का सार :

शिवाजी अपने कमरे में सो रहे थे। मालव जी नाम का एक बालक अपने हाथ में नंगी तलवार लिए हुए उनका वध करने के लिए आया। जैसे ही उसने शिवाजी पर वार करना चाहा वैसे ही तानाजी ने पीछे से आकर उसका हाथ पकड़ लिया। शिवाजी की नींद खुल चुकी थी। उन्होंने उस बालक से नाम पूछा तो उसने बताया कि वह मालव जी था। वध का प्रयास करने का कारण पूछने पर उसने बताया कि उसके पिता उनकी सेना में सिपाही थे। वे उनकी ओर से मुगलों से लड़ते हुए दो वर्ष पहले मारे गए थे। उनकी रोजी-रोटी का कोई भी और साधन नहीं था। उन्हें पेट-भर अन्न मिलना भी अब कठिन हो गया था। इन्सान सब कुछ सहन कर सकता है लेकिन पेट की आग नहीं। शिवाजी ने उससे पूछा कि यदि उन माँ-बेटे को इतना अधिक कष्ट था तो वे उसके पास सहायता के लिए क्यों नहीं आए थे। उसने उत्तर दिया कि जिस सिपाही ने उनकी सेना में भर्ती होकर उनका नाम उज्ज्वल किया था उसके बाल-बच्चों की देखरेख करना उनका कर्त्तव्य था।

उसने यह भी बताया कि उसे एक यवन ने उनकी हत्या के लिए कुछ इनाम देने का लालच दिया था। शिवाजी उसकी वीरता और निडरता पर मुग्ध हो गए थे। उन्होंने बनावटी क्रोध दिखाते हुए तानाजी से कहा कि उस बालक को जेलखाने में बंद कर दो और कल उसे मृत्यु-दंड दिया जाएगा। मालव जी ने शिवाजी से प्रार्थना की कि वह मरने से पहले एक बार अपनी माँ से मिलना चाहता था। यह शंका प्रकट करने पर कि वह वापस नहीं लौटेगा उसने कहा कि वह वीर पुत्र था और वह माँ के दर्शन करने के पश्चात् एक घंटे बाद अवश्य वहाँ आ जाएगा। शिवाजी ने उसे घर जाकर माँ से मिलकर लौट आने की आज्ञा दे दी। ठीक एक घंटे बाद बालक वापस आ गया। उसने बताया कि उसकी माँ उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। उसने उसे अपनी छाती से लगाया। उसने उसे वापस लौटने और मृत्यु दंड भोगने के बारे में उसे नहीं बताया था। मालव जी ने शिवाजी से प्रार्थना की कि वे उसकी माँ की देखरेख का सारा भार अपने ऊपर ले लें। शिवाजी ने यह सुनकर कहा कि वे वीरों का आदर करते हैं। वे अब तक उसकी परीक्षा ले रहे थे। उन्होंने उसके अपराध को क्षमा कर दिया और उसे बताया कि जैसे वह अपनी माँ के लिए चिन्तित था वैसे ही वे भारत माता के लिए चिन्तित थे और उसका दुःख दूर करना चाहते थे। मालव जी ने कहा कि जब तक उसके शरीर में जान है वह मातृभूमि की सेवा से कभी भी पीछे नहीं हटेगा।

बाबा साहेब अम्बेदकर Summary In Hindi

बाबा साहेब अम्बेदकर Summary

“Baba Saheb Ambedkar”, whose full name was Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar, was a prominent Indian jurist, social reformer, and politician who played a pivotal role in shaping modern India. Born on April 14, 1891, into a socially marginalized community, Ambedkar faced the pervasive discrimination and inequalities of the caste system from a young age. Read More Class 8 Hindi Summaries.

बाबा साहेब अम्बेदकर Summary In Hindi

बाबा साहेब अम्बेदकर पाठ का सार:

डॉ० भीमराव अम्बेदकर आधुनिक भारत के प्रमुख विधिवेत्ता, समाज सुधारक और राष्ट्रीय नेता थे। उनका जन्म 14 अप्रैल, सन् 1891 ई० को मऊ में हुआ जो अब मध्य प्रदेश में इन्दौर के पास स्थित है। वे महार जाति के थे। उनके पिता श्री राम जी राव एक सैनिक स्कूल के प्रधानाध्यापक थे। उन्होंने भीमराव को जीवन में आगे बढ़ने के उद्देश्य से उच्च शिक्षा दिलाने का संकल्प किया। बी० ए० की परीक्षा पास करने के बाद वे बड़ौदा राज्य की छात्रवृत्ति पर अमेरिका में अध्ययन के लिए गए। वहाँ उन्होंने पीएच० डी० की उपाधि प्राप्त की। अध्ययन के उपरान्त बड़ौदा लौटकर वे बड़ौदा महाराज के सैनिक सचिव बन गए। इसके बाद उन्होंने वकालत शुरू करने का इरादा बनाया। समाज में बराबरी के अधिकार के लिए उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया।

जब भारत आजाद हुआ तो पं० नेहरू ने उन्हें अपने मन्त्रिमण्डल में विधि मन्त्री बनाया। वे स्वतन्त्र भारत का संविधान तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष थे। उन्हीं के प्रयत्नों से समानता के मूल अधिकारों को सुरक्षित रखा गया। डॉ० अम्बेदकर के जीवन को देखकर यही सिद्ध होता है कि कोई भी व्यक्ति जन्म से नहीं बल्कि कर्म से महान् बनता है। कर्म करते रहने से व्यक्ति किसी भी उच्च स्तर तक पहुँच सकता है। लगभग तीस वर्षों तक देश के क्षितिज पर चमकने वाला यह नक्षत्र 6 दिसम्बर, सन् 1956 को सदा के लिए विलीन हो गया।

अंगुलिमाल Summary In Hindi

अंगुलिमाल Summary In Hindi

Angulimala, whose name means “finger necklace” or “finger garland,” is a figure from Buddhist history and legend. He is known as a fearsome and notorious serial killer who underwent a remarkable transformation through his encounter with the Buddha, Siddhartha Gautama. Read More Class 8 Hindi Summaries.

अंगुलिमाल Summary In Hindi

अंगुलिमाल कहानी का सार/सारांश:

महात्मा बुद्ध संसार-भर की भलाई की इच्छा अपने मन में रखते थे। इसी कारण वे लगभग पैंतालिस वर्ष तक एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहे थे । एक बार महात्मा बुद्ध घूमते-घूमते कौशल की राजधानी श्रावस्ती गए। वहाँ का राजा प्रसेनजित उनका शिष्य था। बुद्ध धर्मोपदेश देने वहाँ जाते थे। इस बार जब वे वहाँ गए तो राजा को परेशान पाया। पूछने पर उन्हें बताया कि अंगुलिमाल नामक डाकू मेरी प्रजा को परेशान कर रहा है। महात्मा बुद्ध ने राजा को धैर्य बंधाया और उस पर विजय प्राप्त करने का विश्वास दिलाया। वह डाकू बड़ा खतरनाक था। जनता में आंतक फैला हुआ था। वह सैंकड़ों लोगों को मार चुका था। हत्याओं की गिनती के लिए उसने हर एक की अंगुली काट कर माला बनाई हुई थी। वह माला उसने गले में पहन रखी थी। इसी कारण उसका नाम भी अंगुलिमाल रखा गया था। महात्मा बुद्ध राजा से विदा लेकर उस जगंल की ओर चले जहाँ वह डाकू रहता था। महात्मा बुद्ध अभी कुछ दूरी पर ही गए थे कि उन्हें जोर की आवाज़ सुनाई दी -‘ठहरो’। बुद्ध ने मुड़ कर देखा तो झाड़ियों को चीरता हुआ वह विकराल डाकू वहाँ आ पहुँचा जिसे देखते ही महात्मा बुद्ध समझ गए कि यह वही अंगुलिमाल डाकू है।

महात्मा बुद्ध ने प्यार से अंगुलिमाल की ओर देखा और कहा,”मैं तो ठहर गया तुम कब ठहरोगे।” अंगुलिमाल हैरान था कि यह कौन आ गया जो मेरे आगे डरने की बजाए मुस्कुरा रहा है। महात्मा बुद्ध फिर बोले , “बोल कब ठहरेगा ” महात्मा बुद्ध के इन शब्दों का उस पर जादू-सा प्रभाव पड़ा और वह घुटने टेक उनके आगे बोला ,” मैं आपकी बात नहीं समझा।” महात्मा बुद्ध ने उसे समझाया कि मैं तो इस संसार के दु:खों के बन्धन से मुक्त हो गया हूँ परन्तु तुम इस मार-काट के बन्धन से कब छुट्टी लोगे? यह सुनकर डाकू बुद्ध के पैरों पर गिर पड़ा और बोला ,”महात्मन् मुझे सही मार्ग बताइए।” महात्मा बुद्ध ने उसे शान्ति, दया तथा प्रेम का पाठ पढ़ा कर उसे अपना शिष्य बनाया और अपने प्रेम, दया और निर्मल हृदय से डाकू के कठोर हृदय को जीत लिया। इसके बाद उसने कभी भी कोई मारकाट एवं लूट-पाट का काम नहीं किया।

पथ की पहचान Summary In Hindi

पथ की पहचान Summary In Hindi

“Path Ki Pehchan” refers to the process of determining or recognizing a particular route or way to reach a destination or achieve a goal. It involves identifying the correct path or course of action among several options or possibilities. Path identification can be applied in various contexts, such as navigation, problem-solving, decision-making, or personal development. Read More Class 8 Hindi Summaries.

पथ की पहचान Summary In Hindi

पथ की पहचान कविता का सार/सारांश

‘पथ की पहचान’ कविता श्री हरिवंश राय ‘बच्चन’ की श्रेष्ठ रचना है। इसमें कवि मनुष्य को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे मनुष्य ! जीवन के मार्ग पर चलने से पहले तू उसकी पहचान कर ले, क्योंकि इसका ज्ञान लोगों के बताने या पुस्तकों से प्राप्त नहीं होगा। कुछ लोग जो जीवन-पथ पर अपने चिह्न छोड़ गए हैं, उनके आधार पर अपनी यात्रा आरम्भ करनी चाहिए। एक बार रास्ते में चलने के बाद अच्छे या बुरे का विचार नहीं करना चाहिए। दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इस रास्ते पर चलते हुए यह निश्चित नहीं कि कहाँ सुख मिलेंगे और कहाँ दुःख। कौन रास्ते में छोड़ जाएगा और कब तुम्हारी जीवनयात्रा समाप्त हो जाएगी। ये सारी बातें अनिश्चित हैं, परन्तु तू दृढ़ता के साथ आगे बढ़ता चल।

‘पथ की पहचान’ कविता श्री हरिवंश राय ‘बच्चन’ की श्रेष्ठ रचना है। इसमें कवि मनुष्य को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे मनुष्य ! जीवन के मार्ग पर चलने से पहले तू उसकी पहचान कर ले, क्योंकि इसका ज्ञान लोगों के बताने या पुस्तकों से प्राप्त नहीं होगा। कुछ लोग जो जीवन-पथ पर अपने चिह्न छोड़ गए हैं, उनके आधार पर अपनी यात्रा आरम्भ करनी चाहिए। एक बार रास्ते में चलने के बाद अच्छे या बुरे का विचार नहीं करना चाहिए। दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इस रास्ते पर चलते हुए यह निश्चित नहीं कि कहाँ सुख मिलेंगे और कहाँ दुःख। कौन रास्ते में छोड़ जाएगा और कब तुम्हारी जीवनयात्रा समाप्त हो जाएगी। ये सारी बातें अनिश्चित हैं, परन्तु तू दृढ़ता के साथ आगे बढ़ता चल।

बस चुप भली Summary In Hindi

बस चुप भली Summary In Hindi

“Bus Chup Bhali” translates to “Better Off Keeping Quiet” in English. This phrase or expression suggests that in certain situations. Read More Class 8 Hindi Summaries.

बस चुप भली Summary In Hindi

बस चुप भली पाठ का सार

युगों से समझदार लोग सभी प्रकार की मुसीबतों से बचने के लिए एक ही बात कहते आएं हैं कि ‘एक चुप सौ सुख’। जुबान पर लगाम लगाने से सभी काम शीघ्रता और शांति से पूरे हो जाते हैं लेकिन जुबान है कि मुँह में टिकती ही नहीं। जरा-सी बात पर गज भर लंबी हो कर यह बाहर निकल आती है और झगड़े का बड़ा कारण बन जाती है। बुजुर्गों की चुप रहने की नसीहत धरी-की-धरी रह जाती है। चुप रहना आसान नहीं है पर इसके फ़ायदे बहुत हैं।

मूर्ख और अनपढ़ कालिदास केवल चुप रहने के कारण सुंदर राजकुमारी का पति बन गया था और वहीं अपने युग का सबसे बड़ा दार्शनिक मन्सूर जोबस हर बात को बोलने के कारण फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। तभी तो रहीम को कहना पड़ा था कि जुबान अच्छी-बुरी सब बातें कह कर स्वयं तो दाँतों के पीछे मुँह में जा छिपती है और जूते बेचारी खोपड़ी को खाने पड़ते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के समय मुहल्ले के दो लोग लेखक के घर पधारे।

वे दोनों चाहते थे कि लेखक महोदय उनके लिए चुनावअभियान का सारा कार्यभार संभाल लें। लेखक ने उन दोनों को किन्हीं विशेष एहसानों के कारण साफ-साफ मना तो करना नहीं था, इसलिए उन्होंने उन्हें एक कागज़ पर लिख कर बताया कि वे मौन व्रत पर थे और अगले दिन बताएंगे कि वे उन दोनों में से किस के लिए काम करेंगे। अगले दिन सुबह-सवेरे वे दिल्ली चले गए और विवाद से बच गए। दफ़्तर में बिहारी लाल और मुरारी लाल ने आपस में जोरदार झगड़ा किया, तोड़-फोड़ भी कर दी। बड़े साहब ने उन दोनों के कहने पर लेखक को गवाह के रूप में बुलाया। संकट से बचने के लिए लेखक ने भयंकर खाँसी के दौरे का नाटक किया। लेखक को तो डिस्पैंसरी भेज दिया गया पर बिहारी-मुरारी दोनों की तरक्की रोक दी गई थी जिसका सारा दोष दोनों ने लेखक पर डाला।

एक बार मुहल्ले के कुछ बुजुर्गों ने अपने होनहार पुत्र को विवाह के लिए लड़की पक्ष को दिखाने हेतु लेखक का घर चुन लिया। लेखक चाह कर भी उन्हें ना नहीं कह सका जिसका परिणाम है कि अब उसका मेहमानखाना लड़के-लड़की वालों के आपसी झगड़ों का पंचायत घर बना हुआ है। लेखक का यही मानना है कि कोर्ट-कचहरी, शादी-मंगनी, चुनाव-उपचुनाव, सिफ़ारिश, गवाही, जमानत आदि से दूर ही रहना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जा सकता तो जुबान अवश्य खोलनी पड़ेगी और जुबान का रस तो निश्चित रूप से दुःखदायी होता ही है।

गुरु गोबिन्द सिंह जी Summary In Hindi

गुरु गोबिन्द सिंह जी Summary In Hindi

Guru Gobind Singh Ji, also known as Guru Gobind Singh Sahib, was the tenth and last of the Sikh Gurus. He lived from 1666 to 1708 and played a pivotal role in shaping Sikhism and the Sikh community. Read More Class 8 Hindi Summaries.

गुरु गोबिन्द सिंह जी Summary In Hindi

गुरु गोविंद सिंह का जीवन परिचय | गुरु गोविंद सिंह पर निबंध का का सार:

गुरु गोबिन्द सिंह जी सिखों के दशम गुरु थे। वे अनेक गणों के भंडार थे। वे धीर. वीर. त्यागी और तेजस्वी महापुरुष थे। उन्होंने देश धर्म की रक्षा के लिए अपने चारों पुत्रों का बलिदान दिया। वे महान् योद्धा थे। वे सूर्य के समान तेजस्वी थे। उन्होंने कायरों को वीर बनाया और वीरों को सिंह बना दिया था।

गुरु जी का जन्म 22 दिसम्बर, सन् 1666 ई० को पटना (बिहार) में हुआ। उनका बचपन का नाम गोबिन्द राय रखा गया। उनके पिता गुरु तेग़ बहादुर जी थे। उनकी माता जी श्रीमती गुजरी जी थीं। गोबिन्द राय जी का बचपन भी असाधारण था। शस्त्र और शास्त्र विद्या से उन्हें बड़ा प्रेम था।

गुरु तेग़ बहादुर परिवार सहित पटना से आनन्दपुर आ गए। देश में औरंगजेब का शासन था। भयभीत कश्मीरी गुरु तेग़ बहादुर जी की शरण में आए। उन्होंने हिन्दू-धर्म की रक्षा के लिए प्रार्थना की। गुरु तेग़ बहादुर जी ने कहा-“स्थिति किसी महापुरुष का बलिदान चाहती है।” पास बैठे नौं वर्षीय पुत्र गोबिन्द राय ने कहा-“पिता जी, आप से बढ़ कर बलिदान योग्य महापुरुष कौन हो सकता है ?” पुत्र की इच्छा को समझ कर गुरु जी ने दिल्ली पहुँच कर चाँदनी चौक में अपना शीश भेंट कर दिया।

श्री गोबिन्द राय ने 11 नवम्बर, सन् 1675 को गुरु-पद ग्रहण किया। उन्होंने गुरु-गद्दी पर बैठकर ही धर्म की रक्षा का बीड़ा उठाया। उन्होंने पाँच सिखों को संस्कृत पढ़ने के लिए काशी भेजा। सन् 1685 ई० में उन्होंने यमुना के किनारे एक किला बनवाया जिसका नाम पाऊँटा साहिब रखा गया। वहाँ गुरु जी ने अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाया। गुरु जी की बढ़ती शक्ति से पहाड़ी राजा उनके शत्रु बन गए। औरंगजेब भी क्रोधित हो उठा। सन् 1699 ई० में वैशाखी के दिन गुरु जी ने आनन्दपुर साहिब में दरबार सजाया। वहाँ आपने पाँच प्यारों का चुनाव किया। वहाँ खालसा पंथ की स्थापना की। गुरु जी ने अपना नाम गोबिन्द सिंह रखा। धर्म की रक्षा करने के लिए अन्याय तथा अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष किया। उन्होंने अपने चारों पुत्रों को देश धर्म के लिए बलिदान कर दिया।

गुरु जी ने औरंगज़ेब को फ़ारसी में एक पत्र लिखा। इसे ‘जफ़रनामा’ कहा जाता है। औरंगज़ेब को इसमें धिक्कारा गया था। गुरु जी नन्देड़ (महाराष्ट्र) में रहने लगे। वहाँ से उन्होंने बन्दा बहादुर को अत्याचार का दमन करने के लिए पंजाब भेजा। उसने सरहिन्द की ईंट से ईंट बजा दी। गुरु गोबिन्द सिंह जी 7 अक्तूबर, सन् 1708 ई० को स्वर्ग सिधार गए। उनके महान् आदर्श आज भी हमारे प्रेरणा स्रोत हैं।

मुँह बोले बेटे Summary In Hindi

मुँह बोले बेटे Summary In Hindi

The story named ‘Muh Bole Bete’ is a story that teaches the lesson of humanity. Two buses collided. One bus was going from Chandigarh to Shimla, the other from Shimla to Chandigarh. The driver of the Chandigarh bus was groaning, stuck in his seat, covered in blood. Dr. Sohan Lal Khanna was sitting on the ninth seat. Read More Class 8 Hindi Summaries.

मुँह बोले बेटे Summary In Hindi

मुँह बोले बेटे कहानी का सार/सारांश:

‘मुँह बोले बेटे’ नामक कहानी इन्सानियत का पाठ पढ़ाने वाली एक कहानी है। दो बसों में टक्कर हो गई। एक बस चण्डीगढ़ से शिमला जा रही थी, दूसरी शिमला से चण्डीगढ़। चण्डीगढ़ वाली बस का ड्राइवर खून से लथपथ अपनी सीट में फँसा कराह रहा था। डॉ० सोहन लाल खन्ना नौवीं सीट पर बैठे थे। वह शिमला जा रहे थे। वे नींद के झोंके में थे। जैसे ही टक्कर हुई वह अगली सीट से टकरा गए। खून की कुछ बूंदें टपक पड़ी। सभी सवारियों को अपनी जान के लाले पड़े थे। सभी बस से उतरने लगे। सब उतरने की जल्दी में थे। डॉ० सोहन लाल खन्ना सब के बाद बस से उतर सके। उनका रुमाल खून से तर-बतर हो चुका था। बस से उतरने पर दो युवक खन्ना साहब की ओर बढ़े। एक ने उनका अटैची थाम लिया और दूसरे ने बैग।

पुलिस की सूचना पर एक एम्बुलेंस की गाड़ी आई। वह छः घायलों को अस्पताल ले गई। इनमें एक महिला भी थीं। रोकने पर भी कोई वाहन वहाँ न रुकता था। लोग दुर्घटना के लिए कंकरीट को दोष दे रहे थे। खन्ना साहब को यह डर था कि कहीं दोनों युवक सामान लेकर चंपत न हो जाएं। युवकों के अनुरोध पर खन्ना साहिब ने पहाड़ी सड़क पर चढ़ने का इरादा बना लिया। एक किलोमीटर चलने के बाद तिराहा आया। इतने में एक वैन आई। उसका ड्राइवर एक सिक्ख नौजवान था। वह उन्हें अस्पताल तक पहुँचाने को तैयार हो गया। दोनों युवक और खन्ना साहब उसमें सवार हो गए। दस-बारह मिनट बाद वैन एक चौड़ी सड़क पर जा रुकी। अब तीनों अस्पताल तक पहुँचने के लिए छोटे रास्ते पर चल पड़े। खन्ना साहब अब भी शंकित थे। थोड़ी देर में एक सरकारी अस्पताल में पहुँच गए। डॉक्टर ने खन्ना साहब को स्ट्रेचर पर लिटाया और चोट पर दवाई का फाहा रख दिया। डॉक्टर के कहने पर एक नौजवान दवाइयों वाली दुकान से टीका खरीद लाया।

खन्ना साहब की कमर में टीका लगाया गया। खन्ना साहब ने स्वस्थ मन से कहाअब वह ठीक है। पहाड़ी-साहित्य-गोष्ठी का समय दस बजे था। खन्ना साहब ने कहाडॉक्टर साहब आपका भी धन्यवाद है, और इन दोनों बेटों का भी। उन्होंने लड़कों से कहा बेटा ! इंजैक्शन कितने का आया ? अपने पैसे ले लो। मुझे एक कुली कर दो, जो पंचायतभवन पहुँचा दे। एक युवक ने हँसते हुए कहा-हम ही आपको पंचायत भवन पहुँचाएंगे।

दूसरे ने कहा-वहीं आपसे इंजैक्शन के पैसे ले लेंगे। डॉक्टर की फीस और माल ढुलाई का भाड़ा भी लेंगे। तीनों पंचायत भवन की ओर चल पड़े। पूछने पर दोनों युवकों ने बताया कि वे बी० ए० पास थे और वे किसी नौकरी की तलाश में थे। अब खन्ना साहब पंचायत भवन पहुँच गए थे। खन्ना साहब ने लड़कों को पचास रुपये का नोट देते हुए कहा-‘बेटा’, यह लो दवाई के पैसे। अपने घर का पता बता दो। युवकों ने कहा-आपने हमें बार-बार बेटा कहा है। पैसे देकर हमारी इन्सानियत पर धब्बा न लगाएं। खन्ना साहब के मन में उन ‘मुँह बोले बेटों’ के सद् कारनामे याद आने लगे।

पेड़ कविता Summary In Hindi

पेड़ कविता Summary In Hindi

a Ped Kavitha” is a perennial plant with an elongated stem, or trunk, usually supporting branches and leaves. In some usages, the definition of a tree may be narrower, including only woody plants with secondary growth, plants that are usable as lumber or plants above a specified height. In wider definitions, the taller palms, tree ferns, bananas, and bamboos are also trees. Read More Class 8 Hindi Summaries.

पेड़ कविता Summary In Hindi

पेड़ कविता का सार/सारांश:

‘पेड़’ डॉ० योगेन्द्र बख्शी के द्वारा रचित कविता है। इसमें कवि ने पेड़ों की महिमा का गान किया है। पेड़ पर्यावरण की रक्षा करते हैं। इन्हीं से वायु स्वच्छ होती है। संसार को धुएँ और धूल से दूर करके यही रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। पेड़ हरियाली लाते हैं। यही वर्षा लाते हैं और अन्न पैदा करते हैं। झुलसती गर्मी में ये पथिकों को छाया प्रदान करते हैं। हमें मधुर फल भी पेड़ से प्राप्त होते हैं। पेड़ ही जीव-जन्तुओं और पक्षियों को सहारा देते हैं।

पर्यावरण को स्वच्छ बनाकर सभी प्राणियों को सुख पहुँचाते हैं। पीपल, बरगद युगों से हकीम बन कर प्राणियों के रोग दूर करते आए हैं। नीम अनेक रोगों को दूर करता रहा है और वह हमारा बड़ा चिकित्सक सिद्ध होता है। पेड़ तो सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी के समान है। मनुष्य की लोभी नज़रें इसी पर कुल्हाड़ा चला रही हैं। वन-सम्पदा को जो भी नष्ट करता है, वह मानवता का भक्षक है। पेड़ धरती की विभूतियाँ हैं। इनकी रक्षा करना सबका कर्त्तव्य है।