ਦਰਿਆ ਨੇ ਕਿਹਾ Summary in punjabi

Dariya Ne Keha Summary in punjabi

ਦਰਿਆ ਨੇ ਕਿਹਾ” translates to “The river said” in English. This phrase appears to be a part of a lesson or chapter in the 3rd class Punjabi textbook. It’s related to the river speaking or conveying something. This might be used metaphorically in a literary or educational context. Read More Class 3rd Punjabi Summaries.

ਦਰਿਆ ਨੇ ਕਿਹਾ Summary in punjabi

ਸ਼ਬਦ : ਅਰਥ
ਲੱਕੜਹਾਰਾ : ਲੱਕੜਾਂ ਵੱਢਣ ਵਾਲਾ
ਛੱਲ : ਉੱਚੀ ਉੱਠਣ ਵਾਲੀ ਲਹਿਰ ।
ਮੁੱਠਾ : ਹੱਥੀ, ਦਸਤਾ ।
ਖਿੜ ਪਿਆ : ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋ ਗਿਆ ।
ਜੰਗਲ-ਬੇਲੇ : ਜੰਗਲ ।

ਆਲੇ-ਭੋਲੇ Summary in punjabi

Aale bhole Summary in punjabi

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ਆਲੇ-ਭੋਲੇ Summary in punjabi

ਸ਼ਬਦ : ਅਰਥ
ਆਲੇ-ਭੋਲੇ : ਭੋਲੇ-ਭਾਲੇ, ਵਲ-ਛਲ ਰਹਿਤ ।
ਗਾਲੜ : ਕਾਟੋ |
ਅੰਬਰ : ਅਸਮਾਨ ॥
घेले : ਦਰਿਆ ਦੇ ਕੰਢੇ ਦਾ ਜੰਗਲ ।
ਜੀਵ-ਜੀਵਾ : ਜੀਵ-ਜੰਤੂ ।
ਮੇਰ-ਤੇਰ’: ਮੇਰਾ-ਤੇਰਾ, ਭਿੰਨ-ਭੇਦ ।
ਮੁਲਕ : ਦੇਸ਼ ।
ਗਰਾਂਅ : ਪਿੰਡ ।

राम-राज्य वर्णन Summary In Hindi

राम-राज्य वर्णन Summary In Hindi

Ram Rajya Varnan,” also known as “The Description of Ram’s Kingdom,” is a term that refers to the idealized and harmonious rule of Lord Rama as depicted in various Indian mythological texts and stories, including the Ramayana. The concept of Ram Rajya originates from the Hindu epic, the Ramayana, attributed to the sage Valmiki. In the Ramayana, Lord Rama is portrayed as an ideal king who embodies virtues such as dharma (righteousness), compassion, and humility. During his reign, his kingdom is often described as a land of peace and harmony, where people of all walks of life live contentedly. Read More Class 11 Hindi Summaries.

राम-राज्य वर्णन Summary In Hindi

राम-राज्य वर्णन जीवन परिचय

हिन्दी-साहित्य में गोस्वामी तुलसीदास का वर्णन एक महाकवि के रूप में किया जाता है। भक्तिकाल के रामभक्ति शाखा के कवियों में इनको सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। इनका जन्म सन् 1532 ई० के आस-पास राजापुर में हुआ। इनके पिता का नाम आत्मा राम तथा माता का नाम हुलसी था। तुलसी दास जी का बाल्यकाल कठिनाइयों में बीता। इनका विवाह राजापुर में दीन बन्धु पाठक की कन्या रत्नावली के साथ हुआ । रत्नावली से विवाह के बाद वे उनके प्रेम में डूब गए। उन्हें उनके अतिरिक्त कहीं भी कुछ दिखाई नहीं देता था। एक दिन पत्नी की फटकार ने उनका मन बदल दिया और राम भक्ति की ओर अग्रसर हुए। इन की मृत्यु सन् 1623 ई० में काशी में हुई थी।

गोस्वामी जी एक भक्त, साधक एवं महाकवि थे, इनकी अनेक रचनाएँ उपलब्ध हैं जैसे-रामचरितमानस, विनय-पत्रिका, कवितावली, गीतावली रामाज्ञा प्रश्न, वैराग्य संदीपिनी, पार्वती-मंगल, रामलला नहछू, बरवै रामायण, कृष्णगीतावली तथा जानकी मंगल आदि है। तुलसीदास जी ने अपने काव्य की रचना अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं में की है। उन्होंने अपने काव्य की रचना तत्कालीन युग में प्रचलित सभी शैलियों में की है। इनके प्रिय छन्द दोहा, चौपाई सोरठा, बरवै, कवित्त सवैया आदि हैं। अलंकारों में कवि ने रूपक, अनुप्रास, उपमा, उत्पेक्षा दृष्टान्त, उदाहरण, यमक आदि अलंकारों का अधिक प्रयोग किया है।

राम-राज्य वर्णन काव्यांश का सार

प्रस्तुत काव्यांश तुलसीदास जी कृत ‘रामचरितमानस’ के उत्तर कांड में संकलित ‘राम-राज्य वर्णन’ से लिया गया है। ‘रामराज्य’ सभी भारतीयों के लिए एक आदर्श है। सभी अपने राज्य में राम जी जैसा राज्य चाहते हैं। उनके राज्य में चारों ओर प्रसन्नता तथा उल्लास का वातावरण था। धर्म अपनी चरमसीमा पर था। उस समय अधर्म तथा पाप का नाम नहीं था। इसलिए उस समय आर्थिक अभाव, अल्पमृत्यु साम्प्रदायिक द्वेष, दारिद्रय तथा अविवेक नहीं था। मानव ही नहीं अपितु पशु-पक्षी तथा प्रकृति भी प्रेम पूर्वक रहते थे। प्रकृति मानव की आवश्यकतानुसार अपनी समस्त निधियाँ जन-कल्याण के लिए देती थी। समुद्र भी अपनी मर्यादा जानते थे, वे अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करते थे। इसलिए मनुष्य प्राकृतिक प्रकोप से बचा रहता था।

रहीम के दोहे Summary In Hindi

रहीम के दोहे Summary In Hindi

“रहीम के दोहे Summary” Rahim was a prominent poet in the Mughal era of India, known for his thought-provoking couplets or “dohas” that carry deep philosophical and moral insights. His dohas are written in a simple language, making them accessible to people from all walks of life. Read More Class 11 Hindi Summaries.

रहीम के दोहे Summary In Hindi

दोहे जीवन परिचय

रहीम जी का जन्म सन् 1553 में हुआ था। उनका पूरा नाम अब्दुर्ररहीम खानखाना था। वे मुग़ल सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे। उनके पिता बैरमखां अकबर के अभिभावक थे। रहीम जी अकबर के दरबारी कवि ही नहीं थे अपितु सेनापति और मंत्री भी रहे थे। अकबर की मृत्यु के बाद जहांगीर ने भी इन्हें अपना सेनानायक और जागीरदार बनाया था। परन्तु राजनैतिक कुचक्रों ने भी उन्हें बड़ा परेशान किया था। उन्हें जहाँगीर को लड़ाई में धोखा देने का झूठा आरोप भी सहना पड़ा था और कुछ समय तक कारावास का दंड भुगतना पड़ा था। उनके जीवन का अन्त अत्यन्त गरीबी में हुआ। इनकी मृत्यु सन् 1627 में हुई।

रहीम जी की रचनाओं में रहीम सतसई, बरवै नायिका भेद, शृंगार सोरठ, मदनाष्टक, रासपंचाध्यायी, नगर शोभा, फुटकल बरवै, फुटकल सवैये प्रसिद्ध हैं। वे जन्म से मुसलमान थे परन्तु उन्होंने भगवान् कृष्ण के संबंध में पूर्ण भक्ति-भाव से युक्त रचनाएं प्रस्तुत की थीं। उनके नीति सम्बन्धी दोहे भी अद्वितीय हैं। उनके दोहे केवल उपदेशप्रद ही नहीं, काव्य गुणों से भी सम्पन्न हैं।

दोहों का सारांश

रहीम जी ने अपने द्वारा रचित दोहों में जीवन से संबंधित तरह-तरह के गहन संकेत दिए हैं। उन्होंने जीवन के सूक्ष्म से सूक्ष्म अनुभव को बहुत कम शब्दों में व्यक्त है। उनके अनुसार मनुष्य ईश्वर की खोज में इधर-उधर भटकता रहता है जबकि ईश्वर तो स्वयं अपनी बनाई सृष्टि की सभी रचनाओं की देखभाल करते हैं। मनुष्य तो मनुष्य पशु भी ईश्वर की प्राप्ति के लिए उनके भक्तों के चरणों की धूल अपने मस्तक पर लगाने को तत्पर हैं। प्रेमपूर्वक खिलाई गई चने की रोटी भी अच्छे से अच्छे पकवान से उत्तम है। रहीम जी मानते हैं कि मांगने वाले से पहले वे लोग मृत के समान हैं जो होते हुए भी मांगने वाले को देने से इनकार कर देते हैं।

मनुष्य को सदा अच्छे लोगों की संगति करनी चाहिए। मनुष्य को अपनी जिह्वा को नियन्त्रित करना आना चाहिए नहीं तो बेकाबू जिह्वा के कारण भरे बाज़ार में अपनी इज्जत गंवानी पड़ती है। बड़े के आगे छोटे की महत्ता से इनकार नहीं करना चाहिए क्योंकि कई बार छोटी-सी वस्तु के आगे बड़ेबड़े हार मान जाते हैं। सूरज की गर्मी से जहां सभी लोग परेशान होते हैं वही चन्द्रमा की शीतलता सभी को शांति प्रदान करती है । कपूत कुल के नाश का कारण बनता है। मांगने वाला कितना ही बड़ा क्यों न हो वह छोटा ही रहता है। काम के प्रति लगन भी असम्भव काम को सम्भव कर देती है। रहीम जी मानते हैं कि अपने गुणों के कारण छोटा-सा प्यादा भी वजीर बन जाता है। संसार के नियम बड़े अनोखे हैं जब किसी को कोई काम पड़ता है तो वह गिड़गिड़ाने लगता है परन्तु काम निकल जाने पर पूछता भी नहीं है। सच्ची भक्ति से प्रभु को भी वश में किया जा सकता है। समय पड़ने पर असमर्थ प्राणी के विषय में कोई नहीं सोचता।

ਦੇਖੋ, ਠਹਿਰੋ ਤੇ ਜਾਉ Summary in punjabi

Dekho,Thehro Te Jao Summary in punjabi

Dekho, thehro te jao” This can be provided contain summary description in English. This phrase appears to be a part of a lesson or chapter in the 3rd class Punjabi textbook. Read More Class 3rd Punjabi Summaries.

ਦੇਖੋ, ਠਹਿਰੋ ਤੇ ਜਾਉ Summary in punjabi

ਸ਼ਬਦ : ਅਰਥ
ਆਵਾਜਾਈ : ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਆਉਣਾ-ਜਾਣਾ ।
ਨਿਯਮ : ਅਸੂਲ, ਨੇਮ ।
ਦੁਰਘਟਨਾ : ਕਿਸੇ ਗੱਡੀ ਦੀ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਗੱਡੀ ਨਾਲ ਟੱਕਰ ਹੋਣਾ ।
ਬਾਅਦ ‘: ਮਗਰੋਂ ।
ਟਰੇਨਿੰਗ : ਸਿਖਲਾਈ ।

कबीर के दोहे Summary In Hindi

कबीर के दोहे Summary In Hindi

“Kabir Ke Dohe Summary” The “Dohas” of Kabir, often referred to as “Kabir Ke Dohe,” are a collection of couplets written by the revered Indian mystic poet, Kabir. These couplets are known for their profound spiritual wisdom, social commentary, and simplicity that transcends religious boundaries. The dohas convey complex philosophical ideas in a straightforward and accessible manner. Read More Class 11 Hindi Summaries.

कबीर के दोहे Summary In Hindi

कबीर वाणी जीवन परिचय

भक्ति-काल की निर्गुण भक्ति-धारा के सन्त कवियों में कबीरदास का नाम विशेष सम्मान से लिया जाता है। इनके जन्म सम्वत् तथा स्थान को लेकर मतभेद है। अधिकांश विद्वान् इनका जन्म सम्वत् 1455 ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा (सन् 1398) को मानते हैं। इनका पालन-पोषण जुलाहा परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम नीरू तथा माता का नाम नीमा था। इन की पत्नी का नाम लोई था। इनके कमाल नामक पुत्र तथा कमाली नामक पुत्री थी। कबीर जी की शिक्षा-दीक्षा नहीं हुई थी परन्तु इन्हें अन्तर्ज्ञान था। इनके गुरु का नाम स्वामी रामानन्द था। साधु-संगति, गुरु-महत्त्व तथा जीवन में सहज प्रेमानुभूति की विशेष स्थिति इनकी रचनाओं में मिलती है। इनका देहावसान सम्वत् 1575 (सन् 1518) में काशी के निकट मगहर में हुआ। इनके शिष्य हिन्दू और मुसलमान दोनों थे। इसलिए काशी के निकट मगहर में इन की समाधि और मकबरा दोनों विद्यमान हैं।

कबीर ने स्वयं किसी ग्रन्थ की रचना नहीं की थी। इन की साखियों और पदों को इनके शिष्यों ने संकलित किया था। इनके उपदेश ‘बीजक’ नामक रचना में साखी, सबद और रमैणी तीन रूप में संकलित हैं। कबीर की कुछ उलटबांसियों का भी उल्लेख मिलता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब’ में भी कबीर की वाणी सुशोभित है। कबीर को सधुक्कड़ी भाषा का कवि कहा जाता है। इन की भाषा में ब्रज, अवधी, खड़ी बोली, बुंदेलखंडी, भोजपुरी, पंजाबी तथा राजस्थानी भाषाओं के अनेक शब्द प्राप्त होते हैं। कबीर की शैली में एक सपाट-स्पष्ट सी बात करने की क्षमता है। अलंकारों की सहजता के साथ लोकानुभव की सूक्ष्मता, सत्यता, वचन-वक्रता और गेयता के गुण इनकी शैली में हैं।

साखी का सार

संत कबीर ने निर्गुण भक्ति के प्रति अपनी आस्था के भावों को प्रकट करते हुए माना है कि मानव जन्म मिलना बहुत दुर्लभ है। यह शरीर नाशवान है इसलिए इस पर अहंकार नहीं करना चाहिए। मनुष्य को अहं त्याग कर प्रेम से रहना चाहिए क्योंकि ईश्वर सर्वशक्तिमान है वही सब कुछ करने वाला है। कबीर जी मनुष्य को मधुर वाणी बोलने का उपदेश देते हैं। हमें परमात्मा के नाम में भेदभाव करने से मना करते हैं क्योंकि परमात्मा का स्वरूप एक है। मनुष्य को अपने मन को साफ रखना चाहिए। उसे छोटे-बड़े में भेद नहीं करना चाहिए। कई बार बड़ी वस्तु की अपेक्षा छोटी वस्तु अधिक महत्त्वपूर्ण प्रतीत होती है। मनुष्य को सत्कर्म रूपी धन का संचय करना चाहिए। यही धन मनुष्य के अंत समय में साथ जाता है। सदगुरु ही मनुष्य को सद्मार्ग दिखाते हैं। अहं का त्याग करना तथा गुरुओं की वाणी का आदर करना सिखाते है। जीवन में दुःख-सुख सभी आते-जाते रहते हैं परन्तु हमें प्रभु भक्ति को कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए।

कबीर के दोहे Summary

सबद का सार

निर्गुण-भक्ति के प्रति अपने निष्ठाभाव को प्रकट करते हुए कबीर जी मानते हैं कि वे प्रभु के पुत्र हैं। वे प्रभु को माँ रूप में तथा स्वयं को पुत्र रूप में मानते हैं। इस सम्बन्ध से आत्मा-परमात्मा को अनन्य सम्बन्ध की सृष्टि की गई है। कबीर जी मानते हैं कि वे एक छोटे बालक हैं। माँ बच्चों के अपराध क्षमा कर देती है। माँ स्नेह का पात्र होती है जिसमें अपने बच्चों के लिए प्यार होता है। वह अपने बच्चों को कभी भी दु:खी नहीं देख सकती। इसलिए वह मेरे सभी अपराध क्षमा करके मुझे अपनी शरण में ले।

रमैणी का सार

निर्गुण भक्ति के प्रति अपने निष्ठाभाव को प्रकट करते हुए कबीर जी मानते हैं कि ईश्वर का कोई रूप नहीं है वह सर्वशक्तिमान है। उनके स्वरूप को किसी ने नहीं समझा है। हिन्दू और मुसलमान भी ईश्वर के साकार रूप में भटक रहे हैं। वे ईश्वर की माया को समझ नहीं पा रहे हैं।

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ਰੇਲ-ਗੱਡੀ ਆਈ Summary in punjabi

Railgaddi Aay Summary in punjabi

ਰੇਲ-ਗੱਡੀ ਆਈ” translates to “The Train Has Arrived” in English. This phrase appears to be related to the arrival of a train. The provided search results primarily contain song lyrics and some references to the term in Punjabi culture. Read More Class 3rd Punjabi Summaries.

ਰੇਲ-ਗੱਡੀ ਆਈ Summary in punjabi

ਸ਼ਬਦ : ਅਰਥ
ਖੜ੍ਹਾਇਆ : ਖੜ੍ਹਾ ਕੀਤਾ ।
ਗਾਰਡ : ਗਾਰਡ ਗੱਡੀ ਦੇ ਪਿਛਲੇ ਡੱਬੇ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਗੱਡੀ ਨੂੰ ਹਰੀ ਜਾਂ ਲਾਲ ਝੰਡੀ ਦਿਖਾ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਚੱਲਣ ਜਾਂ ਰੁਕਣ ਦਾ ਇਸ਼ਾਰਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
ਖਲ੍ਹਾਰ : ਖੜ੍ਹੀ ਕੀਤੀ ।
ਖਲ੍ਹਾਰੀ : ਖੜ੍ਹੀ ਕੀਤੀ ।
ਝੱਗੇ : ਕਮੀਜ਼ਾਂ ।
ਭਜਾਇਆ: ਦੌੜਾਇਆ ।
ਹਝੋਕਾ : ਹੋਹਾ, ਝਟਕਾ, ਧੱਕਾ |
ਮੈਦਾਨ : ਖੇਡ ਦਾ ਮੈਦਾਨ ।

ਸਾਈਕਲ ਦੇ ਝੂਟੇ Summary in punjabi

Cycle de jhoote Summary in punjabi

The term “jhoote” seems to relate to deceit or falsehood in Hindi or Punjabi. “Cycle de jhoote” This can be provided contain summary description in punjabi. Read More Class 3rd Punjabi Summaries.

ਸਾਈਕਲ ਦੇ ਝੂਟੇ Summary in punjabi

ਸ਼ਬਦ : ਅਰਬ
ਨਜ਼ਰ : ਧਿਆਨ ।
ਬਲਵਾਨ: ਤਕੜਾ ।
ਸਕਿਆ : ਹਿੱਲਿਆ |
ਨਿੱਤਰਿਆ : ਸਾਹਮਣੇ ਆਇਆ ।
ਸਰਕੇ : ਹਿੱਲੇ ।
ਸ਼ੇ ਮੀ : ਆਪਣੀ ਤਾਕਤ ਨੂੰ ਵਧਾ-ਚੜ੍ਹਾ ਕੇ ਦੱਸਣਾ ।
ਪਹਿਲਵਾਨ : ਤਕੜਾ ਮਨੁੱਖ, ਘੋਲ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਮੱਲ ।
ਹਈ ਸ਼ਾਅ : ਜ਼ੋਰ ਲਾਉਂਣ ਸਮੇਂ ਮੂੰਹੋਂ ਕੱਢੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਅਵਾਜ਼ ।
ਭੋਰਾ ਵੀ : ਜ਼ਰਾ ਵੀ ।
ਹਰਕਤਾਂ : ਹਿਲ-ਜੁਲ, ਕੰਮ |
ਕਮਲਿਓ : ਗਲੋ, ਬੇਅਕਲੋ ।
ਟਪੂਸੀ ਮਾਰ ਕੇ : ਉੱਛਲ ਕੇ , ਛਾਲ ਮਾਰ  ਕੇ ।
ਮਜ਼ੇਦਾਰ : ਸੁਆਦਲੇ ।

सवैये Summary In Hindi

सवैये Summary In Hindi

Savaiye” refers to a collection of religious and philosophical verses composed by Guru Gobind Singh Ji, the tenth Guru of Sikhism. These verses are part of the Dasam Granth, a religious text in Sikhism that includes compositions attributed to Guru Gobind Singh Ji. The term “Savaiye” is derived from the Punjabi word “sava,” which means “one and a quarter,” indicating the traditional length of each verse. Read More Class 11 Hindi Summaries.

सवैये Summary In Hindi

सवैये जीवन-परिचय

हिन्दी के मुसलमान कवियों में रसखान का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन्होंने मुस्लिम धर्मावलंबी होने पर भी श्रीकृष्ण के सौन्दर्य पर मुग्ध होकर अपने हृदय की शुद्धता और विशालता का प्रत्यक्ष प्रमाण दिया है। रसखान का जन्म सन् 1558 के आस-पास दिल्ली के एक संपन्न पठान परिवार में हुआ था। इनका पठान बादशाहों के वंश से संबंध माना जाता है। इनके जन्म-समय, शिक्षा-दीक्षा, व्यवसाय एवं निधन के सम्बन्ध में प्रामाणिक रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। रसखान श्रीकृष्ण जी के अनन्य भक्त थे। श्रीकृष्ण जी की भक्ति इनका सर्वस्व था। ये मुसलमान थे और फ़ारसी के विद्वान थे फिर भी इनका हिन्दू संस्कृति के प्रति अत्यधिक अनुराग था। साधुओं के संगीत के कारण इन्होंने वेदों और शास्त्रों के सिद्धान्तों का अध्ययन किया। सन् 1616 के लगभग इनका स्वर्गवास हो गया।

इनकी रचनाओं को संपादकों ने अनेक रूपों में प्रस्तुत किया है। रसखान दोहावली, रसखान कवितावली, रसखानि ग्रंथावली, रसखान शतक, प्रेमवाटिका सुजान रसखान, रसखान पदावली, रत्नावली आदि इनके अनेक संकलन हैं। इनकी रचनाओं में कृष्ण की लीलाओं को बड़ी तन्मयता से प्रस्तुत किया गया है। इनमें प्रेम का मनोहारी चित्रण हुआ है।

सवैये का सारांश

रसखान हिन्दी के कृष्ण-भक्त कवियों में अपना अलग ही स्थान रखते हैं। प्रस्तुत सवैये ‘सुजान रसखान’ नामक रचना से लिए गए हैं। रसखान जी के अनुसार प्रत्येक मनुष्य के अपने-अपने आराध्य देव होते हैं परन्तु उनके आराध्य देव श्रीकृष्ण हैं जो उनके सभी मनोरथ पूरे करते हैं। मनुष्य को सबकी सुननी चाहिए परन्तु उसे वही करना चाहिए जिसमें उसका हित निहित हो। कवि के अनुसार श्रीकृष्ण की भक्ति हमें एकाग्र होकर करनी चाहिए तभी हम संसार रूपी सागर से पार हो सकेंगे। कवि अपनी भक्ति में वह सब करना चाहता है जिससे श्रीकृष्ण जी प्रसन्न होकर उन्हें अपनी शरण में ले लें। कवि वही रहना चाहता है जहां कण-कण में श्रीकृष्ण का वास है। वह श्रीकृष्ण की निकटता के लिए कुछ भी करने या बनने को तैयार हैं। कवि गोपियों के श्रीकृष्ण प्रेम और बांसुरी के प्रति सौतिया ईर्ष्या का वर्णन किया है। गोपियां श्रीकृष्ण के प्रेम में उनका रूप धारण करती हैं परन्तु उनकी प्रिय बांसुरी को अपने होठों पर धारण नहीं करना चाहती।

वापसी कहानी Summary In Hindi

वापसी कहानी Summary In Hindi

“Wapsi Kahani Summary” After retirement Ramji millers offered him a job in their sugar mill but he did not accept because of his dream of being with the family. Now he sent consent for that. Read More Class 12 Summaries.

वापसी कहानी Summary In Hindi

वापसी जीवन परिचय

उदयशंकर भट्ट का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।

उदयशंकर भट्ट जी का जन्म सन् 1897 ई० में उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर में हुआ। शिक्षा-प्राप्ति के पश्चात् आपने लायलपुर (पाकिस्तान) के एक स्कूल में संस्कृत अध्यापक के रूप में नौकरी शुरू की। वहाँ से आप सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज, लाहौर में पढ़ाते रहे। यहीं पर इन्होंने साहित्य साधना आरम्भ की। विभाजन के बाद इन्होंने दिल्ली के आकाशवाणी केंद्र में कार्य किया। इनके अभिनव एकांकी, स्त्री का हृदय, आदिम युग, समस्या का अन्त, अन्धकार और प्रकाश तथा पर्दे के पीछे एकांकी संग्रह विशेष उल्लेखनीय हैं। इन्होंने अनेक रेडियो एकांकी भी लिखे हैं। सन् 1964 ई० में इनका निधन हो गया था।

वापसी एकांकी का सार

वापसी एकांकी का सार लिखो।

रायसाहब राम प्रसन्न पैंतीस वर्ष तक रंगून में काम करने के बाद स्वदेश लौटे हैं। बर्मा में उन्होंने काफ़ी धन कमाया था जिसे लेकर वे स्वदेश लौटे थे। घर उनका कोई नहीं था अतः वे एक सम्बन्धी के यहाँ ठहरें। दिन-रात शराब में मस्त रहने के कारण उनका स्वास्थ्य गिर गया। एकांकी का जब पर्दा उठता है तो रायसाहब पलंग पर लेटे हैं। उसी कमरे में उनका कैशबक्स भी पड़ा है।

रायसाहब की बेटी अपनी मासी से उनके इस तरह लेटे होने का कारण जानना चाहती है तो मासी सरोजिनी इसे अपना मन्दभाग्य बताती है कि वह रायसाहब को शराब पीने से न रोक सकी। सरोजिनी सन्दूक की चाबियों के गुच्छे की तलाश करती है। तभी उनका पड़ौसी सिद्धेश्वर आकर रायसाहब को किसी डॉक्टर को दिखाने की बात कहता है और उन्हें मृत्यु के करीब जानकर कोई दान-पुण्य की बात कहता है।

सरोजिनी किसी पण्डित से उन्हें गीता सुनाने की बात कहती है। सिद्धेश्वर उन्हें ज़मीन पर उतार देने की बात कहता है। तभी रायसाहब के सम्बन्धी अम्बिका, उनके भाई दीनानाथ तथा दीनानाथ का साला वंशीधर आते हैं। वे सब रायसाहब की मृत्यु निकट देख उनके कैशबक्स की चाबियों के लिए आपस में छीना-झपटी करते हैं, गाली-गलौच करते हैं और सौदेबाज़ी पर उतर आते हैं। अन्त में पता चलता है कि रायसाहब नाटक कर रहे थे। वे उठ बैठते हैं और अपने सगे सम्बन्धियों के व्यवहार से निराश होकर बर्मा वापस जाने का निर्णय करते हैं।

ਦੋਸਤੀ Summary in punjabi

Dosti Summary in punjabi

Dosti” is a Punjabi word that translates to “friendship” in English. It signifies a close and mutual bond between individuals who share trust, support, affection, and understanding. Friendship goes beyond just acquaintanceship; it involves loyalty, empathy, and a willingness to be there for each other through thick and thin. Read More Class 3rd Punjabi Summaries.

ਦੋਸਤੀ Summary in punjabi

ਸ਼ਬਦ : ਅਰਥ
ਕੱਠੇ : ਇਕੱਠੇ, ਰਲ ਕੇ ।
ਮੀਚ:, ਮੀਟ, ਬੰਦ ।
ਟਪਕੀ: ਅਚਾਨਕ ਆ ਗਈ ।
ਦਾਅ: ਘਾਤ, ਸਹੀ ਮੌਕਾ ।
ਚਿੜਾਅ : ਖਿਝਾ, ਤੰਗ ਕਰਨਾ|
ਡੋਹ ਡੋਹ : ਖਿਝਾਉਣ ਲਈ ਮੂੰਹੋਂ ਕੱਢੀਆਂ ਅਵਾਜ਼ਾਂ