ਬਸੰਤ Summary in Punjabi

Basant Summary in Punjabi

The search results provide a relevant summary description for “ਭੇਤ ਦੀ ਗੱਲ“. This can be also provided in punjabi Summary and it explane very clarity. Read More Class 3rd Punjabi Summaries.

ਬਸੰਤ Summary in punjabi

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ

ਝੂਮ ਰਹੀ : ਹਿਲ ਰਹੀ, ਲਹਿਰਾ ਰਹੀ ।
ਵੰਨ-ਸਵੰਨੇ : ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ।

ਆਓ ਗੀਟੇ ਖੇਡੀਏ Summary In Punjabi

Aao Gite Khediya Summary In Punjabi

The search results provide a relevant summary description for “ਆਓ ਗੀਟੇ ਖੇਡੀਏ“. This can be also provided in punjabi Summary and it explane very clarity. Read More Class 3rd Punjabi Summaries.

ਆਓ ਗੀਟੇ ਖੇਡੀਏ Summary In Punjabi

ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ

ਸ਼ਬਦ : ਅਰਥ
ਗੀਟੇ : ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਰੋੜੇ/ਠੀਕਰੀਆਂ/ ਪੱਥਰ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ।
ਅੱਡੀ-ਛੜੱਪਾ : ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਇਕ ਖੇਡ ।
ਸੰਗਮਰਮਰ : ਇਕ ਮੁਲਾਇਮ ਚਮਕੀਲਾ  ਚਿੱਟਾ ਪੱਥਰ ।
ਸੂਹੇ: ਲਾਲ ।
ਪੁੱਗ: ਖੇਡ ਵਿਚ ਵਾਰੀ ਪਹਿਲਾਂ ਲੈਣ  ਲਈ ਪੁੱਗਣ ਦਾ ਤਰੀਕਾ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਹੜਾ  ਪੁੱਗ ਜਾਵੇ, ਉਸ ਸਿਰ ਵਾਰੀ  ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
ਲਾਖ: ਇਕ ਪਦਾਰਥ |
ਰੋਂਦ ਪਿਟਣਾ : ਖੇਡ ਵਿਚ ਧੋਖਾ ਕਰਨਾ ।
ਆਊਟ: ਖੇਡ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ।
ਬੋਚਣਾ : ਉੱਛਲੀ ਹੋਈ ਚੀਜ਼ ਨੂੰ ਹਵਾ  ਵਿਚ ਹੀ ਫੜ ਲੈਣਾ ।
ਭੁੰਜੇ ਥੱਲੇ, ਜ਼ਮੀਨ ਉੱਤੇ ।
ਕੜੈਚ: ਖੇਡ ਦਾ ਇਕ ਪੜਾਅ ।

ਬਾਲਕ ਬੀਬੇ-ਰਾਣੇ Summary in Punjabi

Balak Baba Rane Summary in punjabi

The search results provide a relevant summary description for “ਬਾਲਕ ਬੀਬੇ-ਰਾਣੇ“. This can be also provided in punjabi Summary and it explane very clarity. Read More Class 3rd Punjabi Summaries.

ਬਾਲਕ ਬੀਬੇ-ਰਾਣੇ Summary in Punjabi

(ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ )

ਸ਼ਬਦ: ਅਰਥ
ਬਾਲਕ: ਬਾਣੇ |
ਬੱਚੇ  : ਪਹਿਰਾਵੇ |
ਛਕੀਏ: ਖਾਈਏ ।
ਹੱਥ ਵਟਾਈਏ : ਅਰਥ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਦੀ ਮੱਦਦ ਕਰੀਏ ।
ਬਾਲ ਸਭਾ : ਬੱਚਿਆਂ ਦਾ ਇਕੱਠ ॥

पवनदूत Summary In Hindi

पवनदूत Summary In Hindi

Pavanaduta tells the story of Kuvalayavati, a gandharva maiden from the south who falls in love with King Laksmana when she sees him during his victory tour of the world. She asks the south wind to take her message to the king at his court. The theme, as of all messenger poems, is viraha, separation in love. Read More Class 11 Hindi Summaries.

पवनदूत Summary In Hindi

पवनदूत जीवन परिचय

‘अयोध्या सिंह उपाध्याय’ का जन्म निजामबाद जिला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश में सन् 1865 ई० को हुआ था। उन्होंने अपने नाम-क्रम ‘सिंह’ (हरि) तथा अयोध्या (औध) को बदलकर ‘हरिऔध’ उपनाम से काव्य रचना की। ‘हरिऔध’ जी का गद्य और पद्य दोनों पर पूर्ण अधिकार था। किन्तु इन्हें काव्य जगत में विशेष प्रसिद्धि मिली। इनके रचनाकाल के समय खड़ी बोली अपने शैशवकाल में थी। इनकी मृत्यु सन् 1941 ई० में हो गई थी।

इनका प्रिय प्रवास महाकाव्य अत्यंत लोकप्रिय हुआ। इसमें भगवान श्री कृष्ण के ब्रज से मथुरा चले जाने पर गोपियों की विरह का मार्मिक चित्रण हुआ है। खड़ी बोली में इस प्रसंग को लेकर पहला काव्य रचा गया है। कवि ने अपने सभी ग्रन्थों में बड़े उपयुक्त छंदों, रसों और अलंकारों का वर्णन किया है। इन ग्रन्थों में प्राकृतिक छटा के बड़े सुन्दर उदाहरण हैं।

पवनदूत का सार

कविता का सार ‘पवन दूत’ कविता अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित प्रबन्ध काव्य ‘प्रिय-प्रवास’ से ली गई है। इसमें कवि ने राधा जी के विरह का वर्णन किया है। श्री कृष्ण जी के मथुरा जाने के बाद उनके वियोग में उनकी प्रेयसी राधा की हालत दयनीय हो जाती है। एक दिन वह श्री कृष्ण जी के वियोग में घर में बैठी आँसू बहा रही थी, उसी समय प्रातः कालीन सुगंधित पवन आकर सम्पूर्ण वातावरण को सुहावना बना देती है। परन्तु पवन का झोंका राधा जी की विरह वेदना को और बढ़ा देता है। उस समय राधा जी पवन को अपना दूत बनाकर श्री कृष्ण जी के पास अपनी विरह वेदना का संदेश भेजती है। वे पवन को मथुरा और श्री कृष्ण का परिचय देती है। वे पवन को श्री कृष्ण जी के चरणों की धूल लाने के लिए कहती है। क्योंकि राधा जी श्री कृष्ण जी के चरणों की धूलि को अपने तन पर लगाकर अपना जीवन सार्थक बनाना चाहती हैं।

ਦਾਦੀ ਮਾਂ ਦੀਆਂ ਬਾਤਾਂ Summary in punjabi

Daadi Maa Dian Batan Summary in punjabi

The search results provide a relevant summary description for “ਦਾਦੀ ਮਾਂ ਦੀਆਂ ਬਾਤਾਂ“. This can be also provided in punjabi Summary and it explane very clarity. Read More Class 3rd Punjabi Summaries.

ਦਾਦੀ ਮਾਂ ਦੀਆਂ ਬਾਤਾਂ Summary in punjabi

ਸ਼ਬਦ : ਅਰਥ
ਸਵੇਰੇ-ਸੁਵਖਤੇ : ਬਹੁਤ ਸਵੇਰੇ ।
ਕੁਦਰਤ : ਦਿਸਦਾ ਸੰਸਾਰ, ਪਰਮਾਤਮਾ ।
ਦਾਤ : ਬਖ਼ਸ਼ਿਸ਼, ਦਿੱਤੀ ਹੋਈ ਚੀਜ਼ ।
ਸ਼ਾਂਤ : ਸੰਤੁਸ਼ਟ, ਖੁਸ਼, ਠੰਢਾ |
ਜਲ ਛਕੋ : ਪਾਣੀ ਪੀਓ ।
ਸਫ਼ਾਈ-ਪਸੰਦ : ਸਫ਼ਾਈ ਨੂੰ ਪਸੰਦ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ।
ਕੁਰਲੀ : ਮੂੰਹ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਪਾਣੀ ਦਾ ਘੁੱਟ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਲੈ ਕੇ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣਾ ।
ਜੀਵਨ : ਜ਼ਿੰਦਗੀ ।
ਤਰਸ ਜਾਂਦਾ ਹੈ : ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਚੀਜ਼ ਦੇ ਨਾ ਮਿਲਣ ਦੀ ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਦੁਖੀ ਹੋਣਾ |
ਕਹਾਣੀ ਖ਼ਤਮ : ਭਾਵ ਬੰਦਾਂ ਜਾਂ ਜੀਵ ਮਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਪਿਆਸ : ਤ੍ਰਿੜ੍ਹ ਨੂੰ
ਸੁਖਾਲਾ : ਸੌਖਾ ।
ਲਾਡਲੀ : ਪਿਆਰੀ ।
ਤਨ : ਸਰੀਰ ।
ਖਿੜ ਉੱਠਦੇ : ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋ ਜਾਂਦੇ |
ਸੁਖ ਬੋਲ : ਮੂੰਹੋਂ ਚੰਗੀ ਗੱਲ ਕੱਢ ।
ਫ਼ਸਲਾਂ : ਖੇਤਾਂ ਵਿਚ ਅੰਨ, ਦਾਲਾਂ ਤੇ ਫਲ ਆਦਿ ਵਸਤਾਂ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਪੌਦੇ |

वीरों का कैसा हो वसंत Summary In Hindi

वीरों का कैसा हो वसंत Summary In Hindi

“Veero ka kaisa ho vasant” ka arth hota hai, “Veeron ke liye vasant kaisa hona chahiye?” Is vyakti yeh prashn kar raha hai ki veer aur shoorveer logo ke liye vasant kaisa hona chahiye. Read More Class 11 Hindi Summaries.

वीरों का कैसा हो वसंत Summary In Hindi

जीवन परिचय

हिन्दी कवयित्रियों में सुभद्रा कुमारी चौहान का प्रमुख स्थान है। काव्य के क्षेत्र में इन्होंने राष्ट्रीय और नारी हृदय की अनुभूतियों से अपनी कल्पनाओं का श्रृंगार किया है। इनका जन्म सन् 1904 की नाग पंचमी को प्रयाग के निहालपुर मोहल्ले में हुआ था। इनके पिता का नाम ठाकुर रामनाथ सिंह था। वे शिक्षा प्रेमी और उच्च विचार के व्यक्ति थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा प्रयाग में ही सम्पन्न हुई। इनका विवाह छात्रावस्था में ही खंडवा निवासी ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ था। सन् 1948 ई० में इनका निधन हो गया था।

इनके हृदय की भांति इनकी कविताएं भी सरल और निर्मल भावों से युक्त हैं। इनकी कविताओं के दो संग्रह विशेष रूप से उल्लेखनीय है-‘मुकुल’ और ‘त्रिधारा’। इन्होंने अनेक राष्ट्रीय नेताओं के विषय में भी कविताएं लिखी हैं। इनकी कुछ कविताएं विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं-झांसी की रानी, वीरों का कैसा हो बसन्त, राखी की चुनौती, जलियां वाला बाग में बसन्त आदि। इन्हें ‘मुकुल’ और ‘बिखरेमोती’ पर भी पुरस्कार मिले थे।

वीरों का कैसा हो वसन्त कविता का सार

‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ कविता की कवयित्री श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान हैं। इस कविता के माध्यम से कवयित्री वीर पुरुषों में वीर-भावनाओं का संचार करने का प्रयास करती हैं। कवयित्री यह प्रश्न पूछती है कि वीर पुरुषों का बसन्त कैसा होना चाहिए। वसन्त ऋतु तथा युद्ध में जाने का समय दोनों एक साथ आ गए हैं। वीर पुरुषों को युद्ध भूमि अपने कर्त्तव्य को पूरा करने के लिए पुकार रही है परन्तु वसन्त ऋतु की मादकता, उसकी पत्नी का साथ उसे वहां जाने से रोक रही है। वह दुविधा में है कि उसे क्या करना चाहिए। कवयित्री उसे उसके कर्त्तव्य की याद दिलाते हुए कह रही है कि वह अपने पूर्वजों द्वारा युद्ध भूमि में लड़े गए युद्धों को याद करके अपने कर्त्तव्य को पूरा करे। अब चन्दवरदाई तथा भूषण जैसे कवियों का भी अभाव है क्योंकि उन कवियों की लेखनी कायर से कायर पुरुष में शक्ति भरने का काम करती थी। आज परतन्त्र देश की लेखनी भी परतन्त्र है। वह अपना कर्त्तव्य पूरा करने में असमर्थ है। इसलिए वीर पुरुष तुम्हें ही निर्णय लेना है कि तुम्हारा वसन्त कैसा होना चाहिए।

तुकरा दो या प्यार करो Summary

तुकरा दो या प्यार करो कविता का सार

‘ठुकरा दो या प्यार करो’ कविता की कवयित्री श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान हैं। इस कविता में सहज, सरल और निःश्छल प्रेम की अभिव्यक्ति है। कवयित्री मन्दिर में प्रभु पूजा करने जाती है। वहाँ वह लोगों को विभिन्न वस्तुएं चढ़ाते हुए देखती है। उसे मन्दिर में खाली हाथ आना अच्छा नहीं लगता परन्तु वह प्रभु भक्ति की प्रक्रिया से अंजान है। वह अपने साथ मन्दिर में कुछ भी लेकर नहीं जाती है। वह प्रभु से निवेदन करती है कि उसके पास प्रेम से भरा हृदय है जो वह उनके चरणों में अर्पित करना चाहती है। अब प्रभु की इच्छा पर निर्भर है कि वे उसकी इस तुच्छ भेंट को प्यार से स्वीकार कर लें या फिर ठुकरा दें।

पदावली Summary In Hindi

पदावली Summary In Hindi

Padavali” typically refers to a collection of devotional songs or poems in Indian literature, often centered around themes of love, devotion, and spirituality. Read More Class 11 Hindi Summaries.

पदावली Summary In Hindi

पदावली

गुरु-परम्परा में नवें गुरु तेग बहादुर जी को संयम, त्याग, सहनशीलता एवं करुणा के कारण अति महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। मीरी और पीरी की तलवारें धारण करने वाले गुरु श्री हरगोबिन्द साहिब के घर माता नानकी जी के गर्भ से इनका जन्म सन् 1621 को अमृतसर में हुआ था। गुरु गद्दी पर बैठने के पश्चात् आप कई गुरु धामों की यात्रा करते हुए कीरतपुर साहिब पहुंचे। उन्होंने सन् 1666 ई० में पहाड़ी राजाओं से जमीन खरीदकर आनन्दपुर सहिब नामक नगर बसाया जो बाद में खालसा की जन्मभूमि’ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा के साथ इन्होंने अध्यात्म-विद्या तथा शस्त्र-विद्या की शिक्षा ग्रहण की। गुरु हरिकृष्ण जी के बाद वे गुरु पद पर शोभायमान हुए। उस समय गुरु जी की आयु 43 वर्ष की थी।

गुरु तेग बहादुर जी ने औरंगजेब के अत्याचारों से पीडित कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे दिया था। यह बलिदान जिस जगह पर हुआ वह दिल्ली में गुरुद्वारा सीस गंज के नाम से प्रसिद्ध है। गुरु जी अति महान् व्यक्तित्व के स्वामी और तपस्वी थे जिन्होंने निरंकार ईश्वर का प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने 59 स्वर तथा 57 श्लोकों की रचना पंजाबी से प्रभावित ब्रजभाषा में की थी। इनकी रचनाओं में संसार की नश्वरता, सांसारिक व्यवहार में कटुता, राम-नाम की महिमा, बाह्य आडम्बरों का विरोध और सहजता की प्रत्यक्षता को महत्त्व दिया गया है। उन्होंने संयम, समभाव, ईश्वर प्रेम, सात्विक व्यवहार, मानवतावाद और शुद्ध चिन्तन को श्रेष्ठतम माना था।

पदावली का सार

प्रस्तुत पदावली में गुरु तेग बहादुर जी के श्रेष्ठ पदों को सम्मिलित किया गया है। गुरु जी ने अपने पदों में अहंकार, काम, क्रोध और मोह-माया को त्यागने के लिए कहा है। उन्होंने भक्ति भावना और सांसारिक नश्वरता के साथ-साथ गुरु जी ने मानवीय मूल्यों की स्थापना पर बल दिया है। मनुष्य सभी बन्धनों से मुक्त होकर साधु संगति में लीन होकर व्यक्ति प्रभु को पा सकता है। मानव जन्म संसार में बहुत दुर्लभ है। फिर इसको व्यर्थ में नहीं खोना चाहिए अपितु इसे सार्थक बनाने के लिए मन को प्रभु में लीन करना आवश्यक है। प्रभु भक्ति से ही मनुष्य संसार रूपी भवसागर से पार हो सकता है और यह सब तभी सम्भव है जब मनुष्य गुरु के बताए उपदेशों को अच्छी तरह समझे। मनुष्य यह समझे कि मनुष्य जन्म बार-बार नहीं मिलता। यह अनमोल है इसे सांसारिक विषय-वासना में फंसा कर गंवाना अनुचित है।

Read More Summaries:

ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਦਾ ਬਚਪਨ Summary in punjabi

Gandhi ji da bachpan Summary in punjabi

The search results provide a relevant summary description for “ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਦਾ ਬਚਪਨ“. This can be also provided in punjabi Summary and it explane very clarity. Read More Class 3rd Punjabi Summaries.

ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਦਾ ਬਚਪਨ Summary in punjabi

ਸ਼ਬਦ : ਅਰਥ
ਮਹਾਂਪੁਰਸ਼ : ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਧਰਮ ਆਗੂ ।
ਅਸੂਲਾਂ : ਨਿਯਮਾਂ, ਨੇਮਾਂ ।
ਸਬਕ : ਸਿੱਖਿਆ ।
ਪ੍ਰਣ : ਇਰਾਦਾ |
ਹਿੰਮਤ : ਹੌਸਲਾ, ਦਲੇਰੀ ।
ਠੇਸ : ਸੱਟ, ਚੋਟ ।
ਗੁਨਾਹ : ਕਸੂਰ ।
ਦੌਰਾ ਕਰਨਾ : ਫੇਰੀ ਮਾਰਨਾ, ਗੇੜਾ ਲਾਉਣਾ |
ਪਰਦੇਸ : ਪਰਾਇਆ ਦੇਸ ॥
ਵਲਾਇਤੋਂ : ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ, ਪਰਦੇਸ ਤੋਂ ।
ਵਕਾਲਤ : ਕਾਨੂੰਨ ਦੀ ਵਿੱਦਿਆ ।
ਅਧੂਰੀ : ਜੋ ਪੂਰੀ ਨਾ ਹੋਵੇ ।
ਅਥਾਹ : ਬੇਅੰਤ |

ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ Summary in Punjabi

Maharaja Ranjit Singh Summary in Punjabi

The search results provide a relevant summary description for “ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ“. This can be also provided in punjabi Summary and it explane very clarity. Read More Class 3rd Punjabi Summaries.

ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ Summary in Punjabi

(ਔਖੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਅਰਥ )

ਸ਼ਬਦ:  ਅਰਥ
ਖ਼ਾਸ: ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ।
ਡਿਉੜੀ: ਕਿਲ੍ਹੇ ਜਾਂ ਘਰ ਦੇ ਮੁੱਖ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਦੇ ਅੰਦਰਵਾਰ ਛੱਤਿਆ ਹੋਇਆ ਰਸਤਾ |
ਭੇਸ: ਪਹਿਰਾਵਾ, ਕੱਪੜੇ ।
ਕਾਨੂੰਨ: ਨਿਯਮ ।
ਥਾਪੀ ਦਿੱਤੀ : ਪਿੱਠ ਉੱਤੇ ਹੱਥ ਥਪਕਾ ਕੇ ਸ਼ਾਬਾਸ਼ ਦਿੱਤੀ ।
ਵਫ਼ਾਦਾਰ : ਧੋਖਾ ਨਾ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਇਮਾਨ ਦਾਰ|
ਬਾਅਦ : ਪਿੱਛੋਂ ।

वह तोड़ती पत्थर Summary In Hindi

वह तोड़ती पत्थर Summary In Hindi

Wah Todti Patthar” translates to “Bravo, Breaking Stone” in English. This phrase is often used to applaud or praise someone’s exceptional efforts or achievements, particularly when they have overcome significant obstacles or challenges. Read More Class 11 Hindi Summaries.

वह तोड़ती पत्थर Summary In Hindi

वह तोड़ती पत्थर Summary

जीवन परिचय

आधुनिक हिन्दी काव्य-विकास की चर्चा में ‘निराला’ को महाप्राण, काव्य-पुरुष, महाकवि इत्यादि विशेषणों से सम्बोधित किया जाता है। इनका जन्म सन् 1896 में बंगाल प्रान्त के मेदिनीपुर जिले में महिषादल नामक स्थान पर हुआ था। इसी स्थान पर इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की। इन्होंने अनेक भाषाओं का अध्ययन भी किया। वे स्वामी रामकृष्ण परमहंस एवं विवेकानन्द की विचारधारा से विशेष प्रभावित थे। उन्मुक्तता अक्खड़ता के साथ निर्बल, असहाय एवं दीन दुःखियों की सहायता इनके व्यक्तित्व की विलक्षणता है। सन् 1961 में इनका निधन हो गया था।

निराला जी की काव्य-चेतना को अनेक रूपों में देखा जा सकता है। इनकी रचनाओं को काव्य-विकास की दृष्टि से क्रमशः तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथम चरण 1921-36, द्वितीय चरण 1937-46, तृतीय चरण 1950-61। परिमल, अनामिका, गीतिका, अपरा, नए पत्ते, तुलसीदास इत्यादि इनकी उल्लेखनीय काव्य रचनाएँ हैं। निराला ही एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने कठोर एवं कोमल भावों को आत्मसात् कर काव्य में रुपायित किया है। इनकी कविताओं में छायावादी कोमलता, सुन्दरता एवं कल्पना की बहुलता है। रहस्यवादी दार्शनिकता के साथ प्रगतिवादी आक्रोश तथा अवसाद भी है।

वह तोड़ती पत्थर का सार

‘तोड़ती पत्थर’ कविता के कवि ‘सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला जी’ हैं’। इस कविता के माध्यम से कवि ने मजदूर वर्ग को आर्थिक विषमता का वर्णन किया है। एक मज़दूर महिला भीष्ण गर्मी में सड़क किनारे पत्थर तोड़ रही है। उसके कपड़े भी फटे हुए हैं, जिस सड़क पर बैठी वह पत्थर तोड़ रही है, वहाँ उसके सामने बहुत बड़ा महल है, यह कैसी विडंबना है ? बड़े-बड़े महल खड़े करने वाले हाथ अपनी आजीविका के लिए भीषण गर्मी में पत्थर तोड़ रहे हैं। यह आर्थिक विषमता के कारण है। शोषित वर्ग को जीवन के न्यूनतम साधन जुटाने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ रहा है।’

जागो फिर एक बार Summary

जागो फिर एक बार कविता का सार

‘जागो फिर एक बार’ कविता के कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी हैं। कवि ने कविता में गुरु गोबिन्द सिंह की वीरता का उदाहरण देकर मनुष्य की सोई हुई पौरुष शक्ति को जागृत करने का प्रयास किया है। गुरु गोबिन्द सिंह जी अपने शत्रुओं के लिए अकेले ही सवा लाख के बराबर थे। कवि ऐसी ही शक्ति आज के युवक में जागृत करना चाहता है जिससे वह आततायियों से लड़ सके। अपने देश की रक्षा कर सके। युवकों को गुरु गोबिन्द सिंह की तरह सभी प्रकार क्रियाओं में निपुण होना चाहिए। उनमें संयम का समावेश होना चाहिए। हममें शेरनी की तरह हिम्मत होनी चाहिए। जब हमारे देश की प्रभुसत्ता पर खतरा हो तो हम उसकी रक्षा के लिए डटकर सामना करना चाहिए। हमारे पूर्वजों का यश चारों दिशाओं में फैला हुआ है। हमें सदैव याद रखना है कि हम किन लोगों की सन्तान हैं और पूरे संसार को अपनी शक्ति का परिचय देना है।

मानव Summary In Hindi

मानव Summary In Hindi

“Manav” encompasses a holistic personality, comprising physical, mental, and social facets. It demonstrates a remarkable and enriching life rooted in knowledge, social cooperation, and personal development. Read More Class 11 Hindi Summaries.

मानव Summary In Hindi

मानव जीवन-परिचय

राष्ट्रीय चेतना के क्रान्तिकारी कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म सन् 1908 ई० में मुंगेर जिले के सिमरिया में हुआ। इनके पिता एक साधारण किसान थे। उन्होंने अपनी प्रतिभा के विकास के लिए निरन्तर संघर्ष किया। अपने परिश्रम तथा अध्यवसाय द्वारा उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पदों पर काम किया। बाद में उन्होंने भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद को सुशोभित किया। सन् 1952 में उन्हें राज्य-सभा का सदस्य मनोनीत किया गया। भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया।

इनकी काव्य-रचनाओं में ‘रेणुका’, ‘रसवंती’, ‘द्वन्द्वगीत’, ‘हुंकार’, ‘धूपछांव’, ‘सामधेनी’, ‘इतिहास के आंस’, ‘कुरुक्षेत्र’, ‘रश्मि-रथ’, ‘उर्वशी’ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। ‘उर्वशी’ के लिए इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया।

मानव कविता का सार

‘मानव’ शीर्षक कविता ‘दिनकर’ जी के प्रसिद्ध खंड काव्य ‘कुरुक्षेत्र’ के छठे सर्ग से ली गई है। कवि ने मनुष्य को ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना कहा है। मनुष्य को धरती, पाताल और आकाश की सब सूचना है। उसने ज्ञान और विज्ञान में अपार सफलता प्राप्त की है। इसीलिए मानव को सृष्टि का श्रृंगार कहा गया है परन्तु मानव का दूसरा पक्ष यह भी है कि वह संहार, वासना, पाखंड और छल-कपट की मूर्ति भी है। उसने धरती और आकाश की दूरी को माप कर दोनों को पास लाकर खड़ा कर दिया है परन्तु एक मनुष्य की दूसरे मनुष्य से दूरी अब भी बनी हुई है। मानव इस दूरी को दूर करने में सफल नहीं हो पाया है। कवि का कहना है कि केवल ज्ञान-विज्ञान के आधार पर ही मानव को ज्ञानी नहीं मानता। मानव तभी ज्ञानी हो सकता है जब वह दूसरे मानव से प्यार करना और भाइचारे से रहना सीख जाएगा। कवि ईश्वर से पूछता है कि मानव अधर्म और शत्रुता की भावना से कब बाहर आएगा और दया-धर्म का दीपक जलाएगा।

Read More Summaries: