हमारा स्वास्थ्य Summary in Hindi

“हमारा स्वास्थ्य” एक महत्वपूर्ण पहलू है जो हमारे जीवन की क्षमताओं और खुशियों को प्रभावित करता है। इसका मतलब नहीं है केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य भी शामिल है। यह कहानी हमें स्वस्थ जीवन की महत्वपूर्ण बातें सिखाती है।

हमारा स्वास्थ्य Summary in Hindi

हमारा स्वास्थ्य पाठ का सार

दुनिया में सबसे पहला सुख नीरोगी काया है। यदि हम स्वस्थ हैं तो सब कुछ अच्छा लगता है, सारे काम फुर्ती से हो जाते हैं, लेकिन यदि स्वास्थ्य ठीक न हो तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। तन और मन को स्वस्थ रखने के लिए स्वच्छ रहने की आवश्यकता है।

हमारा स्वास्थ्य Summary images

अपने शरीर की सफाई के लिए हमें शरीर के सभी अंगों को साफ़ रखना चाहिए। रोज़ाना नहाना चाहिए। नहाते समय अपनी त्वचा के अनुसार साबुन का प्रयोग करना चाहिए। इससे शरीर की मैल भी धुलती है और शरीर के रोम-छिद्र भी खुलते हैं। शौच के बाद हाथ साबुन से अवश्य धोने चाहिएं। हाथ-मुँह पोंछने के लिए अपना ही तौलिया प्रयोग करना चाहिए। किसी दूसरे के तौलिये का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तन के साथ-साथ कपड़ों की सफ़ाई भी आवश्यक है। हमेशा साफ़-सुथरे और इस्त्री किए हुए कपड़े ही पहनने चाहिएं।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें सन्तुलित आहार खाना चाहिए। हरी सब्जियाँ, दालें, फल, दही, पनीर तथा अंकुरित अनाज नियमित रूप से खाना चाहिए। इन सबसे हमारे शरीर में ऊर्जा आती है। दूध अपने आप में सन्तुलित आहार है। इसका सेवन सुबहशाम अवश्य करना चाहिए। खाने की वस्तुएँ ढकी हुई होनी चाहिए। फल और सब्जियों को प्रयोग में लाने से पहले धो अवश्य लेना चाहिए। पानी भी साफ़-सुथरा ही पीना चाहिए। जहाँ तक हो सके पानी को छानकर या उबालकर पीना चाहिए। हमें दिन में आठ-दस गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए। इससे चेहरे और आँखों में चमक आती है।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करना आवश्यक है। इससे शरीर भी स्वस्थ रहता है और मन भी स्वस्थ रहता है। व्यायाम हमें खुली हवा में करना चाहिए। मन में सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। सकारात्मक सोच के लिए अच्छी प्रेरणादायक तथा महापुरुषों की जीवनियाँ पढ़नी चाहिएं। तन और मन की सफ़ाई के साथ-साथ घर की सफ़ाई भी आवश्यक है। घर को झाड़ लगाकर फ़िनायल डालकर पोंछा लगाना चाहिए। सभी चीजें अपने-अपने स्थान पर रखी रहनी चाहिएं। अस्तव्यस्त चीजें हों तो मन की एकाग्रता पर भी असर पड़ता है और आवश्यकता पड़ने पर समय पर वस्तु न मिलने से घर में झगड़ा भी होता है। घर का कूड़ा-कर्कट ढक्कनदार डिब्बे में ही डालना चाहिए। गड्ढों में और नालियों में पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। कूलर, बाल्टियों और डिब्बों में, पानी की टंकियों में पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। इन सब बातों को अपनाते हुए हम अपने आपको सदा स्वस्थ रख सकते हैं। कहा भी गया है-तन्दुरुस्ती हज़ार नियामत है।

Conclusion:

“हमारा स्वास्थ्य” कहानी हमें यह सिखाती है कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी धन और समृद्धि है। यह हमारी शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक स्वास्थ्य का महत्व प्रमोट करती है और हमें अपनी देखभाल का सामग्री देती है। इसका संदेश है कि हमें स्वस्थ जीवन की प्राथमिकता बनानी चाहिए ताकि हम खुश, सकुशल, और सफल जीवन जी सकें।

हम सुमन एक उपवन के Summary In Hindi

हम सुमन एक उपवन के Summary In Hindi

“हम सुमन एक उपवन के” एक कहानी है जो एक उपवन में बसे वनवासियों की जीवन यात्रा को दर्शाती है। इस कहानी में प्राकृतिक सौंदर्य और आत्म-आवश्यकता के महत्व को उजागर किया जाता है।

हम सुमन एक उपवन के Summary In Hindi

हम सुमन एक उपवन के पाठ का सार

कवि हम सब मनुष्यों को फूल के समान मान कर कहता है कि यह धरती हम सबकी है जिस पर हमने जन्म लिया है। इस पर रहते हुए समान रूप से धूप-पानी हमने प्राप्त किया है। हवा के झूलों में हम झूले हैं। सूर्य और चाँद ने हमारे प्रति एक-सा अच्छा व्यवहार किया है। हमें भंवरों-सी मीठी आवाज़ प्राप्त हुई है। चाहे हमारे रूप-रंग अलग-अलग हैं पर हम सब धरती रूपी इस उपवन की शोभा हैं। इस आसमान के नीचे रहने वाले हम सब का ईश्वर रूपी माली एक ही है। कष्टों में रहकर भी हमने हंस-हंस कर जीना सीखा है। हम चाहे अमीर हों या गरीब हमने एक साथ मिल-जुल कर रहना सीखा है।

Conclusion:

“हम सुमन एक उपवन के” एक गहरे धार्मिक और दार्शनिक संदेश के साथ एक प्राकृतिक जीवन की महत्वपूर्ण कहानी है। इससे हमें प्राकृतिक संरक्षण और सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका का संदेश मिलता है।

नगर की सुंदरता Summary in Hindi

नगर की सुंदरता Summary in Hindi

“नगर की सुंदरता” एक कविता है जो विशेष तरीके से शहरों की जीवंत और विविधता को स्वरूपित करती है। इसके माध्यम से कवि नगर के विचारशीलता, गति, और जीवन की आकर्षण भरी दृश्यरूपता को बयां करते हैं। यह कविता हमें शहरी जीवन की सुंदरता को समझने के लिए एक नए दृष्टिकोण प्रदान करती है।

नगर की सुंदरता Summary in Hindi

नगर की सुंदरता पाठ का सार

महाराज कृष्णदेव विजयनगर को साफ़-सुथरा और सुन्दर बनाना चाहते थे। उन्होंने अपने मन्त्री को अपनी इच्छा बताई। महाराज की आज्ञा का पालन करते हुए मन्त्री विजयनगर को सजाने-सँवारने में लग गया। कुछ ही दिनों में विजयनगर की सुन्दरता की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी। दूर-दूर से लोग उसकी सुन्दरता को देखने के लिए आने लगे। इससे महाराज बहुत ही खुश हुए। उन्होंने विजयनगर की सुन्दरता के बारे में दरबारियों की राय माँगी तो सभी दरबारियों ने एक ही स्वर में कहा कि विजयनगर की सुन्दरता में हमें कोई कमी नहीं दिखाई। देती। सभी ने विजयनगर की प्रशंसा की, लेकिन तेनालीराम चुपचाप बैठा रहा। उसे चुप बैठे देखकर महाराज ने कहा, “तेनालीराम, चारों ओर विजयनगर की प्रशंसा हो रही है, लेकिन तुम गुमसुम क्यों हो ?” तेनालीराम ने कहा कि महाराज विजयनगर की सुन्दरता में कुछ कमी रह गई है।

नगर की सुंदरता Summary images

महाराज के पूछे जाने पर कि क्या कमी रह गई है, तेनालीराम ने इसके उत्तर में कहा कि उस कमी को देखने के लिए आपको मेरे साथ नगर का भ्रमण करना पड़ेगा। महाराज ने कहा कि यदि तुम कमी को सिद्ध नहीं कर पाए तो तुम्हें मृत्यु दण्ड दिया जाएगा। तेनालीराम महाराज को लेकर एक बस्ती की ओर गये। बस्ती में पहुँचने पर मंत्रियों के चमचे तो महाराज की जय-जयकार करने लगे, लेकिन प्रजा में कोई उत्साह नहीं था। आगे बढ़ने पर महाराज ने अँधेरा ही अँधेरा देखा, वहाँ का माहौल बहुत-ही गन्दा था, लोग तरह-तरह की बीमारियों से पीड़ित थे। प्रजा को दुखी देखकर महाराज का दिल रो पड़ा। उन्होंने दुखी होकर तेनालीराम की ओर देखा।

तेनालीराम ने बताया कि नगर को सुन्दर बनाने के प्रयास में प्रजा की अनदेखी हुई है। महाराज ने तुरन्त आदेश दिया कि प्रजा के सुन्दर जीवन के बिना विजयनगर की सारी सुन्दरता बेकार है। अत: नगर की गन्दी बस्तियों को साफ़ किया जाए, बीमारों का इलाज करवाया जाए और बढ़े हुए करों को वापिस ले लिया जाए। महाराज के आदेश को तुरन्त अमल में लाया गया। नगर को सुन्दर बनाने का अभियान चल पड़ा। तेनालीराम का भी बहुत मान-सम्मान होने लगा।

Conclusion:

“नगर की सुंदरता” कविता हमें शहरों की जीवंत और विविध जीवनशैली की महत्वपूर्ण भूमिका को याद दिलाती है। यह हमें शहरों में छुपी सुंदरता को देखने और महसूस करने की प्रेरणा देती है।

जब मैं पढ़ता था Summary in Hindi

जब मैं पढ़ता था Summary in Hindi

“जब मैं पढ़ता था” एक किताब या कहानी के आरंभिक अनुच्छेद को संक्षेप में दर्शाता है, जो लेखक के पढ़ाई के दिनों की यादें और अनुभवों को साझा करता है। यह कहानी पढ़ाई और शिक्षा के महत्व को प्रमोट करती है।

जब मैं पढ़ता था Summary in Hindi

जब मैं पढ़ता था पाठ का सार

महात्मा गाँधी अपने जीवन के विषय में बताते हैं कि उनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी तथा माता का नाम पुतली बाई था। पिता सत्यप्रिय, साहसी और उदार व्यक्ति थे। माता आस्तिक और अच्छे स्वभाव की महिला थीं। पोरबंदर में जन्म लेकर उन्होंने स्कूली शिक्षा राजकोट में प्राप्त की।

जब मैं पढ़ता था Summary Images

बचपन में ‘श्रवणपितृभक्ति’ नामक पिता के द्वारा लाई पुस्तक को पढ़कर और श्रवण कुमार की शीशे में तस्वीर देख श्रवण कुमार की तरह बनने की इच्छा तेज़ हो गई थी। वे हरिश्चन्द्र की सत्यवादिता से बहुत प्रभावित हुए थे। तेरह वर्ष की आयु में उनका विवाह कस्तूरबा से हो गया था। शिक्षा प्राप्ति में उन्होंने सुलेख का महत्त्व समझा। अपने संस्कृत-अध्यापक की प्रेरणा से उन्होंने संस्कृत सीखी। पढ़ाई में ये सामान्य थे। इनका मन व्यायाम करने, क्रिकेट या फुटबाल खेलने में नहीं लगता था। ये अपने पिता की सेवा करना चाहते थे। एक बार आकाश में बादलों के कारण ये समय का ठीक अनुमान नहीं लगा पाए थे और शाम के व्यायाम के लिए ठीक समय पर न पहुँच पाने के कारण इन्हें जुर्माना देना पड़ा था जिसका इन्हें दुख था कि झूठा न होने पर भी उन्हें दंडित किया गया, तब उन्होंने जाना था कि सच बोलने वाले को असावधान भी नहीं रहना चाहिए।

Conclusion:

“जब मैं पढ़ता था” कविता हमें बचपन की पढ़ाई के लम्हों की यादों को जीवंत करती है और शिक्षा के महत्व को महसूस कराती है। इसके माध्यम से हमें ज्ञान और सीखने की महत्वपूर्ण भूमिका का आदर करने का संदेश मिलता है।

मेरी अभिलाषा है Summary in Hindi

मेरी अभिलाषा है Summary in Hindi

“मेरी अभिलाषा है” एक गाने का शीर्षक हो सकता है जो व्यक्ति की इच्छाओं, सपनों, और आकांक्षाओं को दर्शाने का संदेश पहुंचाता है। यह गाना व्यक्ति के जीवन में सफलता और संवाद की उम्मीद को जताता है।

मेरी अभिलाषा है Summary in Hindi

मेरी अभिलाषा है पाठ का सार

‘मेरी अभिलाषा है’ नामक कविता में कोई बालक प्रकृति के अद्भुत गुणों से प्रभावित होकर स्वयं वैसा बनना चाहता है। वह सबको सुख बाँटना चाहता है। वह सूरज के समान दमकना, चाँद के समान चमकना और तारों की तरह झिलमिलाना चाहता है। उसकी इच्छा है कि वह फूलों की तरह सुगंध फैलाए और पक्षियों की तरह वह सदा चहकता रहे। कोयल की तरह उसकी आवाज़ सबको प्रसन्नता प्रदान करे। वह आकाश जैसी स्वच्छता, चन्द्रमा जैसी ठंडक, धरती-सी सहनशीलता और पर्वत-सी स्थिरता पाना चाहता है। वह बादलों-सा उपकारी बनना चाहता है। सागर की लहरों की तरह लहराना चाहता है और दूसरों की सेवा में स्वयं को अर्पित कर देना चाहता है।

Conclusion:

“मेरी अभिलाषा है” एक गीत है जो हमें यह याद दिलाता है कि हर व्यक्ति के जीवन में सपने और आकांक्षाएं होती हैं, जिन्हें पूरा करने का दृढ़ संकल्प रखना चाहिए। यह हमें यह सिखाता है कि संघर्षों और प्रतिक्रियाओं के बावजूद, अपने लक्ष्यों की प्राप्ति संभव है और संवाद की साधना उन्हें हासिल करने में मदद कर सकती है। इस गाने के संदेश से हमें आत्म-समर्पण और संघर्ष के माध्यम से सपनों को हकीकत में बदलने की प्रेरणा मिलती है।

बाल लीला Summary in Hindi

बाल लीला Summary in Hindi

“बाल लीला” एक प्रमुख हिंदू धार्मिक कथा है, जिसमें भगवान कृष्ण के बचपन की खिलखिलाहट और लीलाएँ प्रस्तुत की जाती हैं। यह कथा भगवान कृष्ण के अद्वितीय चरित्र और उनके भक्तों के साथ की आवाज के रूप में मानी जाती है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

बाल लीला Summary in Hindi

बाल लीला पदों का सार

पहले पद में श्रीकृष्ण खेल में श्रीदामा से हार जाते हैं पर श्री कृष्ण अपनी हार नहीं मानते। श्रीदामा ने उनसे कहा कि वे जात-पात में उनसे बड़े नहीं और नहीं वे उनके घर से मांग कर खाते हैं। उनके पिता के पास कुछ गउएं अवश्य अधिक हैं। जो खेल में झगड़ा करता है उसके साथ कौन खेलना पसंद करेगा। श्रीकृष्ण अभी खेलना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपनी हार मान कर बारी दे दी। दूसरे पद में श्रीकृष्ण अपनी माँ से शिकायत करते हैं कि उन्होंने माखन की चोरी नहीं की। वे तो सवेरे-सवेरे गाय ले कर चराने के लिए चले गए थे। वे तो छोटे-से बालक थे और किसी भी प्रकार छींके तक नहीं पहुंच सकते थे। ग्वालों के कुछ बालक उनसे दुश्मनी करते हैं। उन्होंने उनके मुंह पर मक्खन लगा दिया था। माँ पर दोष लगाते हुए कहते हैं कि वह भी पराया समझ कर उन पर आरोप लगाती है। यशोदा माता ने श्रीकृष्ण की बातें सुनकर उन्हें अपने गले से लगा लिया।

Conclusion:

“बाल लीला” एक महत्वपूर्ण हिंदू कथा है जो भगवान कृष्ण के जीवन की अनमोल छवि को प्रस्तुत करती है। इस कथा के माध्यम से हमें दिव्य भक्ति, नीति, और धार्मिक शिक्षा के महत्व का अद्वितीय संदेश मिलता है।

ईमानदार बालक Summary In Hindi

ईमानदार बालक Summary In Hindi

“ईमानदार बालक” एक उपन्यास है जो मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया था। यह कहानी एक आदर्श और समाजिक संदेश के साथ एक छोटे से गांव के एक ईमानदार बच्चे के जीवन को प्रस्तुत करती है, जो भ्रष्टाचार और निर्वाचनों के माध्यम से सच्चाई को बचाने के लिए संघर्ष करता है। इस उपन्यास से हमें ईमानदारी, साहस, और समाजसेवा की महत्वपूर्ण भूमिका का अद्वितीय दर्शन मिलता है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

ईमानदार बालक Summary In Hindi

ईमानदार बालक पाठ का सार

बसंत नाम का एक गरीब लड़का थैले में रख कर सामान बेच रहा था। थैले में बटन, छन्नी, दियासलाई जैसे छोटे-छोटे सामान थे। उसने मज़दूर नेता राज किशोर से कुछ सामान खरीदने का आग्रह किया। वे उससे एक छन्नी लेकर नोट देते हैं। छुट्टे पैसे लेने के लिए वह गया पर काफ़ी समय तक लौट कर नहीं आया। अपने परिचित कृष्ण कुमार के कहने पर वे घर वापस चले गए कि कोई उन्हें ठग कर ले गया। काफ़ी देर बाद प्रताप नाम का एक युवक उनके घर आया। उसने उनके बचे हुए पैसे उन्हें लौटाए और बताया कि बसंत उसका भाई था जो पैसे भुना कर लाते समय एक बस के नीचे आ गया था। उसके दोनों पाँव कुचले गए। उसके माता-पिता पहले ही दंगों में मारे जा चुके थे। राजकिशोर एक डॉक्टर को ले कर उस के घर गए और उसकी ईमानदारी के विषय में डॉक्टर को बताया।

Conclusion:

“ईमानदार बालक” एक उपन्यास है जो हमें ईमानदारी की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाता है। इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि ईमानदार और सत्य के प्रति स्थिर रहना हमारे आचारगत और समाजिक जीवन में महत्वपूर्ण है। इससे हमें समाज में सुधार और न्याय की ओर बढ़ने का संदेश मिलता है कि हमें अपने मूल्यों और ईमानदारी पर पकड़ मजबूत रखना चाहिए।

बाबूजी बारात में Summary in Hindi

बाबूजी बारात में Summary in Hindi

“बाबूजी बारात में” एक हास्य फिल्म है जो एक परिवार की बेटी की शादी के मौके पर घटित होने वाली घटनाओं को दिखाती है। इस फिल्म में मुख्य पात्री बाबूजी और उनके परिवार के सदस्यों के बीच हँसी और गम के पल प्रस्तुत किए जाते हैं। यह एक मनोरंजनीय फिल्म है जिसमें परिवार के महत्व को बड़े रूप में प्रमोट किया गया है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

बाबूजी बारात में Summary in Hindi

बाबू जी बारात में पाठ का सार

बाबू गजनन्दन लाल पुरानी दिल्ली में रहते थे। उनका वज़न दो मन बीस सेर था। एक बार बस के दरवाज़े में फंस गए। खूब हंसाई हुई। एक बार इन्हें अपने मित्र के लड़के की बारात में जाना पड़ा। बड़े दरवाज़े वाली बस थी। गजनन्दन लाल उस में सवार हुए तो खूब . ठहाके लगे। एक मित्र ने पूछा-बाबू जी आप उदास क्यों हैं ? गजनन्दन लाल बोले-मेरी मां का कहना है कि तू दिन पर दिन सूखता जा रहा है। खुराक घट रही है।

बारात में संकोच मत करना। खूब खाना-पीना। उन्होंने आगे कहा कि बारात में जाने के लिए एक सप्ताह में आधे दिन का उपवास कर रहा हूं। बाराती यह सुनकर खूब हंसे।। अचानक झटके के साथ बस रुकी। ड्राइवर ने आकर कहा-आप सब लोग नीचे उतर जाएं। पहिए में पंक्चर हो गया है। जब बाबू गजनन्दन लाल को धमक चाल से नीचे उतरते देखा तो वहां इकट्ठे हुए देहाती हंसते हुए कहने लगे-“हम भी कहें कि नई बस क्यों बिगड़ी। यह हाथी का बच्चा इस में सवार जो था।” एक ने बाबूजी से उनका वज़न पूछ लिया तो कहने लगे-बहुत कमजोर हो गया हूं। स्टेशन पर तोला गया तो दो मन पांच सेर निकला। बाबू जी ने कहा-तुम लोग खेत में अनाज उगाते नहीं तो खाऊंगा क्या ? इससे सभी हंस पड़े।

बारात अपने निश्चित स्थान पर पहुंच गई। सभी की निगाहें वर की बजाय बाबू गजनन्दन लाल पर लगी थीं। जब नाश्ते का बुलावा आया तो बाराती परोसने को न-न कर रहे थे, परन्तु बाबू जी खूब लूंस-ठूस कर पेट भर रहे थे। कह रहे थे-सब मेरी तरफ आने दो।

बारात धूम-धाम से चढ़ी। सभी बाबू जी को देखकर लोट-पोट हो रहे थे। सभी बहू को मुस्कराने के लिए कह रहे थे, ताकि फ़ोटो खींची जा सके। उसके चेहरे पर मुस्कराहट नहीं आ रही थी। जब गजनन्दन लाल ने कहा-बेटी जरा मेरी ओर देखो। बहू ने जब बाबू जी को देखा तो वह खिलखिला उठी। फिर फ़ोटोग्राफर से कहकर उन्होंने अपनी भी एक फ़ोटो उतरवाई, जिस पर लिखा हुआ है-बाबू गजननन्दन लाल बारात में।

Conclusion:

“बाबूजी बारात में” एक मनोरंजनीय फिल्म है जो परिवार के महत्व को सुंदरता और हास्य के साथ प्रस्तुत करती है। इस फिल्म के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन के महत्वपूर्ण मोमेंट्स पर परिवार का साथ और समर्पण हमारे जीवन को खुशियों से भर देता है। इसका संदेश है कि बिना किसी शानदार बारात के भी, परिवार ही असली ख़ुशियों का स्रोत होता है।

आत्म बलिदान Summary In Hindi

आत्म बलिदान Summary In Hindi

“आत्म बलिदान” एक महान आदर्श है जो व्यक्ति या समुदाय के लिए अपनी जीवन की बलिदान करने का प्रतीक है, जिससे समाज में सेवा और परोपकार की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

आत्म बलिदान Summary In Hindi

आत्म बलिदान लघु नाटिका का सार

आकाश में घने काले बदल छाए हुए थे। कुछ समय बाद तेज वर्षा होने लगी धौम्य ऋषि ने अपने शिष्य आरुणी को अपनी चिंता से परिचित कराया कि ऐसे ही मूसलाधार वर्षा होती रही तो खेत की मेंड़ टूट जाएगी। आरुणी मेंड़ को टूटने से बचाने के लिए चला गया पर वह संध्या होने तक वापस नहीं लौटा। ऋषि का दूसरा शिष्य उपमन्यु वर्षा रुकने के बाद कुटिया में वापिस आया। उसने फूल लाने के लिए बाहर जाना चाहा तो ऋषि ने बताया कि आरुणी वहीं था और फूल अवश्य ले आया होगा। बाद में ऋषि को याद आया कि उन्होंने उसे मेंड़ देखने के लिए भेजा था। धौम्य ऋषि और उपमन्यु दोनों तेजी से खेत की ओर गए।

आवाज़ देने पर पीछे वाले खेत से आरुणी की आवाज़ आई। वहां मेंड की जगह आरुणी ठंड से कांपता हुआ लेटा था। उसने बताया कि पानी के तेज बहाव के कारण मेंड़ बह गई थी और मिट्टी से उसे रोकना कठिन था। खेत का मिट्टी की रक्षा के लिए वह उसे स्वंय लेट गया था। ऋषि धौम्य उसकी कर्तव्यनिष्ठा और गुरु भक्ति से अपार प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया।

Conclusion:

इस आत्म बलिदान के आदर्श से हमें यह सिखने को मिलता है कि सेवा और समर्पण समाज के सुधारने में महत्वपूर्ण हैं और हमें अपने जीवन को दूसरों की सहायता में उपयोगी बनाना चाहिए। इसके माध्यम से हम सभी एक उत्कृष्ट और सामाजिक सदस्य बन सकते हैं जो समृद्धि और संवाद को बढ़ावा देते हैं।

साथी हाथ बढ़ाना Summary In Hindi

साथी हाथ बढ़ाना Summary In Hindi

“साथी हाथ बढ़ाना” एक प्रसिद्ध हिंदी कविता है, जो आदित्य चौधरी द्वारा रची गई है। इस कविता में साथी और आपसी सहायता के महत्व को उजागर किया गया है, और यह समझाने का प्रयास किया गया है कि समर्थन और एकजुटता समस्याओं को पार करने में कितना महत्वपूर्ण होता है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

साथी हाथ बढ़ाना Summary In Hindi

साथी हाथ बढ़ाना कविता का सार

कवि कहता है कि साथियो, सहायता के लिए अपने हाथ बढ़ाओ। अकेला व्यक्ति काम करते-करते थक जाता है पर मिल कर करने से काम जल्दी हो जाता है। जब भी परिश्रम करने वालों ने मिल कर काम किया तब ही असंभव काम भी संभव हो गए। परिश्रम ही हमारे भाग्य की रेखा है इसलिए उससे कभी नहीं डरना चाहिए। जीवन की राह में परिश्रम करते हुए सुख-दुख दोनों मिलते हैं इसलिए दुःखों से कभी नहीं डरना चाहिए। परिश्रम का रास्ता ही सबसे अच्छा रास्ता है। एक-एक बूंद मिलने से नदियाँ बनती हैं और रेत के कणकण से रेगिस्तान बन जाता है। राई जैसे छोटे-छोटे कण पर्वत का निर्माण कर सकते हैं। हम इन्सान मिलकर काम करें तो हम भाग्य को भी अपने वश में कर सकते हैं।

Conclusion:

“साथी हाथ बढ़ाना” कविता का संक्षेपन करते समय, हम यह समझते हैं कि साथ मिलकर किसी भी मुश्किल को पार करने में हमें सफलता मिलती है। इस कविता ने हमें यह सिखाया है कि सहयोग और साथीता किसी भी कठिनाइयों को आसानी से अवाब देने में मदद कर सकते हैं।

मैराथन की दौड़ Summary In Hindi

मैराथन की दौड़ Summary In Hindi

“मैराथन की दौड़” एक हिंदी कहानी है जो एक लड़के की मेहनत, संघर्ष, और समर्पण को दर्शाती है, जब वह मैराथन दौड़ में भाग लेने का सपना देखता है। कहानी में उसके संघर्षों और सफलता के पीछे की कहानी होती है, जो एक प्रेरणास्पद संदेश के साथ आती है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

मैराथन की दौड़ Summary In Hindi

मैराथन की दौड़ पाठ का सार

ईरान का राजा दारा यूनानियों से नाराज़ हो गया। वह सेना लेकर एथेंस पहुँच गया। यूनानियों ने स्पार्टा से सहायता लेने का विचार किया। इतनी दूर संदेश ले जाने के लिए फिडीपिडीज नामक एक युवक को यह काम सौंपा गया। वह दौड़ता हुआ 48 घण्टों में स्पार्टा पहुँच गया। फिडीपिडीज ने हांफते हुए कहा, “ईरान ने यूनान पर आक्रमण कर दिया है। उनकी सेना समुद्र के किनारे मैराथन के पास उतर रही है। एथेंस वालों ने सहायता मांगी है। यदि सहायता न मिली तो सारा यूनान दास बन जाएगा। शीघ्रता करो ।”

मैराथन की दौड़ Summary Images

स्पार्टा वालों ने बहुत शीघ्र पहुँचने का आश्वासन दिया। थोड़ा-सा विश्राम करके वह वीर साहसी इस सन्देश को लेकर लौट पड़ा। एथेंस निवासी इस सन्देश को सुनकर बहुत उत्साहित हो गए। एथेंस की सेना दारा को रोकने के लिए मैराथन की ओर चल पड़ी। थका-मारा फिडीपिडीज भी अपना भाला और भारी ढाल लेकर युद्ध में शामिल हुआ। घमासान युद्ध के बाद, स्पार्टा की सेना के आने से पूर्व ही, एथेंस की सेना ने दारा को पराजित कर दिया।

फिडीपिडीज को फिर एक महान् दायित्व सौंपा गया कि वह शीघ्रता से जाकर यह खुशी का समाचार एथेंस निवासियों को पहुँचा दे। मैराथन और एथेंस नगर के बीच पैंतीस किलोमीटर की दूरी थी। थका होने पर भी वह दौड़ा। एथेंस तक पहुँचते-पहुँचते उसके पाँव लड़खड़ा गए। नगर के फाटक बंद थे। उसने ऊँची आवाज़ में कहा, “एथेंस की विजय हुई है। फाटक खोलो। खुशियाँ मनाओ।” उसकी आवाज़ पहचानकर नगरनिवासियों ने फाटक खोल दिया। फिडीपिडीज के पाँव कांप रहे थे। उसका मुँह सूख गया था। बहुत धीमी आवाज़ में उसने कहा, “हम जीत गए हैं। ईरानी हार गए हैं।

यूनानी स्वतन्त्र रहेंगे।” इतना कहने पर वह वीर गिरा और फिर कभी न उठा। इस महान् बलिदान के कारण फिडीपिडीज का नाम अमर है। आज भी ओलम्पिक की सबसे लम्बी दौड़ को मैराथन की दौड़ कहते हैं।

Conclusion:

“मैराथन की दौड़” कहानी का संक्षेपन करते समय, हम देखते हैं कि मेहनत, संघर्ष, और समर्पण से सपने हकीकत में बदल सकते हैं। इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि आत्मविश्वास और प्रतिबद्धता से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।