हुसैनीवाला बार्डर Summary In Hindi

हुसैनीवाला बार्डर Summary In Hindi

हुसैनीवाला बार्डर, भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित एक प्रमुख सीमा पार पदक है, जो पंजाब राज्य के फीरोजपुर जिले में स्थित है। यहाँ पर भारतीय और पाकिस्तानी सेना के बीच वार के समय जल्दी ही तनाव बढ़ जाता है और यह एक प्रमुख सीमा तनाव क्षेत्र के रूप में माना जाता है। हुसैनीवाला बार्डर भारतीय और पाकिस्तानी सम्बंधों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। Read More Class 7 Hindi Summaries.

हुसैनीवाला बार्डर Summary In Hindi

हुसैनीवाला बार्डर पाठ का सारांश

‘हसैनीवाला बार्डर’ पत्र के रूप में लिखा पाठ है, जो रश्मि ने वैशाली को लिखा है। इस में फिरोज़पुर के पास पाकिस्तान सीमा पर स्थित हुसैनीवाला बार्डर के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। वैशाली छुट्टियों में शिमला घूम आई थी जबकि रश्मि अपने अंकित भैया और पापा के साथ फिरोज़पुर रजनी दीदी के घर गई थी। वहाँ उसने फिरोज़पुर में देखे महत्त्वपूर्ण स्थलों का इस पत्र में वर्णन किया है।

फिरोज़पुर पंजाब का बहुत पुराना शहर है, जिसे चौदहवीं शताब्दी में फिरोज़शाह तुग़लक ने बसाया था। यह फिरोज़पुर शहर और छावनी दो भागों में बँटा हुआ है। भारतपाकिस्तान सीमा का हुसैनीवाला बार्डर यहाँ से लगभग ग्यारह किलोमीटर है। यह सतलुज नदी के किनारे पर स्थित है। यहाँ अमर शहीद भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव की समाधियाँ हैं। सांडर्स की हत्या के कारण इन्हें 24 मार्च, सन् 1931 को फाँसी देने की सज़ा सुनाई गई थी परन्तु ब्रिटिश सरकार ने इन्हें 23 मार्च, सन् 1931 की शाम को फाँसी देकर इनके शवों को यहीं जला दिया था, जिस कारण यह स्थान आज भी वंदनीय है। इन समाधियों के पास बटुकेश्वर दत्त तथा भगतसिंह की माता श्रीमती विद्यावती की समाधियां भी हैं। सन् 1962 तक बार्डर का एक किलोमीटर का यह क्षेत्र पाकिस्तान के पास था, जिसे सन् 1962 में फाजिल्का बार्डर के नज़दीक हैडसुलेमान के बारह गाँव पाकिस्तान को देकर इस अमर शहादत वाली भूमि को ले लिया था।

हुसैनीवाला बार्डर Summary In Hindi images

सन् 1970 से यहाँ वाघा बार्डर के समान रिट्रीट समारोह होने लगा है, जो देखने लायक होता है। यहाँ उस समय ‘वन्देमातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ का स्वर गूंज उठता है तथा सीमा रेखा का शाने हिन्द, पाकिस्तान के फक्र-ए-पाक से ऊँचा होकर भारत की विशालता, महानता, बड़प्पन और शक्ति के गुण गाता है। फिरोजपुर के बर्की मैमोरियल और सारागढ़ी मैमोरियल भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान के प्रतीक हैं। बर्की मैमोरियल सन् 1965 के अमर शहीदों की स्मृति में 11 सितम्बर, सन् 1969 को लै० ज० हरबख्श सिंह वी०सी० द्वारा स्थापित किया गया था तथा सारागढ़ी मैमोरियल 12 सितम्बर, सन् 1897 को वर्जिस्तान के सारागढ़ी किले की रक्षा करते हुए 36 सिक्ख रेजीमेंट के 21 सिक्ख सैनिकों की वीरता की याद दिलाता है।

इन समाधि स्थलों के दर्शनों से हम इन सैनिकों के बलिदान के प्रति नतमस्तक हो जाते हैं। हमें भी भारत-माता के गौरव और सम्मान के लिए सदा तत्पर रहने का प्रण लेना चाहिए।

Conclusion:

सारांश में, हुसैनीवाला बार्डर एक महत्वपूर्ण सीमा पार पदक है जो भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा सुरक्षा मुद्दों का महत्वपूर्ण केंद्र है। इस क्षेत्र में आयोजित तनाव और सीमा सुरक्षा के मुद्दे भारत और पाकिस्तान के संबंधों के अंतरराष्ट्रीय प्रमुख बारोमीटर के रूप में कार्य करते हैं। इसे सुरक्षा संबंधित चुनौतियों का साम्रिक रूप में देखा जा सकता है और यह साथ में बैठकर सुलझाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।

रेडियो जॉकी Summary in Hindi

रेडियो जॉकी Summary in Hindi

“रेडियो जॉकी”, जिसे आरजे के रूप में भी जाना जाता है, एक व्यक्ति होता है जो रेडियो शो की मेजबानी करता है। आरजे आमतौर पर संगीत बजाते हैं, समाचार और अपडेट प्रदान करते हैं, और श्रोताओं के साथ बातचीत करते हैं।

रेडियो जॉकी Summary in Hindi

रेडियो जॉकी लेखक परिचय :

आवाज की दुनिया के बेताज बादशाह अनुराग पांडेय जी ने रेडियो के लिए पच्चीस से अधिक नाटकों का लेखन कार्य किया है। पिक्चर पांडेय शो से वे घर-घर में लोकप्रिय हो गए। रेडियो की दुनिया में पिछले 26 साल से सक्रिय है। अद्भुत और कलात्मक रेडियो जॉकिंग करने के कारण श्रोता वर्ग इनकी ओर आकर्षित होता है। मूलत: इंदौर के रहने वाले अनुराग पांडेय जी के रोजाना साढ़े पाँच करोड़ श्रोता है।

रेडियो जॉकी पाठ परिचय :

प्रस्तुत पाठ एक साक्षात्कार है जिसमें आर. जे. अनुराग पांडेय जी ने रेडियो जॉकी के क्षेत्र में रोजगार के विपुल अवसरों की जानकारी दी है। इस क्षेत्र में करिअर बनाने के लिए आवश्यक योग्यताएँ तथा सामजिक जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला

रेडियो जॉकी पाठ का सारांश :

‘रेडियो जॉकी’ शब्द ‘रेडियो’ और ‘जॉकी’ इन दो शब्दों के मेल से बना है जिसका अर्थ है ऐसा कार्यक्रम संचालक जो कुशलतापूर्वक अपने चैनल को और प्रसारित कार्यक्रम को सबसे आगे रखे। एक जमाने में रेडियो जॉकी केवल उद्घोषक (अनाउंसर) होते थे परंतु अब रेडियो इन्फर्मेशन विथ एंटरटेनमेंट हो गया है।

रेडियो जॉकी Summary in Hindi 1

रेडियो जॉकी बनने के लिए स्टाफ सिलेक्शन कमिशन तथा ऑल इंडिया रेडियो द्वारा ली जाने वाली परीक्षा उत्तीर्ण होनी पड़ती है और इस परीक्षा के लिए स्नातक की उपाधि आवश्यक है। उसके बाद साक्षात्कार करके उम्मीदवार का चयन होता है। आज इस क्षेत्र में रोजगार के विपुल अवसर उपलब्ध हैं।

योग्यता, भाषा पर प्रभुत्व, देश-विदेश की जानकारी, आवाज में उतारचढ़ाव, वाणी में नम्रता आदि गुण, क्षेत्रीय रेडियो स्टेशन पर अनुभव लेकर बड़े रेडियो स्टेशन पर काम करने का अवसर मिल जाता है। रेडियो स्टेशन सिर्फ कला, ज्ञान और प्रस्तुतीकरण की शैली देखकर चयन करते हैं।

रेडियो जॉकी को अपने कान, आँखें निरंतर खुली रखने की जरूरत है। साहित्य और सचामार पत्र पढ़ने चाहिए; सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा ऐतिहासिक ज्ञान चाहिए, साक्षात्कार लेने की कुशलता चाहिए। श्रोता द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों का ज्ञान उसके पास चाहिए। किसी निराश श्रोता को प्रोत्साहित करने के लिए मनोविश्लेषणात्मक ज्ञान चाहिए जिससे श्रोता का मनोबल वह बढ़ा सके।

रेडियो जॉकी Summary in Hindi 2

रेडियो जॉकी की भाषा सहज, सरल, संतुलित, रोचक तथा प्रवाहमयी होनी चाहिए। उसमें वाक्पटुता का गुण हो। उसे तकनीकी चीजों की जानकारी होनी चाहिए। मनोरंजनात्मक ढंग से लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का काम भी उसे करना चाहिए क्योंकि प्रसारण के माध्यमों में रेडियो सबसे तेज प्रसारित और प्रेषित करने का सशक्त माध्यम है।

रेडियो का भविष्य उज्ज्वल है और युवा वर्ग को मनोरंजन, जोश से भरपूर इसके विस्तृत क्षेत्र में अपना उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए अपने कदम अवश्य बढ़ाने चाहिए।

रेडियो जॉकी Summary in Hindi 3

Conclusion

“रेडियो जॉकी” एक चुनौतीपूर्ण और पुरस्कृत करियर है जो लोगों को दूसरों को प्रभावित करने और दुनिया पर अपना प्रभाव डालने का अवसर प्रदान करता है।

माँ का लाल Summary In Hindi

माँ का लाल Summary In Hindi

“माँ का लाल” एक दिलचस्प हिंदी कहानी है जो माँ-बेटे के बीच के प्यार और संबंध को प्रकट करती है। इस कहानी में हमें एक माँ की ममता और बेटे के प्रेम की गहराईयों को देखने का मौका मिलता है, जो उनके जीवन के खास पलों को हासिल करते हैं। “माँ का लाल” हमें माँ के प्यार और समर्पण की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाती है। Read More Class 7 Hindi Summaries.

माँ का लाल Summary In Hindi

माँ का लाल पाठ का सार

‘माँ का लाल’ एक एकांकी है, जिसमें लेखक ने एक देशभक्त बालक के आत्म बलिदान द्वारा देश के लिए बलिदान देने की प्रेरणा दी है। रमा रसोई बना रही थी तभी उस का पन्द्रह वर्षीय बेटा माधव बाज़ार में सौदा लेकर आया। रमा ने उसके देर से आने का कारण पूछा तो उसने बाजार से लगी भीड़ में हो रही चर्चा के विषय में बताया कि गाँधी जी आठ अगस्त की रात को बन्दी बना लिए गए हैं। उनके साथ हज़ारों दूसरे लोग भी गिरफ्तार हुए हैं। रमा उसे यह सब छोड़ कर अपना काम करने के लिए कहती है। तभी पसीना-पसीना हुए माधव के पिता सोहन लाल आए और उन्होंने बताया कि रेलगाड़ी उड़ाने की अफवाह सुनकर वे लारी से आए थे।

रमा ने रेल उड़ाने पर कहा कि रेलें तो सबकी हैं, उन्हें उड़ाने की क्या तुक है? सोहन लाल इससे परेशान सब की बात बताई और कहा कि इस बार ज़रूर अंग्रेज़ सरकार से लड़ाई होगी। माधव अपने बारे में जानना चाहता था कि वे किसके साथ थे ? रमा ने उसे झिड़ककर अपना काम करने के लिए कहा। दूसरे दृश्य में पार्टी के दफ्तर पर तिरंगा झंडा लगा हुआ था। माधव ने वहाँ जा कर सभापति से पूछा कि महात्मा .. जी करो या मरो का नारा देकर चले गए थे, वह क्या करे, यही पूछने आया था। सभापति ने अभी उसे पढ़ने-लिखने के लिए कहा तथा स्वयं वहाँ से चले जाना चाहा, क्योंकि वहाँ पुलिस के आने की उन्हें सूचना मिल चुकी थी।

तीसरे दृश्य में माधव और गाँव के कई बालक रात के पहले पहर में एक मैदान में एकत्र होकर नेताओं की गिरफ्तारी तथा पुलिस की पकड़-धकड़ पर बातें कर रहे थे। स्कूल बन्द हो गए थे। वे देश के लिए कुछ करना चाहते थे। तभी वहाँ सभापति ने उन्हें काम बताया कि वे और उन के साथी यहाँ छिपकर रह रहे थे और देश को आजाद कराने की लड़ाई लड़ रहे थे। यदि पुलिस या फ़ौज इधर आए तो उस की सूचना उन्हें देने के लिए कहा। उन्होंने माधव को लड़कों का नेता बना दिया।

चौथे दृश्य में गाँव से लगे मैदान में फ़ौजी और पुलिस वाले गाँव वालों को सिर नीचा कर एक लाइन में बिठा कर तोड़-फोड़ करने वालों के विषय में पूछ रहे थे पर कोई कुछ बता नहीं पाया। फ़ौजी ने उन्हें फिर पूछा और धमकी दी कि बता दो नहीं तो सब मारे जाओगे। इस पर एक आदमी ने बताया कि एक लड़का माधव गाँववालों से खाना माँगकर उन्हें पहुँचाता है, उसे पता होगा। फ़ौजी ने माधव को उन में से अलग कर दिया। तो माधव ने उस आदमी के कथन का समर्थन करते हुए कहा कि वह गाँव वालों को बचाने के लिए अपनी जान दे देगा पर उन लोगों का नाम नहीं बताएगा। उसने कुछ बुकनी-सी निकालकर अपने मुँह में डाल लिया और देखते-ही-देखते मर गया। फ़ौजी ने सब को वहाँ से जाने दिया।

पाँचवां दृश्य बहुत दिनों बाद गाँव की सभा का था। मंच पर गाँधी जी और माधव के चित्र थे। सभापति देश को स्वतंत्र कराने में माधव का योगदान महत्त्वपूर्ण बताया, जिसने गाँव को बचाया, देश आज़ाद कराया परन्तु स्वयं चला गया। सब लोगों ने उनकी जय बोली और पर्दा गिर गया।

Conclusion:

“माँ का लाल” का संग्रहण हमें माँ-बेटे के संबंध की महत्वपूर्णता को समझाता है, और यह दिखाता है कि माँ की ममता और प्यार हमारे जीवन में अत्यधिक मूल्यवान होते हैं। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हमें अपने माता-पिता के प्रति हमारी कृतज्ञता और प्रेम का महत्व समझना चाहिए, और हमें उनके साथ बिताए गए समय को महत्वपूर्ण बनाना चाहिए।

बुद्धि बल Summary In Hindi

बुद्धि बल Summary In Hindi

“बुद्धि बल” एक महत्वपूर्ण भारतीय मूल्य है जो हमें यह सिखाता है कि शिक्षा और ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका हमारे जीवन में होती है। यह भी दर्शाता है कि शिक्षा हमें समझदार और सोचने की क्षमता प्रदान करती है, जिससे हम समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। “बुद्धि बल” का अर्थ होता है कि हमें ज्ञान की महत्वपूर्णता को समझना और उसे अपने जीवन में लागू करना चाहिए। Read More Class 7 Hindi Summaries.

बुद्धि बल Summary In Hindi

बुद्धि बल पाठ का सार

‘बुद्धि बल’ पाठ में लेखक ने छत्रपति शिवाजी की बुद्धिमत्ता की एक घटना का वर्णन किया है जिस का सन्देश यह है कि बुद्धि के प्रयोग से बड़ी-से-बड़ी मुसीबत से भी बचा जा सकता है। मुग़लों के समय की यह घटना है। एक दिन औरंगज़ेब ने अपने सेनापति दिलेर खाँ को शिवाजी को जीवित पकड़कर दरबार में लाने के लिए कहा तो उसने यह कार्य राजा जयसिंह से करवाने के लिए कहा। उसका मानना था कि हिन्दू होने के कारण शिवाजी जयसिंह की इस बात पर विश्वास कर लेंगे कि एक बार उनके आगरे के दरबार में आने से उन्हें स्वतंत्र राजा मान लिया जाएगा। शाइस्ता खाँ या अफज़ल खाँ का यकीन वे उनके मुसलमान होने के कारण नहीं करेंगे। औरंगज़ेब ने जय सिंह के साथ दिलेर खाँ को भी एक बहुत बड़ी सेना के साथ शिवाजी को लाने के लिए भेज दिया।

छत्रपति शिवाजी अफजल खाँ और शाइस्त खाँ की सेनाओं से पराजित तो नहीं हो सके थे परन्तु जयसिंह की बातों पर विश्वास कर औरंगजेब के दरबार में जब आ गए थे तो औरंगजेब ने उन्हें ‘पहाड़ी चूहा’ कह कर दिलेर खाँ से कह कर बन्दी बनाकर आगरे के किले में कैद करा दिया था। आगरे के किले के चारों ओर पूरी सेना तैनात कर दी गई थी, जिससे कोई बाहर न जा सके।

छत्रपति शिवाजी किले में कैद तो थे परन्तु वहाँ से निकलने के उपाय सोचते रहते थे। औरंगज़ेब ने उन्हें छल से बन्दी बनाया था इसलिए वे भी उसे छल से मात देना चाहते थे। अप्रैल का महीना था। इसी महीने शिवा जी का जन्म हुआ था। उन्होंने अपना जन्म दिन मनाने की घोषणा करते हुए कहा कि उन का जन्म दिन दस अप्रैल को है, जिसके उपलक्ष्य में वे दस दिन तक लोगों को फल-फूल, मिठाई-अन्न का दान करेंगे।

औरंगज़ेब ने इस की आज्ञा दे दी। वे रोज़ दस-बीस बड़े-बड़े टोकरे फूल, फल, अन्न, मिठाई के मंगवाते और माँ भवानी की पूजा कर उन्हें छूकर बाहर बाँटने के लिए भेज देते। पहरेदार और उनके परिवार भी इन वस्तुओं का खूब आनन्द लेते। एक दिन शिवाजी मिठाई के टोकरे में छिप कर किले से बाहर निकल गए, जहाँ थोड़ी दूर पर एक तेज़ घोड़ा पहले से ही तैयार था, जिस पर सवार हो वे अपने किले में पहुँच गए। पहरेदारों ने जब उनकी कोठरी खाली देखी तो उनके होश उड़ गए।

Conclusion:

“बुद्धि बल” का संग्रहण हमें यह सिखाता है कि शिक्षा और ज्ञान का महत्व हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में अत्यधिक है। यह हमारी सोचने और समझने की क्षमता को बढ़ावा देता है और हमें समस्याओं का सही समय पर समाधान निकालने में मदद करता है। “बुद्धि बल” हमारे समृद्धि और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमें इसे अपने जीवन में महत्वपूर्ण तरीके से लागू करना चाहिए।

नमन देश के जवानों को Summary In Hindi

नमन देश के जवानों को Summary In Hindi

“नमन देश के जवानों को” एक कविता है जो भारतीय सैनिकों के शौर्य, समर्पण, और वीरता को महत्वपूर्ण रूप से बयां करती है। इस कविता में हमें सैनिकों के प्रति हमारी कृतज्ञता और आदर का अभिवादन किया जाता है, जो हमारे देश की सुरक्षा के लिए अपने जीवन की कठिन श्रम करते हैं। यह कविता एक सामाजिक संदेश का प्रतीक है और हमें याद दिलाती है कि हमें सैनिकों के साथ होने वाले उनके संघर्ष का समर्थन करना चाहिए। Read More Class 7 Hindi Summaries.

नमन देश के जवानों को Summary In Hindi

नमन देश के जवानों को कविता का सार

‘नमन देश के जवानों को’ कविता में कवि ने देश के रक्षक वीर जवानों को नमन किया है। कवि कहता है कि वह देश के उन वीर सैनिकों को प्रणाम करता है जो देश की रक्षा के लिए देश की सीमा पर डटे रहते हैं और शत्रु-सेना का सामना करते हुए उसे उसके अरमानों को पूरा नहीं करने देते। वे पहाड़, नदी, रेगिस्तान, खाई, समुद्र, जंगल हर स्थान पर चुनौतियों को स्वीकार करते हैं। वे तिरंगे के सम्मान की रक्षा करते हुए उसे सैल्यूट करते हैं जो उनके उत्साह का उदाहरण है। वे भारत के सुनहरे भविष्य के लिए अपना आज मिटा देते हैं और युद्ध क्षेत्र में कभी पीठ नहीं दिखाते। वे शत्रु को पराजित कर उसे छठी का दूध याद दिला देते हैं। अपना बलिदान देकर वे भारत माता की रक्षा करते हैं। वे बहादुरी से अपने कर्तव्य का पालन करते हुए परमवीर, महावीर, वीरचक्र पुरस्कार में प्राप्त करते हैं। ऐसे देश के सपूतों, वीर जवानों को हमारा नमस्कार है।

Conclusion:

“नमन देश के जवानों को” का संग्रहण हमें समर्पण, वीरता, और देश भक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाता है। यह कविता हमारे सैनिकों के प्रति हमारे आदर और गर्व का प्रतीक है, और हमें उनके सेवानिवृत्ति और संघर्ष की महत्वपूर्णता को याद दिलाती है। हमें इसे एक समर्थन और प्रेरणा स्रोत के रूप में देखना चाहिए, और हमें समय-समय पर अपने सैनिकों के साथ होने वाले संघर्ष का समर्थन करना चाहिए।

चन्द्रशेखरआज़ाद Summary In Hindi

चन्द्रशेखरआज़ाद Summary In Hindi

“चन्द्रशेखर आज़ाद” एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय नेता थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के साथ अपने महान योगदान के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की। उनकी निष्ठा, साहस, और स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की कहानी हमें वीरता और राष्ट्र प्रेम के महत्व को याद दिलाती है। “चन्द्रशेखर आज़ाद” भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण योद्धा और राष्ट्रीय आदर्श के प्रतीक के रूप में जीवन में रहे हैं। Read More Class 7 Hindi Summaries.

चन्द्रशेखर आज़ाद Summary In Hindi

चन्द्रशेखर आज़ाद पाठ का सार

‘चन्द्रशेखर आज़ाद’ पाठ में लेखक ने भारत माता के वीर सपूत क्रांतिकारी स्वतन्त्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद के जीवन की कुछ घटनाएँ प्रस्तुत करते हुए, उनके चरित्र से देशभक्ति की प्रेरणा लेने का संदेश दिया है। भारत 15 अगस्त, सन् 1947 ई० को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद हुआ था, जिसे पाने के लिए अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया था। इनमें चन्द्रशेखर आजाद का नाम प्रमुख है। इनका जन्म मध्यप्रदेश के झबुआ जिले के भाँवरा गाँव में हुआ था। इनके पिता पंडित सीता राम तिवारी तथा माता का नाम जगरानी देवी था। इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में प्राप्त की तथा संस्कृत का अध्ययन बनारस में किया। चौदह वर्ष की आयु में ही अंग्रेज़ों के अत्याचारों के समाचार पढ़ कर इनका खून खौल उठता था। वे देश प्रेम की भावना से भरकर देश को आज़ाद कराने के लिए तड़पने लगे।

एक दिन अंग्रेजों के पुलिसकर्मियों द्वारा स्वतंत्रता के लिए आन्दोलन करने वालों को बेरहमी से पीटा और घसीटा देखकर इन्होंने एक पुलिस अधिकारी के माथे पर पत्थर दे मारा। वह लहूलुहान हो गया। ये वहाँ से भाग गए परन्तु एक पुलिस कर्मी ने इनके मस्तक पर चंदन का टीका लगा होने से पहचान कर इनके घर से इन्हें पकड़वा दिया। इन पर मुकद्दमा चला तो इन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्र तथा घर का पता जेलखाना बताया। इस पर क्रोधित होकर मैजिस्ट्रेट ने इन्हें पन्द्रह बेंतें मारने का दंड दिया, जिसे इन्होंने ‘वन्दे मातरम्’ तथा ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए स्वीकार किया।

इन्होंने अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध गुप्त रूप से परचे बांटे। इनका एक क्रांतिकारी दल बन गया था, जिसने 9 अगस्त, सन् 1945 ई० को लखनऊ के नज़दीक काकोरी में ट्रेन रोक कर एक सरकारी खज़ाना लूट लिया था। इन के साथी अशफाकउल्ला, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को इस काम में शामिल होने के कारण फांसी दे दी गई थी। ये झांसी के पास ढिकनपुरा गाँव के जंगलों में ब्रह्मचारी के वेश में हरिशंकर नाम से रहने लगे। देश को स्वतंत्र कराने की चाह लिए वे वीर सावरकर और सरदार भगतसिंह से भी मिले थे। जब साइमन कमीशन के विरोध में लाला लाजपतराय शहीद हुए तो इनका बदला लेने के लिए उन्होंने भगत सिंह, राजगुरु तथा जयगोपाल के साथ पुलिस अधीक्षक स्कॉट को मारने की योजना बनाई परन्तु मारा सहायक पुलिस अधीक्षक सांडर्स गया। इसके पुलिस ने क्रांतिकारों की धरपकड़ शुरू कर दी। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, सन् 1929 ई० को केन्द्रीय विधानसभा में बम फेंका और ‘इन्कलाब जिंदाबाद’ कहते हुए अपनी गिरफ्तारी दी। बाद में भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव पर आरोप लगा पुस्तकीय भाग कर फाँसी दे दी गई तथा बटुकेश्वर दत्त को कालेपानी की सज़ा, चन्द्रशेखर आजाद अभी पकड़े नहीं गए थे।

पुलिस आज़ाद को पकड़ने के लिए उनके एक साथी तिवारी को लालच देकर अपने साथ मिला लेती है और तिवारी आज़ाद के साथ धोखा करते हुए उन्हें इलाहाबाद के अलफ्रेड फार्म ले जाता है, जहां पुलिस 27 जनवरी, सन् 1931 को आज़ाद को पकड़ना चाहती है परन्तु वे तिवारी को वहाँ से भगा कर स्वयं पुलिस का मुकाबला करते हुए शहीद हो जाते हैं। वे अपने इस प्रण को पूरा करते हैं कि उनके जीवित होते हुए उन्हें कोई छू भी नहीं सकता। देश सदा उन को स्मरण करते हुए नमस्कार करता है।

Conclusion:

“चन्द्रशेखर आज़ाद” का संग्रहण हमें एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय नेता के जीवन की महत्वपूर्ण भूमिका को समझने का मौका देता है। आज़ाद की साहसी और संघर्षपूर्ण यात्रा हमें यह सिखाती है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में समर्पण और संघर्ष का महत्व होता है। उनकी प्रेरणास्पद कहानी हमें यह याद दिलाती है कि अपने लक्ष्यों के लिए किसी भी समस्या का सामना करने का साहस और संकल्प होना आवश्यक है।

समाचार : जन से जनहित तक Summary in Hindi

समाचार जन से जनहित तक Summary in Hindi

समाचार : जन से जनहित तक” एक लेख है, जो समाचार की आवश्यकता, महत्ता और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है। यह लेख समाचार के माध्यम से जनहित को कैसे संवर्धित किया जा सकता है, इस पर भी चर्चा करता है।

समाचार : जन से जनहित तक Summary in Hindi

समाचार : जन से जनहित तक पाठ का सारांश :

आज सैटेलाइट के माध्यम से विश्व में घटित घटनाएँ संचार माध्यम की सहायता से हम देख पढ़ या सुन लेते है। तीनों माध्यम मनोरंजन, ज्ञानवर्धन और सूचना प्रसारण करते हैं। इसी सूचना के अंतर्गत समाचार आते हैं।

समाचार पत्र को प्रिंट मिडिया कहा जाता है। इसमें विविध समाचार एजंसियाँ तथा रिपोर्टर समाचार प्राप्त करते हैं। उप संपादक प्राप्त समाचारों का लेखन करता है, मुद्रित सामग्री की त्रुटियाँ मुद्रित शोधक दूर करता है और उसे शुद्ध, समुचित, मानक साहित्यिक भाषाई रूप प्रदान करता है। उसके बाद प्रधान संपादक की ओर से हरी झंडी मिलने पर छपाई शुरू होती है।

समाचार जन से जनहित तक Summary in Hindi 1

दूरदर्शन/टी.वी चैनल्स (विजुअल) दृश्य मीडिया है। इस माध्यम द्वारा समाचार प्रस्तुत करने में प्रोड्युसर इंजीनियर, कैमरामैन, फ्लोर मैनेजर, वीडियो संपादक, ग्राफिक आर्टिस्ट आदि कई लोग शामिल होते हैं। समाचार लेखन, वाचन और प्रसारण का काम पूरी टीम करती है।

समाचार वाचक के लिए टेलीपॉप्टर की सुविधा होती है। समाचार वाचक के लिए प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ-साथ सुयोग्य आवाज, शुद्ध उच्चारण, भाषा का ज्ञान आदि आवश्यक है।

समाचार प्राप्त करने के अनेक साधन हैं समाचार एजेंसियाँ, प्रेस विज्ञप्तियाँ (press release), भेट वार्ताएँ (interview), राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ता, मोबाइल पर रिकॉर्ड की गई कोई जानकारी आदि। समाचार का स्वरूप भी बहुत विस्तृत है। राजनीतिक, खेल, व्यापार, रोजगार, विज्ञान, बजट, चुनाव, कृषि, स्वास्थ्य आदि से संबंधित समाचार प्रसारित होते हैं। समाचार की भाषा सरल और सहज होनी चाहिए।

समाचार में ऐसी बात न हो जिससे किसी धर्म, जाति या वर्ग की भावना को चोट पहुँचे। समाचार प्रस्तुति राष्ट्रहित, एकता और अखंडता को ध्यान में रखकर होनी चाहिए।

आज इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएँ बढ़ गई हैं। यू.पी.एस.सी. की परीक्षाएँ देकर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

Conclusion

समाचार : जन से जनहित तक” एक महत्वपूर्ण लेख है। यह लेख हमें समाचार की आवश्यकता, महत्ता और भविष्य की संभावनाओं के बारे में बताता है। यह लेख हमें समाचार के माध्यम से जनहित को संवर्धित करने के लिए प्रेरित करता है।

मातृ-दिवस Summary In Hindi

मातृ-दिवस Summary In Hindi

“मातृ-दिवस” एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जो मातृत्व, मातृशक्ति, और मातृभूमि की महत्वपूर्ण भूमिका को मनाता है। यह दिन मातृकला की महत्वपूर्णता को समझाने और मातृप्रेम का मान्यता देने के रूप में मनाया जाता है। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान है जो मातृत्व के महत्व को उजागर करता है। Read More Class 7 Hindi Summaries.

मातृ-दिवस Summary In Hindi

मातृ-दिवस पाठ का सार

‘मात-दिवस’ नामक पाठ में लेखक ने माता के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए ‘मातृदिवस’ मनाने की परम्परा का वर्णन किया है। लेखक के अनुसार माता अनेक कष्ट सहकर बच्चे को जन्म देती है और उसका बचपन से बुढ़ापे तक ध्यान रखती है। शिशु की मुस्कान माँ के हृदय-कमल को खिला देती है। इसलिए कहते हैं ‘माँवाँ ठंडियाँ छावाँ’ तथा ‘मातृ देवो भव।’ माँ के इसी महत्त्व को स्वीकार करते हुए ईसाई धर्म में वर्ष का एक दिन ‘मदर्स डे’ या ‘मातृ-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जिसका आरम्भ यूनान में हुआ था। यूनानी और रोमवासी देवताओं की माता ‘रेहया’ की उपासना मार्च में करते थे और उन्हें ‘ग्रेट मदर’ मानते थे। बाद में यह उत्सव गिरिजा घरों में भी मनाया जाने लगा। प्रारंभ में इसे ‘ईस्टर’ से एक-सवा महीने पहले अप्रैल में मनाते थे तथा बच्चे भी अपने विद्यालयों या कार्यस्थलों से लौट आते थे और माता के लिए विशेष भेंट लाते थे।

मातृ-दिवस Summary

‘मदर्स डे’ अमेरिका में सुश्री अन्ना जारबिस के प्रयत्नों से फिलाडेलफिया के गिरिजाघर में 10 मई, सन् 1908 ई० को पहली बार मनाया गया था। यूनान में फूल मार्च में और अमेरिका में मई में खिलते हैं, इसलिए ‘मदर्स डे’ अमेरिका में मई में मनाया गया। अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विलसन ने सन् 1914 ई० में अमेरिकी कांग्रेस में मई महीने के दूसरे रविवार अथवा मई महीने के दूसरे रविवार को ‘मदर्स डे’ मनाने का प्रस्ताव पारित कराया था। अब वहाँ 8 मई को यह दिन सार्वजनिक रूप से मनाया जाता है। बच्चे माँ को सफेद, गुलाबी और लाल रंग के फूल भेंट करते हैं। सफेद फूल माँ के हृदय की पवित्रता, गुलाबी फूल माँ का सब के प्रति सद्व्यवहार तथा लाल फूल माँ के कष्ट सहन करने का प्रतीक माना जाता है।

आजकल मदर्स डे इंग्लैंड, डेनमार्क, स्वीडन, मैक्सिको, चीन और भारत में भी मनाया जाता है। इसे ये देश मई की 8 तारीख, मई के पहले रविवार, मई के दूसरे रविवार अथवा 12 मई को अपनी सुविधानुसार मनाते हैं। अमेरिकी स्कूलों में बच्चे मई के दूसरे शुक्रवार को ‘मात दिवस’ मनाकर शनि, रविवार अपने घर पर मनाते हैं। जिन की माँ नहीं होती वे अपनी दादी, नानी, मौसी, मामी, ताई,चाची, भाभी को पुष्प भेंट कर उन्हें माँ का सम्मान देते हैं। घर न जा सकने पर बधाई पत्रों से माँ को संदेश भेजा जाता है। एक-दूसरे को भी ‘मदर्स डे’ पर बधाई-पत्र भेजे जाते हैं । समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर भी इस दिन को मनाया जाता है।

‘मदर्स डे’ के बधाई पत्रों पर माता मेरी की गोद में बैठे बालक ईसा मसीह का चित्र बना होता है। समाचार पत्र में एक विज्ञापन था- ‘माँ की गोद है बड़ी प्यारी, संसार के सब सुखों से न्यारी’ एक अन्य विज्ञापन था- ‘भाभी जी! आपने हमारे महान् पिता श्री रामलाल ग्रोवर जी को खो देने पर भी अत्यंत साहस दिखाकर हमारा पालन-पोषण किया। हम आपके तथा पूज्य पिता जी के चरण चिह्नों पर चलने के लिए आशीर्वाद माँगते हैं। पवित्र गुरुवाणी भी कहती है

“पूता माता की आशीस
निमख न विसरो तुमको
हर हर, सद भजो जगदीश”

Conclusion:

“मातृ-दिवस” का संग्रहण हमें मातृकला के महत्व को समझने और मातृप्रेम की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह हमारे समाज में मातृत्व की महत्वपूर्णता को उजागर करता है और हमें याद दिलाता है कि मातृशक्ति हमारे समृद्धि और समृद्धि के पीछे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस दिन का मनाना हमारे मातृओं का सम्मान करने का अच्छा मौका होता है और हमें उनके संगठनशील प्रेम का मान्यता देने के रूप में काम करता है।

परोपकार Summary In Hindi

परोपकार Summary In Hindi

“परोपकार” एक महत्वपूर्ण भारतीय धार्मिक और मानवीय मूल्यों का महत्वपूर्ण पहलु है, जिसमें अन्यों के लिए सेवा करने और उनकी मदद करने का संदेश होता है। यह सद्गुण का प्रतीक माना जाता है और समाज में सामाजिक और मानवीय सुधार को प्रोत्साहित करता है। “परोपकार” का अर्थ होता है कि हमें अपने समर्थन, सेवा, और प्रेम के माध्यम से दूसरों की कठिनाइयों में सहायता करना चाहिए। Read More Class 7 Hindi Summaries.

परोपकार Summary In Hindi

परोपकार पाठ का सार

‘परोपकार’ नामक पाठ में लेखक ने परोपकार की महिमा का गुणगान किया है। लेखक अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राह्म लिंकन के जीवन की एक घटना का वर्णन करता है कि एक दिन वे सीनेट जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें एक सुअर कीचड़ में फंसा हुआ दिखाई दिया, जो कोशिश करने पर भी कीचड़ से निकल नहीं पा रहा था। वे पहने हुए कपड़ों समेत कीचड़ में कूद कर सुअर को कीचड़ से बाहर निकाल लाए और कीचड़ से सने हुए सीनेट में जा पहुँचे। वहाँ सभी सदस्य उन्हें इस दशा में देखकर हैरान रह गए परन्तु उनसे सारी घटना सुनकर उनकी दयालुता की प्रशंसा करने लगे।

इस घटना से पता चलता है कि मन परोपकार से कोमल होकर दूसरों की हीन दशा देख कर पिघलता है तथा बिना किसी स्वार्थ के उसकी सहायता करता है। इस प्रकार मन की सरलता, कोमलता, करुणा, सहानुभूति, त्याग और बलिदान की भावना से परोपकार होता है। इसलिए परोपकार सबसे बड़ा धर्म माना जाता है। महर्षि वेदव्यास ने परोपकार को सबसे बड़ा पुण्य और दूसरों को कष्ट पहुँचाने अथवा परपीड़ा को सबसे बड़ा पाप माना प्रकृति भी सदा परोपकार करती है। सूर्य का प्रकाश, वर्षा का जल, शीतल वायु, वृक्ष पथिकों छाया देने के साथ पत्थर मारने वाले को फल देते हैं।

सूर्य, अग्नि, वायु, वरुण आदि इसी परोपकार की भावना के कारण पूज्य माने जाते हैं। धरती माता के समान हमारा पोषण करती है। कवि रहीम ने भी कहा है कि जैसे पेड़ फल नहीं खाते, सरोवर जल नहीं पीते, वैसे ही परोपकार के लिए अच्छे लोग धन जोड़ते हैं। परोपकारी व्यक्ति सदा उदारता पूर्वक सबका भला करता है। महर्षि दधीचि ने देवताओं को असुरों का नाश करने के लिए अपना शरीर दे दिया था और महाराजा शिवि ने कबूतरों की प्राण रक्षा के लिए अपने शरीर का माँस दे दिया था ! कर्ण महादानी थे जिन्होंने अपने कवच-कुण्डल तक दान में दे दिए थे।

परोपकार करने में धन का लालच बाधा डालता है। इसलिए धन का लालच नहीं करना चाहिए तथा दीनों, अनाथों, अपंगों, रोगियों की सदा सहायता करनी चाहिए। परोपकार केवल धन से ही नहीं मन, वाणी और कर्म द्वारा भी किया जा सकता है। दुखी को दिलासा देना, अपंगों को सहारा देना, अनपढ़ों को पढ़ाना आदि भी परोपकार है। इसलिए तुलसीदास जी कहते हैं कि संसार में परोपकार से बढ़ कर कोई धर्म नहीं है और परपीड़ा अथवा दूसरों को कष्ट देने के समान कोई पाप नहीं है।

Conclusion:

“परोपकार” का संग्रहण हमें यह सिखाता है कि सहानुभूति, सेवा, और दया का योगदान हमारे समाज में सद्गुण के रूप में महत्वपूर्ण है। यह हमें यह भी दिखाता है कि सच्चा सुख और संतोष दूसरों की मदद करने में होता है, और यह हमारे अपने जीवन को भी आर्थिक और मानवीय धार्मिकता से संजीवनी बना सकता है। “परोपकार” हमारे समाज के सुधार और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है और हमें इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना चाहिए।

Plus Two Malayalam All Chapter Summary

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हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Summary in Hindi

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Summary in Hindi

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ” डॉ. दामोदर खड़से द्वारा लिखा गया एक भाषण है, जो हिंदी भाषा के भविष्य के बारे में बात करता है। यह भाषण हिंदी भाषा के महत्व और इसकी संभावनाओं पर प्रकाश डालता है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Summary in Hindi

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ लेखक परिचय :

डॉ. दामोदर खड़से जी हिंदी जगत् में एक प्रख्यात कवि, कथाकार, उपन्यासकार, अनुवादक आदि अनेक रूपो में माहिर है। आपका जन्म 11 नवंबर 1948 को छत्तीसगढ़ के कोरिया में हुआ। आपने बैंकिग तथा तकनीकी शब्दावली का भी निर्माण किया है।

कंप्यूटर एवं बैंकिग प्रशिक्षण को सुगम बनाने के लिए आपने योगदान दिया है। आप तीस वर्षों तक बैंक में सहायक महाप्रबंधक (general manager) (राजभाषा) के रूप में कार्यरत थे।

एक सशक्त लेखक के साथ-साथ आप एक सफल वक्ता भी हैं। आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा अनेक राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ रचनाएँ :

काला सूरज, भगदड़, बादल राग (उपन्यास) सन्नाटे में रोशनी, नदी कभी नहीं सूखती आदि (कविता संग्रह) भटकते कोलंबस, पार्टनर, गौरेया को तो गुस्सा नहीं आता (कहानी संग्रह), मराठी से हिंदी में अनुवाद – 21 कृतियाँ

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ विधा परिचय :

भाषण एक कला है। अपने विचारों से जनमानस को अवगत करने वाला यह एक सशक्त माध्यम है। भाषण द्वारा श्रोताओं को प्रभावित करना, उन्हें प्रेरित करना आदि उसकी विशेषताएँ हैं। हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ यह पाठ लेखक के एक भाषण का संकलित अंश है।

भारत में स्वामी विवेकानंद, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, सरदार पटेल आदि महापुरुषों के भाषण विश्व में प्रसिद्ध हैं।’

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ विषय प्रवेश :

‘हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ’ यह पाठ लेखक डॉ. दामोदर खड़से जी के भाषण का संकलित अंश है। इस भाषण से हिंदी के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों में विविध प्रकार के रोजगार को प्राप्त करने की संभावनाएं बताई गई हैं। हिंदी भाषा का महत्त्व बढ़ाना यह इस भाषण का हेतु है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ सारांश :

लेखक के मतानुसार हिंदी भाषा के अध्ययन से छात्रों को भविष्य में अनेक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।

केंद्र सरकार कार्यालय : भारत संघ की राजभाषा हिंदी होने के कारण मंत्रालय, संसद तथा सरकारी कार्यालयों में हिंदी पत्राचार का निर्धारित लक्ष्य दिया गया है। केंद्र सरकार के कार्यालयों में अनुवादक, लिपिक, अधिकारी, राजभाषा अधिकारी, निर्देशक (director), उपनिर्देशक इन जैसे विविध प्रकार के रोजगार संभव है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Summary in Hindi 1

विज्ञानपन क्षेत्र : हिंदी की प्रकृति विज्ञापन के लिए बहुत लाभदायी एवं महत्त्वपूर्ण है। विज्ञापन के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक और मुद्रित मिडिया में हिंदी विज्ञापनों की भरमार होती है। इस क्षेत्र में विज्ञापन लेखन, कॉपी रायटर, विज्ञापन का प्रसारण आदि रोजगार के अवसर प्राप्त है।

मनोरंजन : मनोरंजन का क्षेत्र हिंदी के जानकारों के लिए रोजगार का मानो एक महाद्वार है। मनोरंजन के लिए आजकल टी. वी., फिल्म, रेडियो, वेब दुनिया जैसे अनेक क्षेत्र खुले हैं। इन सभी में हिंदी रचनाकार, गीतकार, संगीतकार, गायक, अनुवादक, पटकथा-लेखक, संवाद-लेखक, कलाकार, पार्श्व आवाज (डबिंग), रेडियो जॉकी, रेडियो रूपक, नाटक, भाषण, वाचन तथा प्रकाशन क्षेत्र में मुद्रक, मुद्रित शोधन (proofreading), पत्रकार, अनुवादक इन जैसे विविध प्रकार के रोजगार मौजूद है।

तकनीकी क्षेत्र : आज का युग यंत्रज्ञान का युग है। तकनीकी क्षेत्र में भी आजकल हिंदी ने प्रवेश किया है। अंतरिक्ष (space) विभाग, परमाणु (atom) विभाग, रसायन और उर्वरक (fertilizer) विभाग, जलपोत परिवहन, भारी उद्योग इन सभी क्षेत्रो में हिंदी का प्रयोग हो रहा है।

संगणक के आगमन के साथ प्रयोजनमूलक (purposeful) हिंदी की आवश्यकता बढ़ रही है। इससे आलेखन, टिप्पणी, पत्राचार, अनुवाद, शब्दावली का निर्माण तथा अनुवाद विषयक उपयोगिता बढ़ी है। गूगल में किए गए अनुवाद का उपयोग जनमानस तक पहुँच रहा है।

मोबाइल, टैब, लैपटॉप आदि में हिंदी का प्रयोग, हिंदी माध्यम में तकनीकी विषयों का प्रशिक्षण आज एक बड़ा महत्त्वपूर्ण कार्य बन चुका है।

पारिभाषिक शब्दावली का कार्य, दवाई कंपनियों में दवाई से संबंधित सूचनाओं का हिंदी अनुवाद, रेल, टेलिफोन, बैंक, बीमा, शेयर मार्केट इन सभी के लिए पारिभाषिक शब्दावली, हिंदी अनुवाद का महत्त्व है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार : हिंदी आज दुनिया की एक महत्त्वपूर्ण भाषा बन गई है। आज 127 देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। दुनिया के लगभग सभी देशों में हमारे दूतावास हैं। अन्य देशों के भी दूतावास (embassy) हमारे देश में हैं।

इन में से कई दूतावासों में अब हिंदी विभाग की स्थापना हो चुकी है। इन विभागों में हिंदी अधिकारी, अनुवादक, हिंदी सहायक, पत्राचार, समाचार, रिपोर्टों का लेखन आदि अनेक प्रकार की नौकरियाँ उपलब्ध हैं।

पर्यटन क्षेत्र : पर्यटन क्षेत्र आज एक प्रमुख व्यवसाय बन रहा है। पर्यटन क्षेत्र में बहुभाषी लोगों को ज्यादा मौका है। पर्यटक स्थानीय भाषा नहीं जानते। उनसे संवाद स्थापित करने के लिए, पर्यटकों को मार्गदर्शन या स्थलों की जानकारी देने के लिए हिंदी का उपयोग होता है। ‘टुरिस्ट गाइड’, यह रोजगार यहाँ उपलब्ध है।

अन्य क्षेत्र : फिल्म, टी. वी. में ‘डाक्यूमेंटरी लेखन’ खेल जगत में कमेंटरी करना, खेल की समालोचना करना आदि भी कुछ क्षेत्र हिंदी भाषा प्रभुओं के लिए उपलब्ध है।

Conclusion

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ” एक प्रेरणादायक भाषण है। यह भाषण हमें बताता है कि हिंदी भाषा एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली भाषा है। यह भाषण हमें हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।